आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा लगातार बढ़ रही है, और इसी बीच एनवीडिया और स्टार्टअप ग्रोक के बीच हाल ही में हुआ समझौता चर्चा का विषय बना हुआ है। ग्रोक ने बुधवार को बताया कि उसने एनवीडिया के साथ अपनी चिप तकनीक के लिए एक लाइसेंस समझौता किया है, और इसके साथ ही उसके संस्थापक और सीईओ जोनाथन रॉस अब एनवीडिया की टीम में शामिल होंगे।
जोनाथन रॉस पहले गूगल में एआई चिप प्रोग्राम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनके साथ ग्रोक के प्रेसिडेंट सनी मद्रा और कई अन्य वरिष्ठ इंजीनियर भी एनवीडिया में शामिल हो रहे हैं। हालांकि, कंपनी ने यह स्पष्ट किया है कि ग्रोक एक स्वतंत्र इकाई के रूप में कार्य करती रहेगी और उसका क्लाउड कारोबार पहले की तरह जारी रहेगा।
यह सौदा पूर्ण अधिग्रहण नहीं है, बल्कि एक नॉन-एक्सक्लूसिव लाइसेंस समझौता है। हालांकि, इस डील की वित्तीय शर्तों का खुलासा नहीं किया गया है। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया था कि एनवीडिया ग्रोक को लगभग 20 अरब डॉलर में खरीद सकता है, लेकिन इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
ग्रोक उन चुनिंदा स्टार्टअप्स में से एक है जो एआई मॉडल के ‘इंफरेंस’ तकनीक पर काम कर रहे हैं। एनवीडिया को इस क्षेत्र में एएमडी, सेरेब्रस सिस्टम्स और अन्य स्टार्टअप्स से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। ग्रोक की खासियत यह है कि यह पारंपरिक हाई-बैंडविड्थ मेमोरी के बजाय ऑन-चिप मेमोरी का उपयोग करता है, जिससे स्पीड में वृद्धि होती है, हालांकि मॉडल का आकार सीमित हो जाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा उस प्रवृत्ति का हिस्सा है जिसमें बड़ी टेक कंपनियाँ स्टार्टअप्स को पूरी तरह से खरीदने के बजाय उनके टैलेंट और तकनीक को लाइसेंस के माध्यम से अपने साथ जोड़ रही हैं। हाल के वर्षों में माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और अमेज़न ने भी इसी तरह के सौदे किए हैं।
ग्रोक की वैल्यूएशन हाल ही में 2.8 अरब डॉलर से बढ़कर 6.9 अरब डॉलर हो गई है। एनवीडिया के सीईओ जेन्सन हुआंग पहले ही संकेत दे चुके हैं कि कंपनी एआई ट्रेनिंग से आगे बढ़कर इंफरेंस मार्केट में भी अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नियामक संस्थाएँ ऐसे सौदों पर ध्यान देंगी, क्योंकि इनमें प्रतिस्पर्धा से संबंधित प्रश्न उठ सकते हैं। हालांकि, इस समझौते को एआई उद्योग में शक्ति संतुलन को बदलने वाला कदम माना जा रहा है।