सामजिक सुरक्षा पेंशन योजना में करोड़ों का हुआ फर्जीवाड़ा
Garima Singh September 22, 2024 12:27 PM

राजस्थान में सामजिक सुरक्षा पेंशन योजना में करोड़ों का धोखाधड़ी हो रहा है. भास्कर इन्वेस्टिगेशन में सामने आया कि कई लोग फर्जी ढंग से कुष्ठ बीमारी फ्री पेशेंट बनकर हर महीने 2500 रुपए पेंशन उठा रहे हैं. ये धोखाधड़ी ई-मित्र संचालकों, पंचायत समिति और तहस

दरअसल, राजस्थान में विशेष योग्यजन सम्मान पेंशन श्रेणी में कुष्ठ बीमारी मुक्त को 2500 रुपए हर महीने पेंशन मिलती है. दूसरी स्कीम के मुकाबले इसमें सर्वाधिक पेंशन मिलती है. यही कारण है कि पेंशन पाने के लिए बड़े स्तर पर धोखाधड़ी कर हर महीने करोड़ों की चोरी की जा रही है.

दैनिक भास्कर ने कुष्ठ बीमारी मुक्त बनकर पेंशन उठाने वाले लाभार्थियों की पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक जिस ब्लॉक में महज 3 ही कुष्ठ बीमारी मुक्त लोग हैं, वहां सामाजिक इन्साफ एवं अधिकारिता विभाग के अनुसार 48 लोग पेंशन उठा रहे हैं.

संडे बिग स्टोरी में पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

इस फर्जीवाड़े की पड़ताल के लिए हमनें सबसे पहले नागौर CMHO राकेश कुमावत से जिले के एक-एक गांव के कुष्ठ बीमारी फ्री पेशेंट की लिस्ट जुटाई. रिपोर्ट के मुताबिक रियां बड़ी ब्लॉक के तीन गांव जसनगर, चावण्डिया और पादु कलां में कुष्ठ बीमारी से मुक्त होने वालों की संख्या महज एक-एक ही है. जबकि सामाजिक इन्साफ अधिकारिता विभाग का डेटा कहता है कि पूरे ब्लॉक में इस पेंशन के 204 लाभ पाने वाले हैं.

हम सैंसड़ा गांव पहुंचे. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की लिस्ट के मुताबिक सैंसड़ा गांव में एक भी कुष्ठ बीमारी मुक्त पेशेंट नहीं है. लेकिन जब हमने सामाजिक इन्साफ एवं अधिकारिता विभाग का डेटा चेक किया तो पता चला कि सैंसड़ा गांव में 8 लोग कुष्ठ बीमारी मुक्त कैटगरी में 2500 रुपए की पेंशन उठा रहे हैं.

 

केस-1 : लाभ पाने वाले स्त्री बोली- मुझे कभी कुष्ठ बीमारी नहीं हुआ

इस लिस्ट के अनुसार हम सबसे पहले सैंसड़ा बलवंत पुत्र घेवरराम से मिलने पहुंचे, तो घर पर नहीं मिले. लोगों ने कहा कि वो एक प्राइवेट बस पर कंडक्टरी का काम करता है. शायद वो रूट पर होगा. इसके बाद हम बतूल बानो पत्नी शमशुद्दीन लुहार के घर पहुंचे. यहां हमें बतूल बानो मिल गईं. उन्होंने कहा कि उनके पति शमशुद्दीन लुहार की मृत्यु हो गई है. उन्हें स्वयं को कम सुनाई देता है और एक हाथ से वो अपंग भी हैं. हमने उनसे पूछा कि उन्हें पेंशन की धनराशि कितनी मिल रही है? इस पर बतूल बानो ने काफी देर तक कोई उत्तर नहीं दिया.

हमने बार-बार उन्हें पूछा तो उन्होंने हमें कहा कि पहले तो उन्हें एक हजार रुपए ही मिलते थे लेकिन अब 2500 रुपए हर महीने पेंशन आ रही है. इसके बाद हमने उन्हें पूछा कि उन्हें कभी कुष्ठ बीमारी हुआ क्या? इस पर बतूल ने हमें कहा कि उन्हें कभी भी कोई रोग नहीं हुई है.

 

बतूल बानों से वार्ता के दौरान भास्कर रिपोर्टर.

इसके बाद हमने सामाजिक सुरक्षा पेंशन डिपार्टमेंट से बतूल बानो के पेंशन पेमेंट ऑर्डर की जानकारी चेक की तो पता चला कि बतूल बानो को 18 दिसंबर 2010 को पेंशन स्वीकृत की गई थी और इसके बाद वर्ष 2011 के जनवरी महीने से आज तक वो लगातार ये पेंशन प्राप्त कर रही हैं.

 

 

केस-2 : पैरों में दर्द रहता है, कभी कुष्ठ बीमारी नहीं हुआ- लाभार्थी

इसके बाद हम इसी गांव सैंसड़ा में पेंशन लाभ पाने वाले सत्यनारायण पुत्र धन्नादास के यहां पहुंचे. वो हमें घर में हीं सोते हुए मिले. हमने उन्हें जगाया और पेंशन के बारे में पूछताछ की. सत्यनारायण ने हमें कहा कि वे दिव्यांग हैं और उनके पास 60 प्रतिशत दिव्यांगता का सर्टिफिकेट भी है. उन्होंने हमें सर्टिफिकेट भी दिखाया.

 

सत्यनारायण ने वार्ता में कहा कि उन्हें 60 प्रतिशत दिव्यांग्ता है. लेकिन कभी कुष्ठ बीमारी नहीं हुआ.

उन्होंने कहा कि उन्हें कभी तो 1500 रुपए महीने तो कभी 2500 रुपए महीने की पेंशन मिलती है. अभी एक महीने पहले 1500 रुपए पेंशन आई थी तो उसके बाद 2500 रुपए की पेंशन बैंक खाते में जमा हुई है. इसके बाद हमने उन्हें पूछा कि क्या कभी उन्हें कोई रोग हुई थी या कभी कोई कुष्ठ बीमारी हुआ था? इस पर सत्यनारायण ने बोला कि- नहीं उन्हें कभी भी कुष्ठ बीमारी नहीं हुआ है और न ही कोई रोग हुई है. बस पैरों में दर्द रहता है.

 

 

केस-3 साल 2013 से कुष्ठ बीमारी मुक्त कैटगरी में उठा रहे पेंशन

इसके बाद हम इसी गांव सैंसड़ा में एक दूसरे पेंशन लाभ पाने वाले फिरोज पुत्र भंवरू खां के पास पहुंचे. यहां हमें एक बुजुर्ग घर के बाहर बैठे मिले, पूछने पर उन्होंने कहा कि वो ही फिरोज के पिता भंवरू खां है. हमने उनसे फिरोज को लेकर पूछताछ की तो उन्होंने कहा कि फिरोज जोधपुर रहता है. हमने फिरोज को मिल रही पेंशन को लेकर प्रश्न किया तो भंवरू खां ने कहा कि उन्हें पेंशन मिल रही है और टाइम पर भी आ रही है.

 

फिरोज के पिता भंवरू ने कहा कि उनका बेटा जोधपुर रहता है. उन्होंने कुष्ठ बीमारी मुक्त कैटेगरी में 2500 रुपए पेंशन मिलने से इनकार किया.

कितनी पेंशन मिलती है, इस प्रश्न को भंवरू टाल गए. सत्यापन का हवाला देकर पूछने पर कहा कि उनके बेटे फिरोज को 1250 रुपए महीना ही पेंशन मिलती है. पेंशन पेमेंट ऑर्डर की पड़ताल में सामने आया कि फिरोज को 9 फरवरी 2013 से कुष्ठ बीमारी मुक्त कैटगरी में पेंशन स्वीकृत है. फरवरी 2013 से आज तक वे लगातार पेंशन प्राप्त कर रहे हैं.

 

केस-4 : …कुष्ठ बीमारी मुक्त, फिर भी नहीं मिल रही पेंशन

भास्कर पड़ताल में सामने आया कि एक तरफ स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट में नाम नहीं होने के बावजूद लोग पेंशन उठा रहे हैं, वहीं एक मुकदमा भी सामने आया जो पात्र होने के बावजूद इससे वंचित है. नागौर सीएमएचओ राकेश कुमावत से लिस्ट मिलने के बाद हम पादूकलां गांव में कुष्ठ बीमारी मुक्त पेशेंट से मिले. (चिकित्सा विभाग की गाइडलाइन के अनुसार कुष्ठ बीमारी से मुक्त पेशेंट का नाम नहीं लिखा गया है.)

उन्होंने हमें कहा कि उन्हें कुष्ठ बीमारी हुआ था. इसके बाद उन्होंने पहले अजमेर के जेएलएन हॉस्पिटल से लंबा ट्रीटमेंट लिया था. 2017-18 में चिकित्सक ने उन्हें कुष्ठ बीमारी से मुक्त घोषित कर दिया था.

जब हमने उनसे पूछा कि क्या उन्हें कुष्ठ बीमारी मुक्त की पेंशन मिल रही है, तो उन्होंने कहा कि वे अभी तक इससे वंचित हैं. हालांकि उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इस तरह की स्कीम की उन्हें कोई जानकारी भी नहीं थी.

 

सामाजिक इन्साफ एवं अधिकारिता विभाग के पोर्टल पर मौजूद पेंशन स्कीम की जानकारी और पात्रता.

कौन होते हैं कुष्ठ बीमारी फ्री पेशेंट?

दरअसल, राज्य गवर्नमेंट ने कुष्ठ बीमारी (लेप्रोसी) से मुक्त होने वाले लोगों को दिव्यांग मानते हुए उनके भरण-पोषण के लिए पेंशन की प्रबंध की है. सामाजिक सुरक्षा पेंशन की दिव्यांग कैटेगरी में कुष्ठ बीमारी से मुक्त आदमी को सर्वाधिक पेंशन 2500 रुपए है. यह राशि पहले 1500 रुपए थी, जिसे 1 जून 2023 से बढ़ाकर 2500 कर दिया गया था.

कुष्ठ बीमारी मुक्त कैटेगरी में पेंशन के आवेदन के लिए एक सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है, जो कुष्ठ बीमारी जानकार ही जारी करता है.

जांच के बाद जारी होता है कुष्ठ बीमारी फ्री का सर्टिफिकेट

कुष्ठ बीमार से जुड़ी जानकारी और डेटा चिकित्सा विभाग भी अपने पास रखता है. प्रार्थी को ये डॉक्यूमेंट जनाधार पोर्टल पर जाकर अपनी जनाधार आईडी में अपलोड करना होता है. फिर उन्हें पंचायत समिति में विकास अधिकारी से अप्रूव भी करवाना होता है. डेटा औनलाइन अपलोड होता है. इसके बाद प्रार्थी के आवेदन पर पेंशन का ऑर्डर जारी होता है.

 

फर्जीवाड़े का यह खेल कैसे हो रहा है?

हमारी पड़ताल में सामने आया कि फर्जीवाड़े का ये खेल ई-मित्र और पंचायत समिति के लेवल पर किया जा रहा है. दरअसल, वर्तमान प्रक्रिया में ईमित्र संचालक फर्जी डॉक्यूमेंट अपलोड कर प्रार्थी के जनाधार में कुष्ठ बीमारी मुक्त डिसेबिलिटी के लिए एप्लाई कर देता है. इसके बाद ये एप्लिकेशन पंचायत समिति विकास अधिकारी को फॉरवर्ड हो जाती है.

वहां उन डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन विकास अधिकारी करता है. आसार है कि इसी दौरान मिलीभगत कर फर्जी डॉक्यूमेंट अप्रूव कर दिए जाते हैं. इसके बाद इस ई-मित्र संचालक पेंशन के लिए लागू कर देता है. औनलाइन सिस्टम में ऑटोमेटिक ढंग से पीपीओ ऑर्डर जारी हो जाता है.

विभाग क्यों नहीं पकड़ पाते चालाकी?

लूपहोल यह है कि कुष्ठ बीमारी मुक्त का निर्धारण करने वाले चिकित्सा विभाग के डेटा औनलाइन नहीं है. चिकित्सा विभाग के डेटा से पेंशन और जनाधार के डेटा भी लिंक्ड नहीं किया गया है. इसी बात का लाभ ई-मित्र संचालक उठाते हैं. ठीक और फर्जी पेंशनधारी पकड़ में ही नहीं आ पाते. महज प्रार्थी द्वारा ऑफलाइन मौजूद करवाए गए डॉक्यूमेंट के आधार पर ही पेंशन आदेश निकाल दिए जाते हैं. उन डॉक्यूमेंट का कोई औनलाइन ढंग से वेरिफिकेशन ही नहीं हो पाता है.

दूसरा कारण यह भी है कि पेंशन जारी करने वाले सामाजिक इन्साफ अधिकारिता विभाग के पास भी वेरिफिकेशन का कोई प्रॉपर मैकेनिज्म नहीं है. वित्त विभाग पर पहले से ही पेंशन राशि रिलीज करने का प्रेशर बना रहता है तो वहां भी इसकी प्रॉपर ऑडिट या वेरिफिकेशन नहीं हो पा रहा है.

 

अधिकारी बोले- अपात्रों के विरुद्ध लेंगे एक्शन

सामाजिक इन्साफ एवं अधिकारिता विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पेंशन पूरण सिंह ने कहा कि राज्य में वर्तमान में 11 हजार 851 कुष्ठ बीमारी मुक्त पेंशनर्स हैं, जिन्हे हर महीने 2500 रुपए के हिसाब से 2 करोड़ 96 लाख 27 हजार 500 रुपए की पेंशन का भुगतान किया जा रहा है. उन्होंने कहा प्रदेश में जब से जनाधार के अपडेशन प्रारम्भ हुए हैं, तब से जनाधार डेटाबेस पर ही डिसेबिलिटी और पेंशन की एप्लीकेशन अप्रूव हो रही हैं.

इससे पहले के पेंशनधारियों का भी जनाधार वेरिफिकेशन जरूरी किया गया था. हां, उस समय कुछ लोग अपना वेरिफिकेशन नहीं करवा पा रहे थे तब एक प्रोविजन कर लोगों को रियायत दी गई थी कि वो सेंक्शन अथॉरिटी को अपने डॉक्यूमेंट देकर वेरिफिकेशन करवा लें.

संभवतया जो लोग जानते थे कि वो फर्जी ढंग से पेंशन उठा रहे हैं, उन्होंने फर्जी डॉक्यूमेंट से अपना पेंशन वेरिफिकेशन करवाया होगा. ऐसे मामलों में तुरन्त पेंशन इसलिए नहीं रोक रहे है कि कहीं कोई ठीक पात्र आदमी को पेंशन का हानि नहीं हो जाए.

 
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