जानिए, तेजस्वी ने कैसे गंवाया सरकार को घेरने का मौका
Garima Singh July 27, 2024 11:27 AM

बिहार विधानसभा का मानसून सत्र खत्म हो गया है. पांच दिनों तक चले इस सत्र में सबसे अधिक चर्चा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के गायब रहने की हुई. मानसून सत्र के दौरान 4 दिन तक वो राज्य से ही गायब रहे.

पांचवें दिन जब पटना पहुंचे तो राजद विधायकों को भी इस बात की आशा थी वे सदन आएंगे, लेकिन तेजस्वी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराना भी मुनासिब नहीं समझा.

नतीजा विपक्ष सदन के भीतर गवर्नमेंट को घेरने में पूरी तरह विफल रहा. गवर्नमेंट 5 दिन में 6 बिल और अनुपूरक बजट पास कराने में सफल रही.

अब पहले 4 सीन में समझिए नेता के बिना कैसे बिखरा विपक्ष

 

अजीत कुमार कुश‌वाहा का आरक्षण को 9वीं सूची में शामिल करने की मांग वाला संकल्प स्पीकर ने ध्वनिमत से गिरा दिया.

सीन-1

मानसून सत्र का पांचवां दिन. लेफ्ट के विधायक अजीत कुमार कुश‌वाहा ने अपने गैर सरकारी संकल्प में बिहार विधानसभा से 65 फीसदी आरक्षण को 9वीं सूची में शामिल करने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पास कराकर केंद्र गवर्नमेंट को भेजने की मांग की. गवर्नमेंट के उत्तर से वे संतुष्ट नहीं हुए. अपना संकल्प भी वापस नहीं लिया और वोटिंग कराने की मांग की, लेकिन स्पीकर ने ध्वनिमत से उनके संकल्प को गिरा दिया. लेफ्ट के विधायक ने ऑफ द रिकॉर्ड कहा- यदि नेता प्रतिपक्ष होते तो स्पीकर ऐसा नहीं कर पाते.

 

स्पीकर चैंबर के बाहर धरने के दौरान ज्यादातर नेता गायब दिखे.

सीन-2

मानसून सत्र का चौथा दिन स्पीकर नंदकिशोर यादव पर मनमानी का इल्जाम लगाकर विपक्ष के विधायकों ने स्पीकर चैंबर के बाहर धरने पर बैठने का फैसला किया. 4-5 विधायक बैठकर नारेबाजी करना भी प्रारम्भ कर दिए. बाकी के विधायकों ने इस प्रदर्शन में दिलचस्पी नहीं दिखाई. कुछ चाय पीने तो कुछ टहलने में व्यस्त हो गए.

 

सदन के अंदर विवश होकर विपक्ष को शैडो सदन बनाना पड़ा.

सीन-3

विपक्ष के विधायक आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल कराने की मांग को लेकर सदन के भीतर प्रदर्शन कर रहे थे. लेकिन, इसकी अगुआई करने वाला कोई नहीं था. गवर्नमेंट उत्तर देने के लिए तैयार थी. स्पीकर सुनने के लिए तैयार थे, लेकिन विपक्ष की तरफ से नेता और नीति की कमी दिखी. नतीजा विपक्ष के विरोध के बाद भी सदन चलते रहा और विपक्षी वेल में नारा लगाते रहे.

 

कांग्रेस के विधायक शकील अहमद सब्जी लेकर विधानसभा पहुंचे थे.

सीन- 4

सत्र का पहला दिन. कांग्रेस पार्टी के विधायक शकील अहमद सब्जी लेकर विधानसभा पहुंचे. उन्होंने इसके रंग बताकर बीजेपी की नीतियों का विरोध किया तो कांग्रेस पार्टी के विधायक राजेश राम संविधान की कॉपी लेकर केंद्र गवर्नमेंट को घेर रहे थे. इधर, लेफ्ट के सभी विधायक राज्य में बढ़ते क्राइम और दुष्कर्म की घटनाओं के लिए नीतीश गवर्नमेंट को उत्तरदायी बता रहे थे. राजद विरोध के इस सीन से पूरी तरह गायब दिखा.

 

विधायक इस तरह से हाथ में झुनझुना लेकर प्रदर्शन करते दिखाई दिए.


1. गिरते पुल और कानून प्रबंध पर गवर्नमेंट से मांग सकते थे जवाब

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने सोशल मीडिया पर अपराध बुलेटिन जारी कर गवर्नमेंट से उत्तर मांगते हैं. बिहार में लगातार पुल गिरने के मामले को भी उन्होंने सोशल मीडिया पर खूब उठाया, लेकिन वास्तविक प्लेटफॉर्म जहां वे नीतीश गवर्नमेंट से सीधा प्रश्न कर सकते थे, जनता की आवाज को रख सकते थे, वहां से उन्होंने गायब होना ही मुनासिब समझा.

न प्रश्नकाल में विपक्ष की तरफ से एक प्रश्न पूछा गया और न विपक्ष के नेता इस मामले पर एकजुट होकर प्रदर्शन कर पाए. लेफ्ट जब इस मामले पर सदन में विरोध कर रहा था, तब कांग्रेस पार्टी सब्जियों के रंग गिना रही थी और राजद के विधायक आरएसएस के प्रतिबंध को जारी रखने की बात कर रहे थे.

2. जब केंद्र ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से इंकार किया

बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के साथ संसद का बजट सत्र भी चल रहा था. 22 जुलाई को केंद्र ने जदयू सांसद रामप्रीत मंडल के प्रश्न के उत्तर में साफ कर दिया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता है.

राजद और स्वयं तेजस्वी इस मामले पर सोशल मीडिया पर बुलंदी से आवाज उठा रहे हैं, लेकिन सदन में जब इस पर मुख्यमंत्री से प्रश्न पूछने का मौका मिला तब तेजस्वी यादव सदन से गायब रहे.

हालांकि, विपक्ष के नेताओं ने झुनझुना लेकर प्रदर्शन जरूर किया. लेकिन, नेता प्रतिपक्ष के अभाव में उनका ये प्रदर्शन कोई बड़ा मैसेज देने में असफल रहा.

 

विधानसभा में सीएम ने विधायक रेखा देवी को नसीहत दी- स्त्री है, कुछ जानती है.

3. जब राजद की स्त्री विधायक को मुख्यमंत्री ने नसीहत दी

मानसून सत्र के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मसौढ़ी की विधायक रेखा देवी को नसीहत दी कि स्त्री हैं कुछ जानती है, उन्हीं के कारण सदन में आई हैं. वे लोग स्त्री को कहां आगे बढ़ा रहे हैं.

पॉलिटिकल एक्सपर्ट की माने तो विपक्ष इस मामले पर कड़ी नाराजगी जता सकता था. तेजस्वी लालू प्रसाद यादव की तरफ से स्त्रियों के लिए लागू की गई योजनाओं और स्त्री सशक्तिकरण की नीतियों को गिना सकते थे, लेकिन उनकी उपस्थिति के कारण विपक्ष इस मामले पर भी कुछ नहीं कर सका.

अपने दायित्वों से भाग रहे हैं तेजस्वी यादव- एक्सपर्ट

वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडेय कहते हैं इस मानसून सत्र में विपक्ष पूरी तरह नेतृत्व विहीन दिखा. न तो विपक्ष के मुद्दों में एकजुटता दिखी और नेताओं में. नतीजा गवर्नमेंट की तरफ से कई मौके मिलने के बाद भी विपक्ष उन्हें घेर नहीं पाया. गवर्नमेंट का मूल काम अनुपूरक बजट को पास कराना था, गवर्नमेंट उसमें सफल रही.

 

राजद के विधायकों ने साधी चुप्पी

दैनिक भास्कर ने विधानसभा में राजद के सीनियर लीडर भाई वीरेंद्र से तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति पर उत्तर लेना चाहा. लेकिन, उन्होंने इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.

तेजस्वी को बताना चाहिए मानसून सत्र के दौरान कहां थे- जदयू

वहीं, तेजस्वी यादव के गायब रहने पर जदयू के मुख्य प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने पूछा- कहां थे? आकाश पाताल या लंदन विद्यालय ऑफ इकोनॉमिक्स में. राज्य के मौजूदा मामले पर आपका प्रश्न पूछने का अधिकार तो है, लेकिन राज्य की जनता को ये भी जानने का अधिकार है.

आप जनता के खजाने का वेतन लेते हैं. किस उद्देश्य से तेजस्वी कहां गए थे, ये साबित करना चाहिए. यदि जनता के दिल में थे तो जनता के पंचायत से कहां गायब थे ये जांच का विषय है.

 

विदेश से लौटने के बाद तेजस्वी से पूछा गया तो उन्होंने कहा- 15 अगस्त से जनता के बीच जाना है, इसलिए वे फिट हो रहे हैं.

तेजस्वी ने कहा- फिट होना महत्वपूर्ण है

विदेश दौरे से पटना लौटने पर तेजस्वी यादव से जब मानसून सत्र से गायब रहने पर प्रश्न पूछ गया तो उन्होंने बोला कि हम जनता के दिल में हैं. तेजस्वी ने बोला कि 15 अगस्त से वे जनता के बीच जाएंगे, इससे पहले फिट होना महत्वपूर्ण है.

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