बडी खबरः चिकन नेक होगा 150 किमी चौड़ा! भारत ने कर लिया फैसला-23 लाख हिंदुओं को…..
Himachali Khabar Hindi December 26, 2025 01:42 AM


Bangladesh News: बांग्लादेश से शेख हसीना की सरकार को हटाए जाने के बाद से वहां की सत्ता कट्टरपंथी ताकतों के हाथ में है. खुद मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस इन कट्टरपंथी ताकतों के हाथों खिलौना बन गए हैं. ऐसे में इस वक्त वहां भारत विरोधी भावनाएं काफी मुखर हैं. ये खबर आप हिमाचली खबर में पढ़ रहे हैं। कट्टरपंथी हर बात पर भारत को धमकी दे रहे हैं.

हालांकि भारत के सामने बांग्लादेश और वहां की कट्टरपंथी ताकतों की औकात बहुत मामूली है. भौगोलिक रूप से पूरी तरह से भारत की गोद में बैठा इस मुल्क के मौजूदा हुक्मरान इस बात को भूल गए हैं कि उनको भारत ने ही पैदा किया है. वे अब उलटे भारत को ही धमकी दे रहे हैं. वे पूर्वोत्तर इलाके को भारत से अलग करने बात करते हैं. वे भारत के सिलिगुड़ी कॉरिडोर जिसे चिकन नेक कहा जाता है, को काटने की धमकी देते हैं.

लेकिन, उनको नहीं पता है कि भारत के शह मात्र से उनका एक बड़ा इलाका आजाद हो सकता है. वह इलाका है रंगपुर डिविजन. इसी डिविजन के बराबर चिकन नेक है और बांग्लादेश के इस डिविजन का करीब-करीब 90 फीसदी बॉर्डर भारत के पश्चिम बंगाल राज्य से जुड़ता है.

अब सोशल मीडिया पर इसको लेकर खूब चर्चा चल रही है. तमाम लोग कह रहे हैं कि अब बहुत हो गया. भारत को राष्ट्र हित को महत्व देते हुए बांग्लादेश से इस डिविजन को आजाद कराने की कोशिश शुरू कर देनी चाहिए. इस डिविजन के आजाद होने भर से भारत का सिलिगुड़ी कॉरिडोर करीब 120 से 150 किमी चौड़ा हो जाएगा. इससे भारत की एक बहुत बड़ी समस्या दूर हो जाएगी.

क्या ऐसा करना संभव है?

देखिए, सैद्धांतिक तौर पर ऐसा करना किसी भी देश के लिए संभव नहीं है. भारत एक जिम्मेदार मुल्क है. वह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करता है. लेकिन, कभी-कभी परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि खुद को बचाने के लिए पड़ोसी मुल्क में परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से हस्तक्षेप करना मजबूरी हो जाती है. ऐसी स्थिति में कोई भी मुल्क हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठा रह सकता है. क्योंकि अंततः बांग्लादेश हमारी गोद में बैठा मुल्क है और उसकी किसी भी हरकत से सीधे तौर पर भारत पर असर पड़ना तय है.

रूस-यूक्रेन जंग है उदाहरण
इस बात को समझने के लिए हम मौजूदा रूस-यूक्रेन जंग को उदाहरण बना सकते हैं. ऐतिहासिक रूप से यूक्रेन सोवियत रूस का हिस्सा था. विभाजन के बाद वह अलग मुल्क बना. फिर वह तेजी से पश्चिम के प्रभाव में आने लगा. दूसरी और रूस को यह बात पसंद नहीं थी. फिर भी वह शांत रहा. लेकिन, यूक्रेन ने एक संप्रभु मुल्क होने के नाते रूस विरोधी ताकतों के साथ हाथ मिलाते रहा. वह रूस विरोधी सबसे बड़े सैन्य गठबंधन नाटो का हिस्सा बनने के लिए झटपटाने लगा.

इस कारण रूस का धैर्य जवाब दे दिया. रूस किसी भी कीमत पर अपनी सीमा पर नाटो की मौजूदगी बर्दाश्त नहीं कर सकता था. इसी कारण उसने यूक्रेन पर हमला किया. रूस के पास सैन्य ताकत है और वह ऐसा करने का दम रखता है. आज स्थिति यह हो गई है कि अमेरिका और तमाम पश्चिमी देश रूस को संघर्ष विराम कराने के लिए जो प्रस्ताव दे रहे हैं उसमें यूक्रेन को नाटो से अलग रखने और रूस द्वारा यूक्रेन के कब्जाए गए हिस्से को मान्यता देने की बात कह रहे हैं. यानी रूस की जो चिंता थी उसे अब पश्चिमी देश भी मानने लगे हैं.

इस तरह यह बात तो स्पष्ट है कि अगर किसी देश की सुरक्षा को खतरा पैदा होता है तो वह मजबूरन इस तर्क को आधार बनाकर सैन्य कार्रवाई कर सकता है. बांग्लादेश के मौजूदा हुक्मरान ऐसी परिस्थिति बनाने में लगे हैं. वे भारत विरोधी ताकतों को लगातार शह दे रहे हैं. ऐसे में भारत सैन्य हस्तक्षेप कर सकता है. लेकिन, यह सैन्य हस्तक्षेप भी रूस-यूक्रेन जंग की तरह काफी व्यापक और बड़ा आर्थिक नुकसान वाला हो सकता है.

अब आते हैं रंगपुर डिविजन पर
वैसे तो 1971 में बांग्लादेश के निर्माण के वक्त भारत के पास सुनहरा मौका था कि वह अपने सिलिगुड़ी कॉरिडोर को चौड़ा करने के लिए बांग्लादेश के इस डिविजन को भारत में मिला ले या फिर उसको एक आजाद मुल्क बनवा दे. उस वक्त भारत के लिए ऐसा करना बहुत आसान था क्योंकि भारत ने इस मुल्क की आजादी के लिए जंग लड़ी थी. पूरी दुनिया से टकराव मोल लिया था. खुद दुनिया का अंकल सैम अमेरिका भारत के खिलाफ था लेकिन दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शानदार नेतृत्व का परिचय दिया और बांग्लादेश का निर्माण करवाया.

करीब 23 लाख हिंदू
रंगपुर डिविजन पूरी तरह पश्चिम बंगाल की गोद बैठा इलाका है. यह एक बड़ा डिविजन है और इसका क्षेत्रफल 16,185 वर्ग किमी है. यहां की कुल आबादी करीब 1.9 करोड़ है. यह एक बहुत ही गहन आबादी वाला इलाका है. यहां प्रति किमी 1200 लोग रहते हैं. इस इलाके में करीब 23 लाख हिंदू रहते हैं, जो कुल आबादी में करीब 13 फीसदी हैं. मुस्लिम समुदाय की आबादी करीब 86 फीसदी है. बांग्लादेश में डिविजन की बात करें तो प्रतिशत में यह रंगपुर डिविजन दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला इलाका है. इस देश के सिलहट डिविजन में सबसे अधिक 13.51 फीसदी हिंदू हैं. संख्या के आधार पर देखें तो राजधानी ढाका डिविजन में सबसे अधिक करीब 28 लाख हिंदू रहते हैं. हालांकि ढाका डिविजन की कुल आबादी 4.42 करोड़ है और प्रतिशत में हिंदुओं की हिस्सेदारी करीब 6.26 फीसदी है.

कैसे अलग हो सकता है रंगपुर
देखिए, सीधे तर सैन्य कार्रवाई कर इस डिविजन को बांग्लादेश से अलग करना बहुत मुश्किल कार्य है. इसके लिए वहां के लोगों को आगे आना पड़ेगा. सबसे पहले तो बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं को इस इलाके में बसना पड़ेगा. उनको यहां की डेमोग्राफी में बदलाव करना पड़ेगा. जब वह एकजुट और किसी खास इलाके में मजबूत होंगे तो आंतरिक रूप से भी उनके लिए खतरा कम हो जाएगा. फिर अगर उनको कोई बाहरी जरूरत पड़ेगी तो भारत के लिए परोक्ष तौर पर सहायता देना आसान होगा. इसके अलावा उनके खिलाफ अत्याचार या जुर्म होता है, या उनका उत्पीड़न किया जाता है या उनके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है तो वे इस आधार पर अपने लिए अलग भू-भाग की मांग कर सकते हैं. ऐसे में उनकी इस मांग को भारत समर्थन कर सकता है. इस तरह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहुंचेगा और इस पर चर्चा होगी. फिर भारत जरूरत पड़ने पर सैन्य हस्तक्षेप कर रंगपुर को आजाद करवा सकता है. क्योंकि रंगपुर की भौगोलिक स्थिति उसे आजाद कराने के लिए पूरी तरह मुफीद है. ऐसे में पहला कदम तो बांग्लादेश में रह रहे हिंदुओं को ही उठाना पड़ेगा.

© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.