खेतों में गोबर की खाद और उर्वरकों का महत्व 
Rabi Season, नई दिल्ली: इस वर्ष बिहार में मॉनसून ने अपेक्षा से बेहतर बारिश की है, जिससे खेतों में नमी बनी हुई है। ऐसे में किसान रबी सीजन की फसल की तैयारी में जुट गए हैं। डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा (समस्तीपुर) के कृषि विशेषज्ञों ने रबी और शरदकालीन फसलों की बुवाई के लिए सुझाव देना शुरू कर दिया है।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊंचाई वाले खेतों में रबी फसलों की बुवाई के लिए बारिश के बाद खेतों की तैयारी करनी चाहिए। सड़ी हुई गोबर की खाद को 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में डालकर अच्छी तरह जुताई करें। यह खाद मिट्टी की जलधारण क्षमता और पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाने में सहायक होती है।
खेत की अंतिम जुताई के समय 30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फॉस्फोरस, 40 किलोग्राम पोटाश और 20 से 30 किलोग्राम गंधक प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाना आवश्यक है। यदि जिंक की कमी हो, तो 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर का छिड़काव करें। इससे खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होगी और फसल की पैदावार में सुधार होगा।
कृषि विशेषज्ञों का सुझाव है कि जिन खेतों में पानी नहीं जमा होता, वहां रबी फसलों की बुवाई की तैयारी तुरंत शुरू कर देनी चाहिए। खेतों में 150 से 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद डालकर जुताई करें। अंतिम जुताई के समय संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और गंधक का उपयोग करना भी आवश्यक है।
इस समय किसान सरसों, मटर, मसूर, लहसुन, धनिया, गन्ना, सूर्यमुखी, मेथी और राजमा जैसी शरदकालीन फसलों की बुवाई कर सकते हैं। नवंबर में गेहूं की बुवाई का कार्य भी प्रारंभ होगा।
खेती शुरू करने से पहले खेतों की सफाई भी आवश्यक है। झाड़ियों और मेड़ों पर उगे अवांछित पौधों में छिपे कीट और रोग फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए खेत के साथ-साथ उसके आसपास की घास-फूस, झाड़ियों और खरपतवारों की सफाई कर लेनी चाहिए।
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