सीट का गम या 2027 की बार्गेनिंग? ओपी राजभर का तेजस्वी प्रेम और BJP से नया पॉलिटिकल दांव
TV9 Bharatvarsh November 14, 2025 06:42 AM

उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों सिर्फ एक ही सवाल गूंज रहा है ओम प्रकाश राजभर आखिर चाहते क्या हैं? योगी सरकार के मंत्री रहते हुए भी बिहार के डिप्टी CM तेजस्वी यादव की तारीफ, और फिर BJP पर तंज कि पांच-पांच मुख्यमंत्री, 80 मंत्री और पूरी केंद्र सरकार एक लड़के से लड़ रही है. यानी राजनीतिक पिच अब सिर्फ बिहार की नहीं, पूर्वांचल की बार्गेनिंग टेबल बन चुकी है.

बिहार बहाना, टारगेट यूपी?

सूत्रों के मुताबिक, ओपी राजभर ने बिहार चुनाव से पहले NDA में 2530 सीटों की मांग रखी थी. लेकिन उनको मना कर दिया गया था, तो अब वही सीटें ‘इगो’ बन चुकी हैं. राजभर ने 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए और अब NDA को ‘हराने’ की बात कर रहे हैं. भले ही नतीजा कुछ भी हो, लेकिन मेसेज साफ है मुझसे पंगा मत लो, मैं खेल बिगाड़ भी सकता हूं और बना भी सकता हूं.

तेजस्वी से प्रेम या स्ट्रैटेजी?

ओपी राजभर का तेजस्वी यादव प्रेम कोई नया नहीं. अब वे खुलेआम कह रहे हैं कि अगर ज्यादा वोटिंग हुई तो तेजस्वी की सरकार बनेगी. मैंने गूगल पर चेक किया है. राजनीतिक जानकार मानते हैं, बिहार बस बहाना है, असल टारगेट 2027 का यूपी है. पूर्वांचल की लगभग 20 विधानसभा सीटों पर राजभर समाज निर्णायक भूमिका रखता है – घोसी, बलिया, मऊ, गाजीपुर और आजमगढ़ जैसे इलाकों में राजभर की एक आवाज वोटों का रुख बदल सकती है.

2019 की स्क्रिप्ट दोबारा?

2019 में भी ओपी राजभर ने BJP से बगावत की थी, 2022 में वापसी की और अब फिर वही स्क्रिप्ट दोहराई जा रही है. इस बार मांगें बड़ी हैं: 2024 लोकसभा में 810 सीटें, OBC आरक्षण कोटे में अति-पिछड़ों का हिस्सा बढ़ाना, 2027 में 2025 विधानसभा सीटें, और डिप्टी CM या राज्यसभा सीट का पैकेज.

बिहार की वोटिंग और पूर्वांचल की चिंता

बिहार में 68% वोटिंग ने सबको चौंकाया है. राजभर ने दावा किया कि ज्यादा वोटिंग मतलब आरजेडी की जीत है. ये बयान सिर्फ बिहार नहीं, यूपी के वोट बैंक को संकेत देने वाला है. क्योंकि अगर बिहार में NDA कमजोर होता है, तो उसका मनोवैज्ञानिक असर यूपी के चुनावी मूड पर पड़ सकता है.

अब आगे क्या?

राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक अगर BJP ने 2024 से पहले राजभर की मांगें नहीं मानीं, तो 202526 में वे फिर NDA से दूरी बना सकते हैं. अखिलेश यादव पहले से दरवाजा खुला रखे हुए हैं. यानी 2027 की राह पर ओपी राजभर ने अपनी दुकान पहले ही सजा ली है. सवाल बस इतना है कि सीट का गम है या डील की तैयारी?

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