हाईकोर्ट ने रेंज आईजी को पीड़ित परिवार को पुलिस सुरक्षा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए
उदयपुर.भिंडर थाना क्षेत्र के हिता गांव में जानलेवा हमला और अपहरण की गंभीर घटना को भिंडर पुलिस द्वारा दबाने का मामला कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. पदमपुरा निवासी प्रार्थी प्रकाश अहीर, जो रेडीमेड कपड़ों की दुकान संचालित करता है, ने भिंडर थाने में प्रकरण दर्ज करवाया है. इसमें उसके परिवार पर हुए जानलेवा हमले, अपहरण, बंधक बनाने और उसके बाद पुलिस द्वारा मामले को दबाने जैसे गंभीर आरोप शामिल हैं. पुलिस कांस्टेबल और थानाधिकारी की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं.
एफआईआर के अनुसार, 18 जून 2025 को प्रार्थी के छोटे भाई राधाकिशन अहीर ने गांव की ही बालिग युवती पूजा अहीर से प्रेम विवाह किया था. विवाह की रंजिश के चलते लड़की पक्ष की ओर से लगातार खतरे की आशंका थी, जिसके कारण प्रार्थी और उसके माता-पिता सुरक्षा के लिए भिंडर थाना क्षेत्र के हिता गांव स्थित उनकी बहन के घर पर ठहरे हुए थे.
24 जून 2025 की रात करीब 12:40 बजे 4–5 वाहनों में सवार 10–12 हथियारबंद हमलावर—रतनलाल पिता भंवरलाल अहीर, विनोद पिता रतनलाल, नारायण पिता माधुलाल, आमप्रकाश पिता माधुलाल, गंगाबाई पत्नी रतनलाल, किशन पिता नंदलाल, भगवतीलाल पिता मिठूलाल, माधुलाल पिता हीरालाल सहित—कुल्हाड़ियों, तलवारों, लाठियों और सरियों से लैस होकर घर का दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे. उन्होंने प्रार्थी और उसकी मां मांगीबाई पर बेरहमी से हमला किया. हमलावर दोनों को घसीटते हुए नीचे लाकर सफेद शिफ्ट कार RJ27 CP 1740 में डालकर लहूलुहान हालत में अपहरण कर ले गए. इसी दौरान मांगीबाई के पैर में लोहे का सरिया घुसा दिया गया.
हमलावर दोनों को चिकाड़ा होते हुए बांसी–बोहेड़ा मार्ग से आगे उत्तरावाड़ा क्षेत्र में एक गायरी के घर ले गए, जहां उनके हाथ-पांव बांधकर उन्हें बंधक बनाकर रखा गया. घटना की सूचना प्रार्थी के परिजनों ने 112 पर दी. मौके पर पहुंची भिंडर पुलिस ने टूटे दरवाजे, खून के धब्बे, लाठियां और सरिए देखकर स्थिति की गंभीरता को स्वयं देखा.
25 जून 2025 को जब परिजन भिंडर थाने पहुंचे तो रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय भिंडर थाने के कांस्टेबल हिंगलाजदान चारण ने मामला दबा दिया और कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया. इससे भी गंभीर बात यह रही कि अगले ही दिन हमलावर प्रार्थी और उसकी मां को भिंडर में स्कूल के पीछे लेकर आए, जहां कांस्टेबल हिंगलाज मौजूद था. उसकी मौजूदगी में आरोपी रतनलाल से 500 रुपये का स्टाम्प खरीदकर समाज के पंचों के नाम पर एक फर्जी लिखापढ़ी तैयार करवाई गई. प्रार्थी और उसके परिवार को धमकाकर जबरन हस्ताक्षर करवाए गए, ताकि अपराधियों को बचाया जा सके. पुलिसकर्मी की मौजूदगी में पीड़ितों को धमकी दी गई कि रिपोर्ट दी तो हत्या निश्चित है.
गंभीर रूप से घायल मांगीबाई को तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता थी, इसलिए परिवार उन्हें उदयपुर अस्पताल ले गया. घटना के बाद से पूरा परिवार भय के माहौल में घर-गांव छोड़कर भटक रहा था और अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहा था.
पीड़ित पक्ष ने अधिवक्ता मंजू सोलंकी के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें पूरे घटनाक्रम का विवरण दिया गया. माननीय हाईकोर्ट ने उदयपुर रेंज आईजी को पीड़ित परिवार को सुरक्षा उपलब्ध कराने और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए. इसके बाद प्रार्थी ने उदयपुर एसपी के समक्ष परिवाद पेश किया, जिस पर एसपी ने तुरंत एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए. रेंज आईजी गौरव श्रीवास्तव ने चित्तौड़गढ़ एसपी और मंगलवाड़ थाना पुलिस को सुरक्षा उपलब्ध कराने के आदेश भी जारी किए.