नई दिल्ली, 21 सितंबर ). हिंदुस्तान के पड़ोसी और चीन के ऋण जाल की वजह से सियासी अस्थिरता झेल रहे श्रीलंका में शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं. राष्ट्र में 2022 में आर्थिक पतन के बाद द्वीप देश में यह पहला चुनाव है.
देश में राष्ट्रपति पद के लिए कुल 38 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. इस चुनाव पर हिंदुस्तान और चीन की गहरी नजर रहेगी, क्योंकि यह द्वीपीय राष्ट्र दोनों राष्ट्रों के लिए रणनीतिक महत्व रखता है.
भारत और श्रीलंका के बीच काफी पुराने पारंपरिक संबंध रहे हैं. इस समय हिंदुस्तान की मुख्य चिंता का कारण श्रीलंका में सियासी अस्थिरता के बीच चीन का बढ़ता असर है.
श्रीलंका में मतदान सुबह 7 बजे (स्थानीय समयानुसार) प्रारम्भ हो गया और शाम 4 बजे खत्म होगा.
वोटिंग के तुरंत बाद मतों की गिनती प्रारम्भ की जाएगी और रिज़ल्ट रविवार को घोषित होने की आशा है. राष्ट्र में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए करीब एक करोड़ 70 लाख लोग मतों का प्रयोग कर रहे हैं.
इस चुनाव में राष्ट्रपति उम्मीदवारों ने अपने एजेंडे में अर्थव्यवस्था से संबंधित मुद्दों को अहमियत दी है, क्योंकि राष्ट्र के लोग मुद्रास्फीति, खाद्य और ईंधन की कमी से जूझ रहे हैं.
देश में पुन: चुनाव की मांग करने वाले रानिल विक्रमसिंघे इस चुनाव में सबसे आगे बताए जा रहे हैं. हालांकि उन्हें दो अन्य सियासी दिग्गजों से कड़ी चुनौती भी मिल रही है. इनमें शनिवार के चुनाव से पहले जनमत सर्वेक्षणों में आगे चल रहे जनता विमुक्ति पेरामुना के उम्मीदवार अनुरा कुमारा दिसानायके हैं तो दूसरे पूर्व राष्ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा के पुत्र और मुख्य विपक्षी दल, समागी जन बालवेगया (एसजेबी) के प्रमुख सजित प्रेमदासा हैं.
श्रीलंका का अगला राष्ट्रपति हिंदुस्तान के लिए बहुत जरूरी होगा. हिंदुस्तान श्रीलंका में बीजिंग के बढ़ते असर को लेकर चिंतित है. श्रीलंका हिंदुस्तान का परंपरागत रूप से एक मजबूत सहयोगी रहा है. श्रीलंका इस समय चीन के ऋण जाल में फंसा है. चीन का बहुत भारी भरकम ऋण श्रीलंका के ऊपर है, जिसकी वजह से श्रीलंका को अपना हंबनटोटा बंदरगाह चीन को 99 वर्ष के लिए लीज पर देना पड़ा था.
साजित प्रेमदासा श्रीलंका में बीजिंग के बढ़ते असर और भागीदारी के सबसे अधिक आलोचक हैं.