बाढ़ से हालात बेकाबू! घरों में पानी घुसने के कारण लोग ऊंचे स्थानों पर ले रहें शरण
Garima Singh September 29, 2024 05:27 PM

पूर्णिया में पिछले 3 दिनों से लगातार बारिश हो रही है. कोसी (भीम नगर) बैराज से 6 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के कारण अमौर और रुपौली में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. अमौर की कनकई महानंदा ,परमान, बकरा और दास नदी ने विकराल रूप ले लिया है. रूपौली में भी

रुपौली के 8 पंचायत में बाढ़ के हालत बन गए हैं. यहां जन जीवन पूरी तरह अस्त व्यस्त हो गया है. अमौर और रुपौली के 2 हजार अधिक घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. 8 हजार से अधिक की जनसंख्या बाढ़ से प्रभावित है. अमौर, रुपौली, बायसी सीओ को अलर्ट मोड में रहने को बोला गया है. SDRF की टीम बाढ़ प्रभावित इलाकों में कैंप कर रही है.

 

बाढ़ से हालत बेकाबू है.

सड़क के ऊपर बह रहा बाढ़ का पानी

अमौर में सबसे बदतर हालात हैं. सड़क के ऊपर से बाढ़ का पानी बह रहा है. नाव की प्रबंध नहीं होने से लोग जिला मुख्यालय तक नहीं पहुंच पा रहे. SH-99 पर पलसा चौक से लाल टोली जाने वाली सड़क के ऊपर जगह-जगह बाढ़ का पानी बह रहा है. स्टेट हाइवे-99 में हलालपुर चौक से पैठान टोली जाने वाले पीएम सड़क बाढ़ के पानी के तह बहाव में कई जगहों पर टूट गया है.

 

अमौर में सड़क पर बाढ़ का पानी बह रह है.

कई सड़कों पर 2 फुट ऊपर पानी बह रहा है. पैठान टोली से सीमलवाड़ा जाने वाले सड़क का संपर्क पूरी तरह भंग हो चुका है. लालटोली गांव से बहादरपुर जाने वाली सड़क के ऊपर बाढ़ का पानी काफी रफ्तार में बह रहा है. पलसा चौक से छोटा लाल टोली जाने वाली सड़क मार्ग पर भी कुछ ऐसे ही हालात हैं.

12 हजार से अधिक की जनसंख्या का सड़क संपर्क होगा भंग

रंगरैया लालटोली पंचायत के वार्ड नंबर-8 में पूर्वी हिस्से में बना अप्रोच पथ किसी भी समय पानी में कट सकता है. लालटोली के पास आरडब्ल्यूडी सड़क कटना प्रारम्भ हो गया है. अप्रोच पथ और सड़क कटने पर 12 हजार से अधिक की जनसंख्या का संपर्क जिला मुख्यालय से पूरी तरह कट जाएगा.

अमौर में रंगरैया लालटोली पंचायत के छोटा लालटोली, बडा लाल टोली, खेमरिया, रंगरैया, भागताहिर, सुरजापुर, बासोल, बावनडोव, हरिपुर पंचायत के हरिपुर, शर्मा टोली सहित खारी महीनगांव पंचायत के खारी, बासोल जैसे गांव में बाढ़ का पानी घुसा है. इस कारण इन गांवों के 250 से अधिक लोग प्रभावित हैं.

ज्ञानडोव पंचायत के डहुआबाड़ी, तारबाड़ी, खाड़ी महीन गांव, रंगरैया लाल टोली के हफनिया पंचायत में 400 से अधिक घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. वैगन सिमलबाड़ी नगरा टोला में 100 से अधिक घरों में बाढ़ का पानी घुसा है. मेहता टोला वार्ड 1 में करीब 300 और खाता टोली बालू टोला में 500 घरों में बाढ़ का पानी घुस आया है.

250 घर बाढ़ से प्रभावित

मालोपाड़ा पंचायत के डुमरिया गांव के वार्ड नंबर-5 और 6 में 250 घर बाढ़ से प्रभावित हैं. अर्जुन भिटा में करीब 30 घर और खाता टोली हिंगुआ में 70 घर बाढ़ की मार झेल रहे हैं. भरगामा गांव में भी कुछ ऐसी ही स्थिति है. यहां दास नदी का पानी लोगों के घरों में पानी घुस चुका है, जिससे 50 से अधिक घर बाढ़ की मार झेल रहे हैं. नाव की प्रबंध मौजूद न होने से लोग बाढ़ में फंसे हुए हैं.

कनकई नदी के कटाव से नागरा टोली, सिमलबाडी गांव के दर्जनों परिवार के घर नदी में विलीन हो चुके हैं. गांवों की अधिकतर जनसंख्या घर खाली कर ऊंचे स्थानों कर शरण ले चुके हैं. बेघर लोग पैठान टोली स्थित ऊंचे पुल पर खुले में रहने को विवश हैं.

 

 

कनकई नदी में घर हुआ विलीन

गांव के बाढ़ पीड़ितों में शामिल मेहरून निशा, मैमुन निशा, एफराहीम, इमतियाज, शायक आलम, शबनम आरा, इमरान फैजी, सालैहा, नौशाद आलम, रमैजा,अनवारुल हक, फिरोज आलम, तबरेज आलम, अताउर्रहमान, मुबस्सीर आलम शामिल है. इनका बोलना है कि उन लोगों का घर कनकई नदी में विलीन हो चुका है.

तालबारी पंचायत के तालबारी, चौका, कपरिया, बनगामा, ज्ञानडोव पंचायत के सिमलबाडी, नगरा टोल, पैठान टोली और रंगरैय्या लालटोली पंचायत के रंगरैय्या गांव में लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस चुका है. सोशल एक्टिविस्ट मुजफ्फर आलम का बोलना है कि इन इलाकों में राहत सामग्री न मिल पाने से लोगों में आक्रोश है. DCLR टेस लाल ने कहा कि अमौर में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए SDRF की टीम कैंप कर रही है. बाढ़ की स्थिति पर प्रशासन की नजर है.

 

अमौर और रुपौली के 2 हजार घरों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है.

रुपौली में भी बाढ़ से हालत बेकाबू हैं. यहां कोसी के विकराल रूप लेने में कारण 10 से अधिक पंचायतों में बाढ़ का पानी घुसा है. इनमें कोयली सिमरा पूरब ,कोयली सिमरा पश्चिम, भौवा प्रबल ,विजय लालगंज ,विजय मोहनपुर ,लक्ष्मीपुर छर्रापट्टी, गोड़ियरपट्टी श्रीमत्ता और धुसर टीकापट्टी जैसे पंचायत शामिल हैं. 100 से अधिक घर बाढ़ की मार झेल रहे हैं. यहां बाढ़ पीड़ितों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है. कुछ घर छोड़ने की बजाय बाढ़ में ही मचान बांधकर टिके हुए हैं.

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