अयोध्या में तिरुपति बालाजी का प्रसाद खाकर ग्लानि महसूस करने वालों का शुद्धिकरण किया गया शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के निर्देश पर पंचगव्य का स्टाल लगाकर लोगों को पिलाया गया
अयोध्या। आंध्र प्रदेश के तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद का टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीते दिनों ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने अयोध्या में घोषणा किया था कि जिसने तिरुपति बालाजी का प्रसाद खाया है या फिर तिरुपति बालाजी से आया प्रसाद प्राण प्रतिष्ठा में खाया है, उसके लिए स्टॉल लगाकर पंचगव्य पिलाया जाएगा, ताकि उनको शुद्ध किया जा सके। इसी कड़ी में मंगलवार को रामनगरी अयोध्या के सरयू तट पर स्टॉल लगाकर लोगाें को पंचगव्य का सेवन कराया गया। गोध्वज यात्रा लेकर अयोध्या पहुंचे शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के निर्देश पर धर्मसेना प्रमुख संतोष दुबे के नेतृत्व में स्टॉल लगाकर लोगों को पंचगव्य पिलाया गया।
संतोष दुबे ने कहा कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद में सूअर की चर्बी और अन्य आपित्तजनक वस्तुएं मिलने की बात सामने आई है। तिरुपति से आए प्रसाद रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भी बांटे गए थे। ऐसे में प्रसाद ग्रहण करने वाले लोग पाप बोध से ग्रसित थे। उन्हें पापबोध से मुक्त करने और पवित्र करने के उद्देश्य से जगद्गुरु अविमुक्तेश्वरानंद के निर्देश पर पंचगव्य पिलाया गया। यह पंचगव्य अपवित्र आत्मा और शरीर को पवित्र करता है। अभी यह अयोध्या में बांटा गया है फिर प्रदेश के घर-घर और फिर राष्ट्र के घर-घर में बांटा जाएगा।
क्या होता है पंचगव्य
इतना ही नहीं आनें वाले दिनों में प्रदेश स्तर पर लोगों के घरों में जा जाकर एक सीसी में इसका सेवन कराया जाएगा, ताकि जिन लोगों ने भी प्रसाद ग्रहण किया उनको किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो। पंचगव्य में गायमूत्र है, गाय का घी, गाय का दही, गाय का गोबर और गाय का दूध मिलकर इसको तैयार किया गया है।