अर्थजगतः शेयर बाजार ऑल-टाइम हाई लगाने के बाद सपाट बंद और टाटा पावर के ट्रॉम्बे संयंत्र में आग लगी, नुकसान नहीं
Navjivan Hindi September 25, 2024 03:42 AM
शेयर बाजार ऑल-टाइम हाई लगाने के बाद सपाट बंद

भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार के कारोबारी सत्र में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। सत्र की शुरुआत में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने क्रमश: 85,163 और 26,011 का नया ऑल-टाइम हाई बनाया, लेकिन ऊपरी स्तर पर बाजार टिक नहीं सका। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 14 अंक की मामूली गिरावट के साथ 84,914 और निफ्टी एक अंक की बढ़त के साथ 25,940 पर था। सत्र के दौरान बैंकिंग शेयरों में बिकवाली हुई। निफ्टी बैंक 137 अंक या 0.25 प्रतिशत की गिरावट के साथ 53,968 पर बंद हुआ।

सेंसेक्स पैक में टाटा स्टील, पावर ग्रिड, टेक महिंद्रा, एचसीएल टेक, एमएंडएम, जेएसडब्ल्यू स्टील, विप्रो, टाटा मोटर्स, एचडीएफसी बैंक, सन फार्मा, भारती एयरटेल, मारुति सुजुकी, टीसीएस और एलएंडटी टॉप गेनर्स थे। एचयूएल, अल्ट्राटेक सीमेंट, इंडसइंड बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, टाइटन, नेस्ले और बजाज फाइनेंस टॉप लूजर्स थे। लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप शेयरों में तेजी थी। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 138 अंक या 0.23 प्रतिशत की तेजी के साथ 60,850 पर बंद हुआ। हालांकि, निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 108 अंक या 0.56 प्रतिशत की गिरावट के साथ 19,440 पर बंद हुआ।

सेक्टर के हिसाब से देखें तो ऑटो, आईटी, फार्मा, मेटल, एनर्जी, इन्फ्रा और कमोडिटी सबसे ज्यादा बढ़ने वाले इंडेक्स थे। वहीं, पीएसयू बैंक, फिन सर्विस, एफएमसीजी, रियल्टी, प्राइवेट बैंक और हेल्थकेयर इंडेक्स दबाव के साथ बंद हुए। एलकेपी सिक्योरिटीज में वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार रूपक दे का कहना है कि पिछले तीन दिनों की तेजी के बाद निफ्टी में रुकावट देखी गई। 26,000 एक अहम रुकावट का स्तर है। इस कारण से निफ्टी कुछ दिनों तक 25,800 और 26,000 के बीच रह सकता है।

टाटा पावर के ट्रॉम्बे संयंत्र में आग लगी, नुकसान नहीं

टाटा पावर के महाराष्ट्र के ट्रॉम्बे संयंत्र में आग लग गयी। कंपनी ने मंगलवार को शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि आग लगने के कारणों की फिलहाल जांच की जा रही है और किसी के घायल होने या जानमाल के नुकसान की खबर नहीं है।

टाटा पावर ने कहा, “...23 सितंबर, 2024 को ट्रॉम्बे संयंत्र की यूनिट संख्या-5 (500 मेगावाट इकाई) के नियंत्रण कक्ष में आग लग गई।” कंपनी ने कहा कि वह आग से हुए वास्तविक नुकसान का आकलन कर रही है। टाटा पावर ने कहा, “संयंत्र का पर्याप्त बीमा है और बीमा कंपनी को इसकी पूरी जानकारी दे दी गई है।”

अमेजन को त्योहारी मांग के पिछले साल के मुकाबले अधिक रहने की उम्मीद

ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन इंडिया ने आगामी त्योहारी सीजन के लिए कमर कस ली है और उसे उम्मीद है कि इस वर्ष मांग पिछले साल से अधिक रहेगी। कंपनी के उपाध्यक्ष (परिचालन) अभिनव सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ के साथ साक्षात्कार में भारत में ‘‘दीर्घकालिक’’ अवसरों पर बात की और कहा कि अमेजन अन्य ई-कॉमर्स कंपनियों तथा त्वरित वाणिज्य क्षेत्र में उभरती कंपनियों से प्रतिस्पर्धा को किस प्रकार देखती है। उन्होंने ‘‘भारी छूट’’ के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि एक बाजार के रूप में अमेजन मूल्य निर्धारण को नियंत्रित नहीं करती है। यह उसके मंच पर विक्रेताओं का विशेषाधिकार है।

हालांकि, सिंह ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा की गई प्रतिस्पर्धा-रोधी जांच पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन जोर देकर कहा कि अमेजन कानूनों का पूरी तरह से पालन करती है। उन्होंने कहा कि कंपनी भारत को एक ‘‘दीर्घकालिक अवसर’’ की तरह देखती है, जिसमें ‘‘बड़ी’’ संभावनाएं हैं और यह एक ऐसा स्थान है जहां वह एक बड़ा कारोबार बनाने, लाखों विक्रेताओं को डिजिटल रूप से जोड़ने, बड़ी संख्या में ग्राहकों की सेवा करने तथा उद्यमियों का एक बड़ा तंत्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

सिंह ने कहा, ‘‘ यह दीर्घकालिक और बेहद बड़ा अवसर है...इसे एक अरब लोगों के नजरिये से देखें, एक ऐसी अर्थव्यवस्था के साथ जो बहुत जल्द तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रही है। इसलिए उस नजरिये से भारत के लिए बहुत कुछ हो रहा है...यह एक भारतीय के रूप में मेरे लिए बेहद आशावादी बात है और यह मुझे यहां काम करने, डिजिटल बुनियादी ढांचे को बदलने में मदद करने तथा सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन में योगदान देने के लिए वास्तव में उत्साहित करता है।’’

फियो का सरकार से ब्याज सहायता योजना को पांच साल के लिए बढ़ाने का आग्रह

निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो ने मंगलवार को सरकार से इस क्षेत्र में कर्ज प्रवाह बढ़ाने के लिए ब्याज सहायता योजना को पांच साल के लिए बढ़ाने का आग्रह किया, ताकि देश के निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। अगस्त में निर्यात में 13 महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी और यह 9.3 प्रतिशत घटकर 34.71 अरब डॉलर रहा था। इसी महीने सरकार ने ब्याज समानीकरण/अनुदान योजना को एक महीने और बढ़ाकर 30 सितंबर तक कर दिया है। इस योजना के तहत निर्यात से पहले और बाद में रुपया निर्यात ऋण पर ब्याज लाभ प्रदान किया जाता है।

भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने यहां संवाददाताओं से कहा, “यह योजना 30 सितंबर को समाप्त हो जाएगी। हमने इसे पांच साल के लिए बढ़ाने का अनुरोध किया है। अगर ब्याज समानीकरण योजना नहीं होगी, तो हम कुछ बाजार और कुछ ऑर्डर खो देंगे।” यह योजना चिह्नित क्षेत्रों के निर्यातकों और सभी एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम) विनिर्माता निर्यातकों को ऐसे समय में प्रतिस्पर्धी दरों पर रुपया निर्यात ऋण प्राप्त करने में मदद करती है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था मुश्किलों का सामना कर रही है। निर्यातकों को निर्यात से पहले और बाद में रुपया निर्यात ऋण के लिए ब्याज समानीकरण योजना के तहत सब्सिडी मिलती है। यह योजना एक अप्रैल, 2015 को पांच साल के लिए 31 मार्च, 2020 तक लागू की गई थी। इसके बाद इसे जारी रखा गया, जिसमें कोविड-19 महामारी के दौरान एक वर्ष का विस्तार, तथा आगे भी विस्तार और निधि आवंटन शामिल है।

अडानी ग्रीन एनर्जी, अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस यूएनईजेडए में शामिल

अडानी ग्रीन एनर्जी और अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस ‘यूटिलिटीज फॉर नेट जीरो अलायंस’ (यूएनईजेडए) में शामिल हो गई हैं। दोनों कंपनियों ने मंगलवार को संयुक्त बयान में यह जानकारी दी। यूएनईजेडए की स्थापना सीओपी28 में यूएई की कार्य घोषणा को अपनाने के साथ की गई थी। यह गठबंधन अग्रणी वैश्विक इकाइयों और बिजली कंपनियों को एकजुट करता है ताकि नवीकरणीय ऊर्जा के लिए तैयार ग्रिड के विकास को आगे बढ़ाया जा सके, स्वच्छ ऊर्जा समाधान को बढ़ावा दिया जा सके और विद्युतीकरण प्रयासों को आगे बढ़ाया जा सके।

बयान के अनुसार, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एजीईएल) और अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस लिमिटेड (एईएसएल) भारत में अपने-अपने क्षेत्रों में इस वैश्विक गठबंधन में शामिल होने वाली पहली कंपनियां बन गई हैं। यूएनईजेडए के सदस्य के तौर पर एजीईएल स्वच्छ ऊर्जा के निर्माण, ऊर्जा सुरक्षा में वृद्धि और ऊर्जा दक्षता में सुधार जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जबकि एईएसएल हरित ऊर्जा के पारेषण और वितरण के लिए एक विश्वसनीय ग्रिड बुनियादी ढांचे के विकास की दिशा में अपने प्रयासों को दोगुना करेगी। एजीईएल और एईएसएल, दोनों का लक्ष्य 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करना है।

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