जीरादेई विधानसभा चुनाव रिजल्ट 2025 Live Updates: CPI(ML) की क्या फिर होगी वापसी? बीजेपी से कड़ा मुकाबला
TV9 Bharatvarsh November 14, 2025 03:42 PM

जीरादेई विधानसभा चुनाव रिजल्ट 2025 Live Updates: जीरादेई विधानसभा सीट के चुनाव परिणाम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं. बिहार चुनाव के पहले चरण में इस सीट पर मतदान हुआ था. जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के भीष्म प्रताप सिंह, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिबरेशन) के नेता अमरजीत कुशवाहा और जन सुराज पार्टी (जेएसपी) के मुन्ना पांडे मुख्य उम्मीदवार हैं. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (लिबरेशन) ने फिर से विधायक अमरजीत कुशवाहा को उतारा है. जीरादेई से विभिन्न पार्टियों के 10 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं.

सीपीआई (एमएल) के अमरजीत कुशवाहा जीरादेई सीट से मौजूदा विधायक हैं. 2020 में, अमरजीत कुशवाहा ने जीरादेई निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की थी. 2015 में, जेडी(यू) उम्मीदवार रमेश सिंह कुशवाहा ने इस सीट से जीत हासिल की थी.

जीरादेई सीटः 2020 चुनाव के आंकड़े

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान जीरादेई सीट परसीपीआई (एमएल) (एल) के अमरजीत कुशवाहा विजयी हुए थे. उन्होंने जेडी(यू) की कमला सिंह को पराजित किया था. उन्होंने 25510 के अंतर से जीत हासिल की थी. इस सीट पर साल 2020 में 144345 मतदाताओं ने मतदान किया था, जो करीब 52.04% था. इस चुनाव के दौरान कुल नौ उम्मीदवार थे, जबकि नोटा को 4,735 वोट मिले थे.

बिहार विधानसभा चुनाव 2015 के दौरान जद(यू) के रमेश सिंह कुशवाहा को 29.99 फीसदी के साथ 40,760 मत मिले थे, जबकि भाजपा की आशा देवी को 34,669 और सीपीआई(एमएल)एल के अमरजीत कुशवाह को 34,562 मत मिले थे.

जीरादेई विधानसभा सीट का सियासी महत्व

सीवान लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पड़ने वाली जीरादेई विधानसभा की सियासी महत्व होने के साथ-साथ ऐतिहासिक महत्व भी है. यह देश थे प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का पैतृक गांव था. यह विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश से सटा हुआ है. इसे साल 1957 में पहली बार विधानसभा का दर्जा मिला था.

जीरादेई विधानसभा सीट के अंतर्गत में नौतन, जीरादेई और मैरवा प्रखंड आदि हैं. बाहुबली माने जाने वाले शहाबुद्दीन ने जीरादेई से क्रमशः 1990 और 1995 में विधायक बने थे. जीरादेई में अब तक 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. यह किसी भी पार्टी का गढ़ नहीं है, हालांकि कांग्रेस ने यहां से सबसे अधिक पांच बार जीत हासिल की थी, लेकिन कांग्रेस को आखिरी जीत 1985 में मिली थी.

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