Crude Oil के दाम गिरते ही भारत की हुई मौज
Sneha Srivastava September 27, 2024 11:27 PM
भारत अपनी कच्चे ऑयल की आवश्यकता का एक बड़ा हिस्सा यानी करीब 80 प्रतिशत आयात से पूरा करता है. यदि कच्चे ऑयल का आयात करने वाले राष्ट्रों की सूची देखें तो चीन और अमेरिका के बाद हिंदुस्तान तीसरे नंबर पर है. इससे साफ है कि कच्चे ऑयल के आयात से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ता है. लेकिन, अब यह बोझ काफी कम होने जा रहा है और इसकी वजह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे ऑयल की कीमतों में गिरावट है.

भारत को कितना होगा फायदा
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे ऑयल की कीमतों में नरमी बनी हुई है. इसके चलते गवर्नमेंट को चालू वित्त साल 2024-25 में ऑयल आयात पर पिछले वित्त साल के मुकाबले 60 हजार करोड़ रुपये की बचत हो सकती है. एक अनुमान के अनुसार कच्चे ऑयल में एक $ प्रति बैरल की गिरावट से हिंदुस्तान के सालाना आयात बिल में 13 हजार करोड़ रुपये की बचत होती है. आर्थिक सर्वेक्षण 2024 में चालू वित्त साल में कच्चे ऑयल की औसत मूल्य 84 $ प्रति बैरल रहने का संभावना व्यक्त किया गया था. हालांकि, कच्चे ऑयल की मूल्य में लगातार नरमी देखने को मिल रही है. अंतर्राष्ट्रीय बाजार में यह 70 से 75 $ प्रति बैरल के स्तर पर बना हुआ है. जानकारों का मानना ​​है कि यदि कीमतें इसी दायरे में स्थिर रहीं तो हिंदुस्तान चालू वित्त साल की शेष अवधि में कच्चे ऑयल के आयात पर भारी बचत कर सकेगा.

रुपया भी मजबूत होगा
केडिया एडवाइजरी के निदेशक अजय केडिया का बोलना है कि 2025 में कच्चे ऑयल की कीमतों में नरमी आने की आशा है और इनके 80 $ प्रति बैरल से नीचे रहने का अनुमान है. यदि यह मूल्य मार्च 2025 तक बनी रहती है तो भारतीय अर्थव्यवस्था को काफी लाभ होगा. हिंदुस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार का एक बड़ा हिस्सा कच्चे ऑयल की खरीद में इस्तेमाल होता है. आयात बिल में कमी आने से भारतीय रुपया अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हो सकता है. फिलहाल भारतीय रुपया $ के मुकाबले 83.60 के स्तर पर स्थिर है, जबकि विकसित राष्ट्रों की मुद्राओं में काफी गिरावट आई है. आयात बिल में कमी आने से गवर्नमेंट के पास निवेश के लिए भी अधिक धन मौजूद होगा

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