इस चुनाव में एक बात स्पष्ट तौर पर निकलकर आएगी है कि 'कमजोर' कांग्रेस का साथ तेजस्वी यादव को भारी पड़ गया। क्योंकि कांग्रेस का वोट प्रतिशत तुलनात्मक रूप से काफी कम रहा। न तो राहुल गांधी की पदयात्रा काम आई और उनका हाइड्रोजन बम भी 'फुस्स' हो गया। महागठबंधन की ओर से पूरे समय तेजस्वी यादव ही एकमात्र ऐसे नेता रहे, जो चुनाव प्रचार में जुटे रहे। परिवार की कलह का भी उन्हें नुकसान उठाना पड़ा।
महागठबंधन में आखिरी समय तक सीटों के बंटवारे को लेकर मारामारी रही, इसके कारण मतदाता के मन में 'कनफ्यूजन' पैदा हुआ और परिणाम सबके सामने है। कांग्रेस ने कभी भी खुले मन से तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार स्वीकार नहीं किया। ऐन मौके पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसकी घोषणा की। मीडिया के पूछने के बाद राहुल ने गोलमोल जवाब दिया। चुनाव के दौरान राहुल गांधी लगभग पूरे समय गायब रहे, इसका भी नकारात्मक असर हुआ।

भाजपा से ज्यादा वोट मिले : यदि वोट प्रतिशत की बात करें तो भाजपा को कुल 20.33 फीसदी वोट हासिल हुए, जबकि तेजस्वी की राजद को 22.82 फीसदी वोट प्राप्त हुए। चुनाव के आयोग के आंकड़ों के अनुसार राजद को 1 करोड़ 8 लाख 2 हजार 770 वोट मिले, जबकि भाजपा को 95 लाख 10 हजार 856 वोट प्राप्त हुए। दोनों पार्टियों के बीच करीब 13 लाख वोटों का अंतर है।
हालांकि एनडीए की ओर से जदयू और लोजपा-आर का प्रदर्शन अच्छा रहा। जेडीयू को 19.16 फीसदी वोट मिले, जबकि चिराग पासवान की एलजेपी को 5.03 फीसदी वोट मिले। वहीं, कांग्रेस ज्यादा सीटों पर लड़ने के बावजूद 8.78 फीसदी वोट ही हासिल कर पाई।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala