श्रीलंका के मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे राष्ट्र को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के अपने प्रयासों की कामयाबी के आधार पर एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. कई जानकार इसके लिए 75 सील के विक्रमसिंघे की सराहना कर चुके हैं. विक्रमसिंघे ने बुधवार रात एक चुनावी रैली में बोला था, ‘मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि हमने जो सुधार प्रारम्भ किए हैं, उनपर आगे बढ़ते हुए राष्ट्र के दिवालियापन को खत्म करूं.‘ त्रिकोणीय चुनावी लड़ाई में विक्रमसिंघे को नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) के 56 वर्षीय अनुरा कुमारा दिसानायके और समागी जन बालावेगया (SJB) के 57 वर्षीय नेता साजिथ प्रेमदासा से कड़ी भिड़न्त मिल रही है.
विश्लेषकों का मानना है कि 1982 के बाद से श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनावों के इतिहास में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है. श्रीलंका के ये राष्ट्रपति चुनाव काफी जरूरी माने जा रहे हैं क्योंकि यह चुनाव 2022 के आर्थिक संकट से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे राष्ट्र के भविष्य का निर्णय करेगा. चुनाव को राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के 2 वर्ष के कार्यकाल पर जनमत संग्रह के रूप में भी देखा जा रहा है. मार्क्सवादी नीत गठबंधन ‘नेशनल पीपुल्स पावर’ के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके करप्शन से तंग आ चुके युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो रहे हैं जिसके कारण वह विक्रमसिंघे के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहे हैं.