उच्च कोर्ट के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति उम्र बढ़ाने के लिए कानून बनाने की अफवाहों के बीच, पाकिस्तानी गवर्नमेंट संसद में एक व्यापक न्यायिक सुधार पैकेज पेश करने की योजना बना रही है. इसी क्रम में पाक गवर्नमेंट के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रमुख धर्मगुरु और दक्षिणपंथी राजनेता मौलाना फजलुर रहमान से मुलाकात की और न्यायपालिका से संबंधित कानूनों में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से लाए गए विवादास्पद संविधान संशोधन विधेयक पर उनका समर्थन मांगा. एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाक गवर्नमेंट कानूनी संशोधनों के बारे में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम फजल (जेयूआई-एफ) के प्रमुख मौलाना फजलुर रहमान को समझाने में विफल रही.
मौलाना की स्वीकृति का इंतजार
एआरवाई न्यूज ने बोला कि मुद्दे से जुड़े उनके सूत्रों ने खुलासा किया है कि पाक मुसलमान लीग (नवाज) और पीटीआई ने भी जेयूआई-एफ प्रमुख से संपर्क किया है और पीटीआई प्रतिनिधिमंडल बाद में मौलाना से मुलाकात करेगा. रिपोर्ट में बोला गया है कि मौलाना फजल सरकारी ऑफिसरों से मुलाकात के बाद विपक्ष के साथ भी वार्ता का कार्यक्रम तय करेंगे. एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले शहबाज शरीफ ने बहुप्रतीक्षित ‘संवैधानिक पैकेज’ के मसौदे पर चर्चा के लिए संघीय कैबिनेट की बैठक बुलाई थी. गवर्नमेंट के प्रतिनिधिमंडल में उप पीएम इसहाक डार, गृह मंत्री मोहसिन नकवी और आजम नज़ीर तरार शामिल थे. सूत्रों ने कहा कि मौलाना सैद्धांतिक रूप से संशोधनों का समर्थन करते हैं, लेकिन पूरी योजना का नहीं.
शहबाज गवर्नमेंट संविधान में करना चाहती है कौन सा संशोधन
संशोधनों का विवरण अब भी राज है क्योंकि गवर्नमेंट ने आधिकारिक तौर पर इसे मीडिया के साथ साझा नहीं किया है और ना ही सार्वजनिक रूप से इस पर चर्चा की है. अब तक जो रिपोर्ट मिली है, उससे पता चलता है कि गवर्नमेंट न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने और सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश का कार्यकाल तय करने की योजना बना रही है. गवर्नमेंट संविधान संशोधन के जरिए से एक कानूनी न्यायालय का गठन करना चाहती है तथा संविधान के अनुच्छेद 63-ए में संशोधन करना चाहती है – जो सांसदों के दलबदल से संबंधित है. गवर्नमेंट के पास संविधान में संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत नहीं है और उसे मौलाना रहमान के समर्थन की आवश्यकता है.