– मानसरोवर विश्वविद्यालय का तीसरा दीक्षांत समारोह संपन्न
भोपाल, 14 नवंबर (Udaipur Kiran) . Madhya Pradesh के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि भगवान राम और माँ सीता को भी उनके भाग्य का लिखा मिला था. नसीब में जो है, वह होता है, लेकिन अपने कर्म और परिश्रम से जो मिलता है. उसी में सच्चा आनंद और आत्मिक संतुष्टि है. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि दीक्षांत शपथ व्यवहार की मार्गदर्शिका है. उसके अनुसार 365 दिन आचरण करने पर जीवन में सफलता मिलना निश्चित है.
राज्यपाल पटेल शुक्रवार को मुख्य अतिथि की आसंदी से भोपाल के मानसरोवर विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे. समारोह का आयोजन स्थानीय कुशाभाऊ ठाकरे अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में किया गया. राज्यपाल पटेल ने समारोह में व्हील चेयर पर आए विद्यार्थी वेंकट बालाजी को मंच से उतर कर उनके पास जाकर उपाधि दी.
राज्यपाल ने कहा कि चिकित्सक का कार्य ईश्वरीय यश प्राप्त करने का अवसर होता है. उन्होंने कहा कि कई बार मँहगी दवा खरीदने में Assamर्थ होने पर गरीब व्यक्ति दवा ही नहीं लेता है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जन औषधि केन्द्रों के माध्यम से उच्च गुणवत्ता वाली दवाएं कम कीमतों पर उपलब्ध करा दी है. उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि रोगियों को जन औषधियों के सेवन का परामर्श दे. प्रदेश में सभी जिलों, रेडक्रास शाखाओं में जन औषधि केन्द्र संचालित है. जनजाति बहुल विकास खण्डो में जनजातीय युवाओं के द्वारा जन औषधि स्टोर खोले जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश में आयुर्वेद चिकित्सा का नया युग आया है. आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए अपार संभावनाएं निर्मित हुई है.
राज्यपाल पटेल ने विद्यार्थियों से कहा कि अपने कार्यों से उपलब्धियों के बड़े मापदंड रचें. सफलता के नए कीर्तिमान बनाएं. लेकिन यह याद रखें कि सफलता का पैमाना अपने ज्ञान, प्रतिभा और मेधा से समाज के विकास में सहभागिता और अपने सामर्थ्य और समृद्धता से गरीब, वंचित, पिछड़ों और जरूरतमंदों के जीवन में खुशहाली लाने में योगदान होना चाहिए. उन्होंने कहा कि दीक्षांत, विद्यार्थी जीवन की समाप्ति का नहीं बल्कि कर्मशील नागरिक और उत्तरदायी व्यक्ति के रूप में नई शुरुआत का पावन प्रसंग है. शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री प्रदान करना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों में संस्कारों से चरित्र निर्माण, समाज कल्याण और राष्ट्र के विकास का बोध विकसित करना है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से युवाओं को ज्ञान और उन्नति के विभिन्न अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. छात्र-छात्राओं की शिक्षा केवल कौशल और विशेषज्ञता देने तक सीमित नहीं हो, बल्कि उद्यमिता के द्वारा सामाजिक सरोकारों में सहभागिता के लिए अनुभव और आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करने वाली भी होना चाहिए. उन्होंने संस्थान के संस्थापक बह्मलीन कमलाकांत तिवारी का भी पुण्य स्मरण किया.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आरोग्य भारती के राष्ट्रीय महासचिव अशोक वार्ष्णेय ने कहा कि अलग तरह से सोचने और बड़े लक्ष्य तैयार करने में ही जीवन की सफलता है. इसके लिए सकारात्मक दृष्टि के साथ कार्य करना जरूरी है. उन्होंने कहा कि शिक्षा पुस्तकों में प्राप्त जानकारी होती है. इस जानकारी को समझ कर कार्य करना ही ज्ञान है. उन्होंने कहा कि जो केवल सपने देखते है उनके लिए रात छोटी होती है लेकिन जो साकार करने के लिए सपने देखते हैं. उनके लिए दिन छोटा होता है.
Madhya Pradesh निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष खेम सिंह डेहरिया ने दीक्षित विद्यार्थियों से कहा कि समारोह में प्राप्त उपाधि के साथ आपका, आपके परिवार, विश्वविद्यालय, प्रदेश और देश का नाम जुड़ गया है. उसका मान-सम्मान बनाएं रखना धारक की जिम्मेदारी है. उन्होंने इस भावना के साथ राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए विद्यार्थियों को प्रेरित किया. कहा कि विकसित भारत और राष्ट्रीय शिक्षा नीति की ज्ञान परंपरा में उनके योगदान की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होगी.
कार्यक्रम में राज्यपाल पटेल का स्वागत विश्वविद्यालय की कुलाधिपति मंजुला तिवारी ने किया. दीक्षांत स्मृति प्रतीक भेंट किया. स्वागत उद्बोधन विश्वविद्यालय के प्रो- चान्सलर, इंजीनियर गौरव तिवारी ने दिया. वाईस चान्सलर डॉ. ए.एस. यादव ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया. दीक्षांत समारोह का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से किया गया.
(Udaipur Kiran) तोमर