जकार्ता : इंडोनेशिया में अलगाववादी उपद्रवियों ने न्यूजीलैंड के उस पायलट को रिहा कर दिया है जिसे पापुआ में एक वर्ष से अधिक समय से बंधक बनाकर रखा गया था. इंडोनेशिया के ऑफिसरों ने इस बारे में जानकारी दी है. ‘कार्टेन्ज पीस टास्कफोर्स’ के प्रवक्ता बायु सुसेनो ने कहा कि इंडोनेशियाई विमानन कंपनी ‘सुसी एयर’ के लिए काम करने वाले क्राइस्टचर्च के पायलट फिलिप मार्क मेहरटेंस को अलगाववादी उपद्रवियों ने मुक्त कर दिया और शनिवार सुबह ‘टास्कफोर्स’ को सौंप दिया. ‘टास्कफोर्स’ एक संयुक्त सुरक्षा बल है जिसे पापुआ में अलगाववादी समूहों से निपटने के लिए इंडोनेशिया गवर्नमेंट ने स्थापित किया है.
सुसेनो ने बोला कि पायलट फिलिप मार्क मेहरटेंस का स्वास्थ्य ठीक है और उन्हें गहन स्वास्थ्य जांच के लिए तिमिका ले जाया गया है. पायलट को बचाने के लिए कई बार सैन्य कार्रवाई भी गई थी लेकिन इसमें इंडोनेशिया की गवर्नमेंट को कोई कामयाबी नहीं मिली थी.
‘फ्री पापुआ मूवमेंट’ के एक क्षेत्रीय कमांडर इगियानस कोगोया के नेतृत्व में उपद्रवियों ने सात फरवरी, 2023 को पारो के एक छोटे से रनवे पर धावा कर दिया था और पायलट मेहरटेंस का किडनैपिंग कर लिया था. कोगोया ने पहले बोला था कि विद्रोही मेहरटेंस को तब तक रिहा नहीं करेंगे जब तक कि इंडोनेशिया की गवर्नमेंट पापुआ को एक संप्रभु राष्ट्र बनने की अनुमति नहीं देती. ‘वेस्ट पापुआ लिबरेशन आर्मी’ ‘फ्री पापुआ मूवमेंट’ की सशस्त्र शाखा है.
दरअसल, 1949 में नीदरलैंड से इंडोनेशिया की स्वतंत्रता पर सहमति बनी, तो पश्चिमी पापुआ डच नियंत्रण में रहा. हालांकि, इंडोनेशिया ने 1961 में डच शासन को खत्म करने के लिए सशस्त्र अभियान चलाया और अमेरिकी समर्थन से दो वर्ष बाद उसे नियंत्रण में ले लिया. 1969 में संयुक्त राष्ट्र में मतदान कराया गया था जिसे स्वतंत्र विकल्प अधिनियम के नाम से जाना जाता है. इस मतदान की आलोचना की गई थी, क्योंकि इंडोनेशिया की देखरेख में सिर्फ़ 1,022 पापुआ नेताओं को ही मतदान करने की अनुमति दी गई थी. इस घटना के बाद से फ्री पापुआ मूवमेंट के नाम से स्वतंत्रता समर्थक उपद्रवियों ने सशस्त्र अभियान प्रारम्भ किया था जो आज भी जारी है.