सुप्रीम न्यायालय ने बुधवार को बोला कि हिंदुस्तान के किसी भी हिस्से को कोई भी पाक की तरह नहीं बता सकता. जजों को ऐसी आपत्तिजनक टिप्पणी से परहेज करना होगा. इसके साथ ही कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायधीश वी श्रीशानंद की कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर कार्रवाई को बंद कर दिया गया. पांच जजों की बेंच ने बोला कि जस्टिस वी। श्रीशेषानंद ने ओपन न्यायालय में 21 सितंबर को माफी मांग ली थी. चीफ जस्टिस डी। वाई। चंद्रचूड़ ने कहा, ‘जज सुनवाई के दौरान किसी भी अवांछित टिप्पणी से बचें. इस हफ्ते यानी 23 सितंबर से 28 सितंबर 2024 तक क्या कुछ हुआ? न्यायालय के कुछ खास ऑर्डर/जजमेंट और टिप्पणियों का विकली राउंड अप आपके सामने लेकर आए हैं. कुल मिलाकर कहें तो आपको इस हफ्ते होने वाले हिंदुस्तान के विभिन्न न्यायालयों की मुख्य खबरों के बारे में बताएंगे.
दिल्ली-NCR में प्रदूषण को लेकर SC ने मांगा स्पष्टीकरण
सुप्रीम न्यायालय ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता की नज़र और प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए कारगर कदम उठाने में विफल रहने के लिए केंद्रीय वायु गुणवत्ता पैनल को कड़ी फटकार लगाई. जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से प्रदूषण और पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में पूछा. कोर्ट ने प्रदूषण और पराली जलाने के मुद्दे से निपटने के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को फटकार लगाते हुए बोला कि उसे और अधिक एक्टिव होने की आवश्यकता है.
गुजरात गवर्नमेंट पर कमेंट हटाने से उच्चतम न्यायालय का इनकार
बिलकिस बानो मुकदमा में उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को गुजरात गवर्नमेंट को झटका दिया. न्यायालय ने गवर्नमेंट की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें बिलकीस बानो मुद्दे में राज्य के विरुद्ध की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर निर्णय की समीक्षा करने का निवेदन किया गया था. दरअसल, इसी वर्ष जनवरी में उच्चतम न्यायालय ने गुजरात के 2002 के दंगो के दौरान बिलकिस बानो से बलात्कार और उनके परिजनों की मर्डर मुद्दे में उम्रकैद की सजा काट रहे 11 दोषियों की रिहाई के गुजरात गवर्नमेंट के निर्णय को खारिज कर दिया था. उच्चतम न्यायालय ने इस दौरान राज्य गवर्नमेंट के विरुद्ध कुछ टिप्पणी भी की थी. उच्चतम न्यायालय में गुजरात गवर्नमेंट ने अर्जी दाखिल कर टिप्पणियों को हटाने की गुहार लगाते हुए रिव्यू पिटिशन फाइल की थी.
धर्म बैकग्राउंड जो भी हो सभी पर लागू घरेलू अत्याचार एक्ट
डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट (डीवी ऐक्ट) को लेकर उच्चतम न्यायालय ने अहम निर्णय सुनाया. न्यायालय ने बोला कि घरेलू अत्याचार से स्त्रियों का संरक्षण कानून, 2005 एक सिविल नेचर का कानून है, जो हिंदुस्तान में हर स्त्री पर लागू होता है, चाहे वह स्त्री किसी भी धर्म या सामाजिक बैकग्राउंड से ताल्लुक रखती हों. जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन। कोटिश्वर सिंह की पीठ ने बोला कि 2005 का कानून संविधान के अनुसार दिए गए अधिकारों की अधिक कारगर सुरक्षा के लिए सभी स्त्रियों पर लागू है.