औरंगाबाद जिले में डेंगू का कहर बरप रहा है. डेंगू के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस माह में एलिजा टेस्ट में अबतक 39 लोग डेंगू के पॉजिटिव पाए गए हैं. NS1 के माध्यम से 185 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं. हालांकि 771 लोगों का 1 अगस्त से अब तक सैंपल लिया
इन सभी का औरंगाबाद सदर हॉस्पिटल के डेंगू वार्ड में उपचार किया गया है. अभी चार से पांच रोगियों का वार्ड में उपचार चल रहा है. 22 और 23 सितंबर को सैंपल के बाद एक भी डेंगू पॉजिटिव नहीं मिले. सदर हॉस्पिटल के उपाधीक्षक डाक्टर आशुतोष कुमार ने कहा कि डेंगू वार्ड में डेंगू के शिकार उन्ही रोगियों को भर्ती किया जाता है, जिनका प्लेटलेट्स काउंट कम पाया जाता है.
जिन रोगियों का प्लेटलेट्स काउंट ठीक होता है, उन्हे दवा और परामर्श देकर घर भेज दिया जाता है. इस वजह से अभी हॉस्पिटल में चार-पांच रोगी ही भर्ती हैं, जिनका प्लेटलेट्स काउंट कम है. उन्होंने बोला कि उपचार के बाद कई रोगी स्वस्थ होकर अपने घर पर हैं.
सदर हॉस्पिटल में रोगी और उनके परिजनों की भीड़.
10 दिन तक रहता डेंगू का बुखार
औरंगाबाद सदर हॉस्पिटल के प्रबंधक हेमंत राजन ने डेंगू का लक्षण बताते हुए बोला कि डेंगू से पीड़ित लोगों को अचानक तेज बुखार, सिर दर्द, उल्टी, शरीर और आंखों में दर्द होता है. सांस लेने में कठिन हो तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ केंद्र में उपचार कराएं.
डेंगू एक संक्रमण है, जो मच्छरों के काटने से होता है. डेंगू का बुखार चार से दस दिनों तक रहता है. हालांकि गंभीर मामलों में बुखार 10 से अधिक दिन भी रह सकता है. डेंगू का तुरंत इलाज कराना चाहिए. डेंगू बुखार रहने पर रोगी को मच्छरदानी और साफ-सुथरी स्थान पर रहना चाहिए ताकि वह दूसरों को संक्रमित न कर सके. बुखार आने पर जल्द से जल्द इसका इलाज कराना चाहिए.
डेगू से पीड़ित लोगों के लिए गए सैंपल.
सदर हॉस्पिटल में डेंगू के उपचार की उचित व्यवस्था
औरंगाबाद के जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने कहा कि औरंगाबाद सदर हॉस्पिटल में डेंगू के उपचार की उचित प्रबंध है. इसे लेकर लोगों को सतर्क भी किया जा रहा है. लोगों से अपील हैं कि कहीं भी जलजमाव नहीं होने दें.
मच्छरों से बचने के लिए लोशन या मच्छरदानी या स्प्रे का इस्तमाल करें. घर के आसपास सफाई रखें. पानी के बर्तनों को ढक कर रखें. कुलर में पानी बदलते रहें. खाली बर्तन, खाली डिब्बे, टायर, गमले, मटके, बोतल आदि में पानी एकत्रित नहीं होने दे. घर के दरवाजे, खिड़की और रौशनदान में जाली लगवाएं और सुरक्षित कपड़े पहने.