कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट ने सोमवार को कहा कि अरावली की परिभाषा को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ कांग्रेस 26 दिसंबर को जयपुर में व्यापक प्रदर्शन करेगी। वे केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत गठित एक समिति की अरावली पर्वतमाला की परिभाषा संबंधी हालिया सिफारिशों का जिक्र कर रहे थे, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को स्वीकार कर लिया था।
ALSO READ: 1 घंटे तक आसमान में अटकी 335 लोगों की सासें, Air India के विमान की इमरजेंसी लैंडिंग
नयी परिभाषा के अनुसार, अरावली पर्वतमाला क्षेत्र में स्थित कोई भी भूभाग जिसकी ऊंचाई स्थानीय भूभाग से 100 मीटर या उससे अधिक हो", और "अरावली पर्वतमाला दो या दो से अधिक ऐसी पहाड़ियों का समूह है जो एक दूसरे से 500 मीटर की दूरी के भीतर स्थित हों।
पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सरकार जो करने का इरादा रखती है, उसे रोकने के लिए एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। पायलट ने कहा कि मेरे विचार से, इसका एकमात्र मकसद खनन क्षेत्र में पैसा कमाने वाले कुछ लोगों को खुश करना हो सकता है। इसमें जो भी शामिल हो, इस बात की न्यायिक जांच होनी चाहिए कि इसकी शुरुआत किसने की, कौन कर रहा है और इसके पीछे कौन है।
ALSO READ: Donald Trump की स्पीच सुन लोगों ने पकड़ा सिर, इकोनॉमी से बात मेलानिया के अंडरगारमेंट तक पहुंची
पायलट ने कहा कि वह 26 दिसंबर को जयपुर में होने वाले मार्च में भाग लेंगे ताकि भाजपा शासित सरकारों द्वारा अरावली पर्वतमाला को लुप्त होने देने के इरादे के खिलाफ आवाज उठाई जा सके। उन्होंने कहा कि मेरी राय में, अगले कुछ वर्षों में अरावली पर्वतमाला का यही हाल होने वाला है, यह एक तरह से मौत का फरमान है।
ALSO READ: नेशनल हेराल्ड केस : सोनिया, राहुल को दिल्ली हाईकोर्ट का नोटिस
पायलट ने कहा कि अरावली का मुद्दा केंद्र सरकार और उससे भी ज्यादा भाजपा नेतृत्व को हल करना होगा। अरावली पर्वतमाला वाले चारों राज्य - गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली - भाजपा शासित हैं। Edited by : Sudhir Sharma