श्रीडूंगरगढ़ तहसील के मोमासर गांव में सोलर प्लांट लगाने के नाम पर पर्यावरण को गंभीर नुकसान पहुंचाने का मामला सामने आया है। मंगलवार रात गांव के एक खेत में खेजड़ी के करीब 30 पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया गया। घटना की जानकारी मिलने पर जब ग्रामीण और प्रशासनिक स्तर पर जांच की गई तो मौके पर केवल 16 कटे हुए पेड़ ही मिले, जबकि शेष 14 पेड़ों को ट्रैक्टर और पिकअप गाड़ियों में लादकर आरोपी लोग फरार हो गए।
ग्रामीणों के अनुसार, खेजड़ी राजस्थान का राज्य वृक्ष है और इसे काटना कानूनन अपराध है। इसके बावजूद रात के अंधेरे में सुनियोजित तरीके से पेड़ों की कटाई की गई। बताया जा रहा है कि खेत में प्रस्तावित सोलर प्लांट लगाने के लिए यह कार्रवाई की गई, लेकिन इसके लिए न तो वन विभाग की अनुमति ली गई और न ही पर्यावरणीय नियमों का पालन किया गया।
घटना के बाद गांव में आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सोलर प्लांट लगाने वाली एजेंसी और संबंधित लोगों ने जानबूझकर नियमों की अनदेखी की है। मोमासर गांव के प्रबुद्ध लोगों का कहना है कि खेजड़ी न केवल पर्यावरण संतुलन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि ग्रामीण जीवन, पशुपालन और स्थानीय संस्कृति से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
सूचना मिलने पर वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को अवगत कराया गया। वन विभाग के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर कटे हुए पेड़ों का निरीक्षण किया और गिनती की। प्रारंभिक जांच में अवैध कटाई की पुष्टि हुई है। अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ वन अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
वन विभाग का कहना है कि खेजड़ी जैसे संरक्षित वृक्षों की कटाई गंभीर अपराध की श्रेणी में आती है। दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, यह भी जांच की जा रही है कि सोलर प्लांट के लिए जमीन आवंटन और पर्यावरण स्वीकृति की प्रक्रिया का पालन किया गया था या नहीं।
ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों को जल्द गिरफ्तार किया जाए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जाए। उन्होंने यह भी कहा कि विकास के नाम पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना स्वीकार्य नहीं है और सोलर जैसे प्रोजेक्ट्स भी नियमों के तहत ही लगाए जाने चाहिए।