अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली सरकार जल्द ही 50 करोड़ रुपए का एक कौशल विकास कार्यक्रम शुरू करेगी। इसका उद्देश्य बेरोजगार युवाओं, कारीगरों और विपरीत पृष्ठभूमि वाले लोगों को प्रशिक्षित करना है। उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करने के बाद कहा कि दिल्ली खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड (डीकेवीआईबी) के माध्यम से कुटीर उद्योगों के कौशल संवर्धन के लिए शुरू की जाने वाली योजना जल्द ही शुरू होने वाली है।
सिरसा ने कहा कि 50 करोड़ रुपए के इस कौशल विकास कार्यक्रम का उद्देश्य भारत के प्राचीन शिल्प को जीवित रखते हुए रोजगार सृजन करना है। 2025-26 में एनएसडीसी, एनआईईएसबीयूडी और गैर-सरकारी संगठनों जैसे भागीदारों की मदद से 13900 से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि यह योजना 20 प्रतिशत स्वरोजगार और 50 प्रतिशत वेतन वाली नौकरियों की गारंटी देती है।
इन पाठ्यक्रमों में परिधान विपणन, लॉजिस्टिक्स कार्य, आईटी सहायता डेस्क, स्व-नियोजित सिलाई और खादी फैशन निर्माण जैसे कौशल शामिल हैं। प्रशिक्षुओं को एआई, डिजिटल टूल्स, मार्केटिंग और सॉफ्ट स्किल्स पर दैनिक कक्षाएं दी जाएंगी। उन्हें पांच महीने तक 400 रुपए प्रति माह भी दिए जाएंगे। साथ ही प्रशिक्षण के बाद ऋण दिलाने में भी मदद की जाएगी।
सिरसा ने भारत की हथकरघा विरासत को सम्मानित करने में इस योजना की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार खादी और ग्रामोद्योग की कालातीत कला को संरक्षित करने के लिए समर्पित है। साथ ही युवाओं को भविष्य के लिए उपकरण प्रदान कर रही है।
मंत्री ने कहा कि शिल्प को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और डिजिटल प्रशिक्षण के साथ जोड़ने की है। इससे बोर्ड को रोजगार सृजन और आत्मनिर्भरता की प्रेरणा देने वाला एक ऐसा मॉडल बनाने में मदद मिलेगी जो प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हो।
इस योजना के तहत कम से कम 50 प्रतिशत स्थान अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों और महिलाओं को दिए जाएंगे। इस योजना के तहत 2500 कारीगरों को टूलकिट और 500 कारीगरों को प्रशिक्षण भ्रमण का अवसर प्रदान किया जाएगा। इससे दिल्ली के प्रत्येक जिले में प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने में भी मदद मिलेगी।
इस योजना में एक प्रमुख उद्यमिता विकास कार्यक्रम (ईडीपी) शामिल होगा जो 10 दिनों तक चलेगा। इसमें व्यावसायिक बुनियादी बातों के साथ व्यावहारिक कौशल विकास को शामिल किया जाएगा ताकि छोटे शिल्पों को फलते-फूलते रोजगार में बदला जा सके। यह सब एमएसएमई मंत्रालय के दिशानिर्देशों पर आधारित होगा। यह योजना 2026-27 में और अधिक लोगों को प्रशिक्षित करने के साथ बढ़ेगी।