News India Live, Digital Desk : उत्तर प्रदेश की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तो पुराना है, लेकिन जब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव हमला बोलते हैं, तो उनकी बातों में चुभन और देसी मुहावरे का मेल कुछ अलग ही माहौल बना देता है। हाल ही में अखिलेश ने एक बार फिर योगी सरकार को आड़े हाथों लिया और कुछ ऐसी बातें कहीं जो सीधे जनता के बीच चर्चा का विषय बन गई हैं।अखिलेश ने कहा कि बीजेपी सरकार के कार्यकाल में प्रदेश की जनता के हाथ में विकास के नाम पर "सिर्फ मिट्टी और धोखा" आया है। बात ज़रा गंभीर है और इस बयान के पीछे छिपे उनके गुस्से को समझना ज़रूरी है।धोखे और मिट्टी का क्या है इशारा?अक्सर चुनावी रैलियों और सभाओं में अखिलेश यादव इसी बात का ज़िक्र करते हैं कि बीजेपी ने जो बड़े-बड़े सपने दिखाए थे, वे धरातल पर नज़र नहीं आ रहे। 'मिट्टी' शब्द का इस्तेमाल उन्होंने शायद यह दिखाने के लिए किया है कि नींव तो खोदी गई, पर उस पर पक्की दीवार कभी खड़ी ही नहीं हुई। बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई और छोटे व्यापारियों की समस्याओं को आधार बनाकर अखिलेश ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि विज्ञापनों में चमकता उत्तर प्रदेश हक़ीक़त में कुछ और ही है।विकास का मुद्दा और जनता का हालअखिलेश यादव का मानना है कि पिछली समाजवादी सरकार ने एक्सप्रेसवे और बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर की जो लकीर खींची थी, उसे बीजेपी आगे नहीं बढ़ा पाई। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि आज यूपी की सड़कों पर सांडों का खौफ है और अस्पतालों की हालत किसी से छुपी नहीं है। बीजेपी जिस 'डबल इंजन' सरकार की बात करती है, उसे अखिलेश 'छल करने वाली मशीन' करार दे रहे हैं।चुनावी विसात पर नई जंग2027 के चुनाव भले ही अभी दूर लगें, लेकिन सियासी बिसात बिछाई जा चुकी है। अखिलेश यादव इस वक्त युवाओं और किसानों के मुद्दों को पुरजोर तरीके से उठा रहे हैं। उनका यह कहना कि "जनता को धोखा मिला है", दरअसल एक बड़े वोट बैंक को गोलबंद करने की रणनीति है। बीजेपी अपनी उपलब्धियां गिनाती है, लेकिन अखिलेश उसे सिर्फ कागज़ी दावे बताकर जनता को हक़ीक़त का आईना दिखा रहे हैं।खैर, राजनीति में किसकी बातों में कितना सच है, ये तो वक्त और आने वाले नतीजे ही तय करेंगे। लेकिन अखिलेश यादव के इस 'मिट्टी और धोखे' वाले बयान ने कम से कम ये तो साफ कर दिया है कि उत्तर प्रदेश में अब मुकाबला और भी तीखा और भावनात्मक होने वाला है।