गुजरात विधानसभा के उपाध्यक्ष जेठाभाई भरवाड़ ने गुरुवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इस्तीफे के पीछे अपनी ‘व्यस्तताओं’ और अन्य जिम्मेदारियों का हवाला दिया है। राज्य सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक विज्ञप्ति में इस बात की जानकारी दी गई। भरवाड़ के इस्तीफे से राज्य की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
विज्ञप्ति के अनुसार, जेठाभाई भरवाड़ ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जगदीश विश्वकर्मा की मौजूदगी में अपना इस्तीफा सौंपा। उन्होंने यह इस्तीफा गांधीनगर स्थित विधानसभा अध्यक्ष शंकर चौधरी के आधिकारिक आवास पर दिया। इस मौके पर पार्टी और विधानसभा से जुड़े कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे।
जेठाभाई भरवाड़ ने अपने इस्तीफे में कहा कि वर्तमान में उनके ऊपर कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हैं और वे उन सभी दायित्वों को पूरी निष्ठा और समय के साथ निभाना चाहते हैं। इसी कारण उन्होंने विधानसभा उपाध्यक्ष के पद से हटने का निर्णय लिया है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह पार्टी और संगठन के साथ पूरी तरह जुड़े रहेंगे और भविष्य में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहेंगे।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार, जेठाभाई भरवाड़ का इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब राज्य में संगठनात्मक और प्रशासनिक स्तर पर कई बदलावों की चर्चा चल रही है। हालांकि, सरकार और पार्टी की ओर से इसे पूरी तरह व्यक्तिगत कारणों से लिया गया फैसला बताया जा रहा है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि यह निर्णय आपसी सहमति और सम्मान के साथ लिया गया है।
जेठाभाई भरवाड़ गुजरात विधानसभा में एक अनुभवी नेता के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने उपाध्यक्ष के रूप में सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से संचालित करने में अहम भूमिका निभाई है। उनके कार्यकाल के दौरान विधानसभा में कई महत्वपूर्ण विधेयकों और चर्चाओं का संचालन शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से किया गया।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भरवाड़ के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने सदन की गरिमा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वहीं, प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष जगदीश विश्वकर्मा ने भी उनके फैसले का सम्मान करते हुए कहा कि पार्टी को उनके अनुभव और मार्गदर्शन की आगे भी जरूरत रहेगी।
अब जेठाभाई भरवाड़ के इस्तीफे के बाद गुजरात विधानसभा के उपाध्यक्ष पद को लेकर नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी जल्द ही इस पद के लिए नए नाम पर विचार कर सकती है, ताकि विधानसभा की कार्यवाही में किसी तरह की बाधा न आए।
भरवाड़ के इस्तीफे को लेकर विपक्षी दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। कुछ नेताओं ने इसे सामान्य प्रशासनिक बदलाव बताया है, जबकि कुछ ने इसके पीछे राजनीतिक कारणों की संभावना भी जताई है। हालांकि, फिलहाल इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी सामने नहीं आई है।