दिल्ली हाईकोर्ट ने एयर प्यूरीफायर पर जीएसटी कम करने की याचिका पर केंद्र से मांगा जवाब
Gyanhigyan December 27, 2025 08:42 AM
दिल्ली हाईकोर्ट का केंद्र सरकार को नोटिस

नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एयर प्यूरीफायर पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में कमी लाने की याचिका पर केंद्र सरकार से विस्तृत उत्तर मांगा है। अदालत ने केंद्र को 10 दिनों के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी। केंद्र ने अदालत को बताया कि जीएसटी काउंसिल की बैठक केवल आमने-सामने हो सकती है, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से नहीं। जस्टिस विकास महाजन और जस्टिस विनोद कुमार की बेंच ने केंद्र को काउंटर-एफिडेविट दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया। केंद्र की ओर से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमन ने एयर प्यूरीफायर को मेडिकल डिवाइस के रूप में मान्यता देने की मांग वाली जनहित याचिका पर विस्तृत उत्तर देने के लिए समय मांगा। जस्टिस महाजन की बेंच ने कहा, "केंद्र की ओर से एन. वेंकटरमन ने कहा कि जीएसटी काउंसिल की बैठक केवल आमने-सामने हो सकती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक संभव नहीं है।"
उन्होंने आगे कहा कि एक विस्तृत काउंटर एफिडेविट की आवश्यकता है और याचिकाकर्ता को इसके बाद जवाब दाखिल करने की अनुमति दी जाएगी। सुनवाई के दौरान वेंकटरमन ने वकील कपिल मदान द्वारा दायर जनहित याचिका की वैधता पर गंभीर आपत्ति जताई। उन्होंने तर्क दिया कि याचिका पक्षपातपूर्ण है और सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति को प्रभावित करने वाले निर्देशों की मांग करने के बावजूद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पक्षकार बनाए बिना दायर की गई थी। केंद्र के कानून अधिकारी ने कहा, "हमारी एक आपातकालीन बैठक हुई थी। हमें इस पीआईएल से चिंता है। हमें नहीं पता कि इस याचिका के पीछे कौन है। यह पीआईएल नहीं है। स्वास्थ्य विभाग तो पार्टी भी नहीं है।" उन्होंने कहा, "सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सहमत होना होगा। वित्त मंत्री सदस्य हैं। यदि किसी चीज पर वोटिंग होनी है तो वह केवल आमने-सामने ही हो सकती है।"
एन. वेंकटरमन ने आगे कहा कि निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना जीएसटी में कमी का निर्देश देना "पैंडोरा बॉक्स" खोल सकता है। केंद्र के कानून अधिकारी ने कहा, "संसदीय समिति ने कुछ सिफारिश की है। एक प्रक्रिया है। हम अभी कुछ नहीं कह रहे हैं। या तो हम कम करेंगे या नहीं। संवैधानिक मुद्दा शामिल है," यह सुझाव देते हुए कि जनहित याचिका को जीएसटी काउंसिल के सामने एक प्रतिनिधित्व के रूप में माना जा सकता है।
वहीं, याचिकाकर्ता ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन पर संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों का हवाला देते हुए केंद्र की आपत्तियों का जवाब दिया और कहा कि एयर प्यूरीफायर पर गलत जीएसटी स्लैब के तहत टैक्स लगाया जा रहा है। वकील मदान ने कहा, नोटिफिकेशन को पढ़ने से यह स्पष्ट है कि वे एक अलग शेड्यूल के तहत आते हैं और उन पर गलत तरीके से टैक्स लगाया जा रहा है।" उन्होंने आगे कहा कि किसी भी देरी से राष्ट्रीय राजधानी में निवासियों की परेशानी बढ़ेगी, हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि काउंटर एफिडेविट मंगवाए बिना वह इस मामले में अंतिम निर्देश जारी नहीं कर सकता। अब इस मामले की अगली सुनवाई 9 जनवरी को होगी।


© Copyright @2025 LIDEA. All Rights Reserved.