Dream Recording Device: कल रात को आपने क्या सपना देखा था? रात में सोने के समय ज्यादातर लोग सपने देखते हैं, जिसमें तरह-तरह की एक्टिविटीज शामिल होती हैं। हालांकि, नींद खुलने के बाद अधिकांश लोग अपने सपने को याद नहीं रख पाते हैं। लेकिन जरा सोचिए कि कैसा हो यदि आप वह सपना दोबारा देख सकें, जो आपने पहले कभी देख रखा हो? यदि आप यह सोच कर हैरत में पड़ गए हों, तो आपको बता दें कि ऐसा संभव होगा। दरअसल, जापान के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट तैयार किया है, जिसकी सहायता से लोग अपने सपनों को रिकॉर्ड कर पाएंगे।
यह इंस्ट्रूमेंट आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और ब्रेन इमेजिंग का इस्तेमाल कर बनाया गया है। इस अनोखे आविष्कार से जुड़ा एक रिसर्च हाल ही में जापान के क्योटो शहर में एटीआर कम्प्यूटेशनल न्यूरोसाइंस लैबोरेटरी में आयोजित किया गया। प्रोफेसर यूकियासू कमितेनी की अगुवाई में उनकी टीम ने सपने देखने से जुड़ी डीटेल्ड न्यूरल एक्टिविटी को रिकॉर्ड करने के लिए फंक्शनल मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग काे प्रयोग में लाया था। यह इंस्ट्रूमेंट बनाने के लिए रिसर्च टीम के साइंटिस्ट्स ने बड़ा काम किया।
सपनों की जांच करनेवाले रिसर्च के लिए, नींद की शुरुआती हालत में कुछ वॉलंटियर्स की कॉग्निटिव एक्टिविटी पर नजर रखी गई। जब वे रैपिड आई मूवमेंट वाली नींद की अवस्था में पहुंच गए, तो रिसर्च टीम ने उन्हें जगाया और उनके सपनों के बारे पूछा। गौरतलब है कि रैपिड आई मूवमेंट नींद की एक ऐसी हालत है, जिसमें सोते समय लोगों की आंखें हिलती हैं। तब उनका मस्तिष्क एक्टिव होता है और वे इसी दौरान सपने देखते हैं। इसके बाद विशेष ब्रेन पैटर्न से जुड़े चित्रों का डेटाबेस तैयार करने के लिए यह प्रक्रिया बार-बार दोहरायी गई।
साइंटिस्ट्स ने रिसर्च में शामिल वॉलंटियर्स के दिमाग स्कैन करने और खास ब्रेन पैटर्न से जुड़ी इमेजेस काे एनालाइज किया, तो सपनों की बतायी गई कहानी 60 फीसदी तक एक्यूरेट निकली। खास विजुअल ऑब्जेक्ट्स की वजह से यह एक्यूरेसी 70 फीसदी से अधिक तक बढ़ गई। रिसर्च टीम का दावा है कि यह इंस्ट्रूमेंट ह्यूमन ब्रेन को अच्छी तरह समझ सकता है और सपने देखने के महत्व को समझने में न्यूरोसाइंटिस्ट्स, साइकोलॉजिस्ट्स और रिसर्चर्स के लिए मददगार है।
टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, प्रोफेसर यूकियासू कमितेनी ने कहा, हम नींद के दौरान ब्रेन एक्टिविटी के जरिये सपनों को रिकॉर्ड करने में सक्षम रहे, जो लोगों की बतायी गई रिपोर्ट से मेल खा रहे थे। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के कॉग्निटिव न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ मार्क स्टोक्स ने कहा, रिसर्च का यह एक्सपीरिएंस एक्साइटिंग है, जो हमें सपनों को पढ़नेवाली मशीनों के कंसेप्ट के पास लाया है। यह इंस्ट्रूमेंट लोगों के मेंटल हेल्थ को समझने, उनकी पर्सनालिटी को एनालाइज करने और साइकोलॉजिकल डिसॉर्डर्स को दूर करने में कारगर हो सकता है।