टैरिफ दबाव में नहीं झुका भारत, कई देशों से की विन-विन ट्रेड डील
Himachali Khabar Hindi December 25, 2025 02:43 AM

साल 2025 ट्रेड डील का साल रहा और भारत ने इसमें शानदार प्रदर्शन किया. जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बराबरी वाले ट्रेड डील से इनकार किया और भारत समेत कई देशों पर दबाव बनाने के लिए टैरिफ लगाए, तब भारत ने खुलकर व्यापार का रास्ता चुना. भारत ने कई देशों के साथ समझौते किए और कई अन्य से बातचीत शुरू की. दुनिया में भू-राजनीतिक खींचतान, सप्लाई चेन के टूटने और टैरिफ को हथियार बनाने के दौर में, भारत की ट्रेड नीति पहले से ज्यादा आत्मविश्वासी नजर आई.

जहां ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने टैरिफ का दबाव डालकर तेजी से द्विपक्षीय समझौते करवाने की कोशिश की, वहीं भारत ने न तो जल्दबाजी दिखाई और न ही अपनी नीतियों से समझौता किया. इसके उलट, भारत ने न्यूजीलैंड, ओमान और ब्रिटेन के साथ तेजी से ट्रेड डील पूरी की इससे साफ हो गया कि भारत अब प्रतिक्रियात्मक नहीं, बल्कि अपने लंबे राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर फैसले कर रहा है.

दबाव के आगे नहीं झुका भारत

2025 में अमेरिका ने ट्रेड डील को लेकर जल्दबाजी दिखाई और टैरिफ को दबाव के हथियार की तरह इस्तेमाल किया. भारत के निर्यात पर ज्यादा शुल्क लगाए गए और रूस से ऊर्जा व्यापार को लेकर भी पेनल्टी की धमकी दी गई. मकसद साफ था कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भारत से जल्दी रियायतें हासिल करना.

लेकिन भारत नहीं झुका. सरकार ने साफ किया कि कोई भी समझौता देश की आर्थिक हकीकत और खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही होगा. डेयरी सेक्टर, जिससे करोड़ों छोटे किसान जुड़े हैं, उसे खोलने से भारत ने साफ इनकार कर दिया. यह कोई टालमटोल नहीं, बल्कि एक ठोस रणनीतिक फैसला था. इसी तरह कृषि क्षेत्र में भी जल्दबाजी से बचा गया.

जहां सम्मान मिला, वहां समझौता हुआ

अमेरिका के उलट, न्यूजीलैंड, ओमान और ब्रिटेन के साथ बातचीत बिना दबाव के हुई. ब्रिटेन के साथ हुआ समझौता संतुलित रहा, जिसमें भारतीय प्रोफेशनल्स, सर्विस सेक्टर और मैन्युफैक्चरिंग हितों का ध्यान रखा गया. न्यूजीलैंड के साथ समझौते में इस बात का ख्याल रखा गया कि भारत की खेती और डेयरी पर बुरा असर न पड़े. वहीं ओमान के साथ डील से खाड़ी क्षेत्र में भारत की सप्लाई चेन और ऊर्जा सुरक्षा मजबूत हुई. इन तीनों समझौतों की खास बात भरोसा रही. यहां न कोई जबरदस्ती थी, न ही नकली डेडलाइन.

भारत की रणनीति: विकल्प तैयार रखना

भारत अब एक ही बाजार पर निर्भर नहीं रहना चाहता. यूरोपियन यूनियन, पेरू, चिली, GCC देशों और कनाडा के साथ बातचीत इसी सोच का हिस्सा है. इससे भारत पर किसी एक देश के दबाव का असर कम होता है और रणनीतिक आजादी बढ़ती है.

डील करने का भारतीय तरीका

भारत अमेरिका से दूरी नहीं बना रहा है. बातचीत जारी है, लेकिन अब समीकरण बदल चुके हैं. दूसरे देशों के साथ सफल डील से यह साफ हो गया है कि अमेरिका का बाजार हर कीमत पर जरूरी नहीं. भारत की 2025 की ट्रेड नीति यह दिखाती है कि सख्ती और लचीलापन साथ-साथ चल सकते हैं. जहां दबाव होगा, वहां भारत डटेगा. जहां सम्मान होगा, वहां समझौता करेगा. ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। यही भारत का आर्ट ऑफ द डील है सोच-समझकर, सही वक्त पर और लंबे फायदे को ध्यान में रखकर.

© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.