Ekadashi Vrat Rules : क्या एकादशी के दिन तुलसी को जल चढ़ाना है महापाप? जानिए प्रेमानंद महाराज ने क्यों कहा नहीं

News India Live, Digital Desk : एकादशी का व्रत ,हिंदू धर्म की सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण तिथियों में से एक। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भक्त पूरी श्रद्धा से उपवास रखते हैं। और जब भगवान विष्णु की पूजा की बात आती है, तो उनकी सबसे प्रिय तुलसी जी का जिक्र होना तो स्वाभाविक है।लेकिन एकादशी और तुलसी जी को लेकर एक ऐसा भ्रम है, जो सालों से भक्तों के मन में दुविधा पैदा करता आया है। वह भ्रम है - "क्या एकादशी के दिन तुलसी जी को जल चढ़ाना चाहिए?"अक्सर हमने बड़े-बुजुर्गों या पंडितों से सुना है कि एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में जल नहीं देना चाहिए, क्योंकि इस दिन तुलसी माता भी भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। जल चढ़ाने से उनका व्रत खंडित हो जाता है।लेकिन, वृन्दावन के प्रसिद्ध संत और लाखों लोगों के आध्यात्मिक गुरु, प्रेमानंद जी महाराज (Premanand Ji Maharaj) ने इस विषय पर एक बिल्कुल अलग और तार्किक बात कही है, जिसने इस पुराने भ्रम को तोड़ दिया है।क्या कहा प्रेमानंद जी महाराज ने?अपने एक सत्संग के दौरान, जब एक भक्त ने उनसे यही सवाल पूछा, तो प्रेमानंद जी महाराज ने साफ और स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह बात "बिल्कुल गलत और शास्त्र विरुद्ध" है।उन्होंने समझाया:1. "वो कोई जड़ वस्तु नहीं, साक्षात देवी हैं":महाराज जी ने कहा कि आप तुलसी को सिर्फ एक पौधा क्यों समझते हैं? वह तो साक्षात हरि प्रिया (भगवान विष्णु की प्रिय) हैं। जैसे आप ठाकुर जी (भगवान) को भोग-जल अर्पण करते हैं, वैसे ही उनकी सेवा भी रोज होनी चाहिए।2. "भगवान भूखे रह सकते हैं, भक्त को भूखा नहीं रखते":उन्होंने आगे कहा, "माता तुलसी इतनी दयालु हैं कि वह खुद भूखी-प्यासी रह सकती हैं, लेकिन वह यह कभी बर्दाश्त नहीं करेंगी कि उनका कोई भक्त उनकी सेवा न कर पाए। वह आपकी सेवा स्वीकार करने के लिए ही हैं।"3. "पत्ता तोड़ना वर्जित है, सेवा करना नहीं":प्रेमानंद जी ने स्पष्ट किया कि शास्त्रों में एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता तोड़ना वर्जित (मना) बताया गया है, क्योंकि इससे उन्हें कष्ट होता है। लेकिन जल चढ़ाना, प्रणाम करना, दीप दिखाना... यह सब तो सेवा है, और सेवा कभी भी वर्जित नहीं हो सकती।उन्होंने यहां तक कह दिया, "जिसने भी यह कहा है (कि जल नहीं चढ़ाना चाहिए), वह शास्त्र का ज्ञाता नहीं है, उसने बस सुनी-सुनाई बात कह दी है।"क्या है अंतिम निष्कर्ष?प्रेमानंद जी महाराज के इन स्पष्ट शब्दों के बाद यह साफ हो जाता है कि एकादशी के दिन भी हमें रोज की तरह ही तुलसी माता को जल अर्पित करना चाहिए। हां, इस दिन उनके पत्ते तोड़ने की गलती बिल्कुल नहीं करनी चाहिए।जल चढ़ाना सेवा है, और भगवान या उनके भक्तों की सेवा किसी भी दिन, किसी भी तिथि को मना नहीं हो सकती। इसलिए, अब किसी भी भ्रम में न पड़ें और एकादशी के दिन भी पूरी श्रद्धा से अपनी तुलसी माता की सेवा करें।