प्रेमानंद जी महाराज को किसी विशेष पहचान की आवश्यकता नहीं है। वे उत्तर भारत में श्री कृष्ण-राधा की भक्ति के लिए प्रसिद्ध संत, आध्यात्मिक गुरु और प्रचारक हैं। उनका मुख्य निवास वृंदावन है, जहाँ से वे भक्तों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। भक्ति, सेवा, साधारण जीवन और नैतिकता पर उनके विचारों का लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। अब वे रिश्तों के विषय में भी लोगों को सलाह देने लगे हैं, सच्चे प्यार की पहचान के बारे में समझाते हुए।
आजकल, कई लोग यह सोचते हैं कि कोई उनसे अधिक प्यार नहीं करता और धोखे का शिकार हो जाते हैं। प्रेमानंद जी महाराज से जानें कि सच्चा प्यार क्या है और इसे कैसे पहचाना जाए।
प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति रिश्ते की शुरुआत में अत्यधिक रोमांटिक या ध्यान देने वाला हो, तो यह जरूरी नहीं कि वह सच्चा प्यार करता हो। अक्सर ऐसे लोग केवल अपनी इच्छाओं को पूरा करना चाहते हैं और आपके भावनात्मक पहलुओं को नहीं समझते। यदि कोई व्यक्ति तुरंत प्यार का इज़हार करता है और अत्यधिक प्यार दिखाता है, तो यह संकेत है कि वह सच्चे प्यार में नहीं है, बल्कि केवल अपनी इच्छाओं को पूरा करना चाहता है।
प्रेमानंद जी महाराज का कहना है कि सच्चा प्यार कभी भी डर नहीं पैदा करता, बल्कि यह एक आरामदायक अनुभव देता है। एक सच्चा साथी आपको शारीरिक या भावनात्मक रूप से चोट नहीं पहुँचाएगा और न ही आपके सामान को नुकसान पहुँचाएगा।
सुनना एक महत्वपूर्ण कला है, और सच्चा प्यार करने वाला व्यक्ति इसमें माहिर होता है। वे आपकी बातों को सुनने के साथ-साथ समझने की कोशिश करते हैं। वे आपकी ज़िंदगी की छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देते हैं। किसी भी रिश्ते में संवाद बहुत आवश्यक है। एक अच्छा साथी सुनने, समझने और समस्याओं का समाधान करने में सक्षम होता है।