शनि देव को ‘न्याय का देवता’ माना जाता है। 9 ग्रहों के समूह में शनि देव को सबसे क्रूर और गुस्सैल माना गया है। लेकिन ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता। शनिदेव सिर्फ़ उन्हीं लोगों को परेशान करते हैं, जिनके कर्म अच्छे नहीं होते और भगवान शनिदेव जिस पर मेहरबान होते हैं उन्हे धन-धान्य से परिपूर्ण कर देते हैं। हल्द्वानी से 6 किलोमीटर दूर रानीबाग में शनिदेव का एक विशाल मंदिर स्थित है। जहां प्रत्येक शनिवार को भव्य भंडारे का आयोजन होता है।
मंदिर में रोज सुबह 7 बजे शनिदेव की पूजा-अर्चना और आरती की जाती है। मंदिर में हर शनिवार को भंडारे का आयोजन भी किया जाता है। शनि भगवान के मंदिर में शनिवार को श्रद्धालु अपने आराध्य के दर्शन करने और पूजा-अर्चना के लिए सुबह से ही पहुंचने लगते हैं। अमावस्या के दिन शनि मंदिर में विशेष पूजा की जाती है, जिसमें नवग्रहों की पूजा की जाती है। हल्द्वानी के रानीबाग में स्थित शनिदेव के मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहता है।
18 वर्ष से जारी है भंडारा
मंदिर के संस्थापक अध्यक्ष हेमंत कुमार ने कहा कि मंदिर को 18 वर्ष पूरे हो चुके है। हिंदुस्तान का यह पहला मंदिर है जहां 8 वाहनों पर साक्षात शनिदेव 9 ग्रहों के साथ स्थापित है। मंदिर में पिछले 18 वर्षों से हर शनिवार भव्य भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें हजारों की संख्या में भक्त प्रसाद ग्रहण करने आते हैं।
शनि देव की वास्तविक कहानी क्या है?
शास्त्रों के अनुसार, शनि देव भगवान सूर्य तथा माता छाया के पुत्र हैं। इन्हें क्रूर ग्रह का श्राप उनकी पत्नी से प्राप्त हुआ था। इनका वर्ण कृष्ण है और यह कौए की सवारी करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शनिदेव श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे और बाल्यावस्था में ही भगवान श्री कृष्ण की आराधना में लीन रहते थे।