देश ही नहीं विदेशों में भी छोड़ रही है वंदे भारत ट्रेनें अपनी छाप, बढ़ रही है चौतरफा डिमांड
व्यालोक पाठक September 29, 2024 09:12 PM

भारत की केंद्र सरकार फिलहाल रेलवे नेटवर्क को पूरी तरह सुधारने और नया बनाने के बहुत बड़े लक्ष्य को लेकर चल रही है. बात चाहे बुलेट ट्रेन की हो या फिर नए रेलवे ट्रैक बिछाने और नयी ट्रेनों को लाने की, भाजपानीत एनडीए देश की लाइफलाइन रेलवे को पूरी तरह से बदलने में लगी हुई है. भारतीय रेलवे नई और तेज रफ़्तार ट्रेनों को शामिल कर भारतीयों के यात्रा करने के तरीके को ही बदल देना चाह रहा है. वह अपने लोगों को भरोसा दिलाना चाहता है कि औपनिवेशिक काल से चले आ रहे इस यातायात सिस्टम में अब एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है. इसीलिए, नए रेलवे ट्रैक जोड़ने से लेकर नयी हाई स्पीड ट्रेनों को बेड़े में जोड़ने में भी रेलवे अच्छा-खासा पैसा और समय खर्च कर रही है. 

वंदे भारत का है जलवा

नई दिल्ली से वाराणसी चलने वाली वंदे भारत देश की पहली सेमी स्पीड ट्रेन थी. 15 फरवरी 2019 को इसकी शुरुआत हुई. इसके बाद 3 अक्टूबर 2019 को दूसरी ट्रेन चली जो दिल्ली से कटरा तक का सफर तय करती है. वंदे भारत एक्सप्रेस भारत की सबसे आधुनिक ट्रेन है. इस सेमी ऑटोमेटिक ट्रेन ने लोगों की यात्रा करने का तरीका ही बदल कर रख दिया है. नई दिल्ली से वाराणसी के बीच चली पहली वंदे भारत एक्सप्रेस (Vande Bharat Express) की सफलता ने भारतीय रेलवे को उत्साह से भर दिया और अब पूरे देश से ये ट्रेन चलाने की मांग जब-तब उठती रहती है. 2047 तक देश में 4500 वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने का लक्ष्य रखा था, हालांकि अभी दो दर्जने के लगभग रास्तों पर वंदे भारत की ट्रेन चल रही है. भारतीय रेल लगातार नई वंदे भारत ट्रेनों को चलाता जा रहा है और वंदे भारत ट्रेनों की संख्या को बढ़ाया जा रहा है, एक के बाद एक वंदे भारत ट्रेनें पटरी पर दौड़ रही हैं.
 
ये सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत अब लगभग दो दर्जन रूट्स पर पटरी पर दौड़ रही हैं. वंदे भारत एक्सप्रेस का किराया कई बार शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस से भी ज्यादा हो जाता है. यह देश की सबसे तेज चलने वाली ट्रेन है. यह इंटरसिटी ट्रेन 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है और  अपनी मॉडर्न सुविधाओं के चलते यह अधिकतर रूट पर पूरी भरी चल रही है. इसे कारोबारी शहरों और धार्मिक जगहों को आपस में जोड़ने के लिए चलाया जा रहा है और कई स्थानों पर इसकी मांग बढ़ने से वहां वंदे भारत के फेरे और कोच भी बढ़ाने पड़े हैं, जैसे दिल्ली-वाराणसी वंदे भारत पहले 16 डब्बों के साथ चलती थी, लेकिन अब 20 डब्बों वाली हो गयी है और ट्रेन की संख्या भी बढ़ा दी गयी है. अब वंदे भारत का स्लीपर वर्जन (Vande Bharat Sleeper) भी लॉन्च होने वाला है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि स्लीपर न होने की वजह से भी कई रूट पर यात्री इसमें सफर नहीं करना चाहते. 
 
कुछ लोग इसकी आलोचना इसलिए भी करते हैं कि कई रूट्स पर यह 50 फीसदी ही भर पा रही है, लेकिन अधिकांश रूट्स पर 100 फीसदी ऑक्युपेंसी के साथ चलनेवाली वंदे भारत अब दुनिया को भी पसंद आ रही है और यही इस वक्त की सबसे बड़ी खबर है. इस समय कुल 22 वंदे भारत ट्रेनें हैं, जिनकी रफ़्तार 160 किलोमीटर प्रति घंटे तक हो सकती है, हालांकि इनकी स्वीकृत रफ़्तार 130 किलोमीटर प्रति घंटे ही है. अभी इन ट्रेनों को अपनी स्वीकृत रफ़्तार तक पहुंचना ही बाकी है. भारत की केंद्र सरकार इन जगहों पर ट्रैक की हालत में सुधार कर रही है क्योंकि विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक ट्रैक की स्थिति ठीक नहीं होगी, न तो वंदे भारत पूरे देश में चल पाएगी, न ही बुलेट ट्रेन का सपना पूरा हो पाएगा. 
 
दुनिया मांगे वंदे भारत 
 
वंदे भारत के कुछ रूट जैसे मुंबई से अहमदाबाद, नई दिल्ली से वाराणसी, नई दिल्ली से कटरा आदि पर यह 100 फीसदी ऑक्युपेंसी के साथ चल रही है. साथ ही डिमांड भी बढ़ रही है. नई दिल्ली से वाराणसी वंदे भारत एक्सप्रेस को 16 डिब्बों के साथ शुरू किया गया था. अब इस रूट पर दो वंदे भारत एक्सप्रेस 20 कोच के साथ चलाई जा रही हैं. वो दिन दूर नहीं, जब विदेशी धरती पर भी वंदे भारत ट्रेनें दौड़ेंगी क्योंकि विदेशों में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही हैय कनाडा, चिली, मलेशिया जैसे देशों ने भारत से वंदे भारत ट्रेनों के आयात में रुचि दिखाई है. इसके पीछे कारम यह है कि यूं तो वंदे भारत में बहुत सारी खूबियां हैं मगर इसकी कम लागत आकर्षण का सबसे बड़ा कारण है. दूसरे देशों में ऐसी ट्रेनों की कीमत 160-180 करोड़ रुपये के आसपास है, जबकि वंदे भारत ट्रेन हमारे यहां 120-130 करोड़ रुपये तक में बन जाती है. वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की गति भी इसे बेहद आकर्षक बनाती है. भारत की यह सेमी ऑटोमेटिक हाई स्पीड ट्रेन के बारे में दावा किया जाता है कि यह 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है. जाहिर है कि मेक इन इंडिया का फायदा वंदे भारत को भी हुआ है. नरेंद्र मोदी की इस नीति की वजह से ही आज विदेशों में भी इसका डंका बज रहा है. 
 
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का डिजाइन भी काफी आकर्षक है और इसकी वजह से भी यह लोकप्रिय हो रहा है. एस्थेटिक तौर पर यह बहुत अच्छी ट्रेन देखने में लगती है. इसकी दूसरी खूबी  यह है कि विमान की तुलना में इसमें 100 गुना कम शोर का अनुभव होता है और इसकी ऊर्जा खपत बहुत कम है. कमाल की बात तो यह है कि  वंदे भारत ट्रेन रफ्तार पकड़ने के मामले में जापान के बुलेट ट्रेन से भी कम समय लेती है, इसको 0 से 100 किमी प्रति घंटे तक पहुंचने में सिर्फ 52 सेकेंड लगते हैं, जबकि जापानी शिंकासेन यानी वहां के बुलेट ट्रेन को 0-100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ने में 54 सेकंड का समय लगता है. 
 
आगे की राह
 
भारत के साथ अभी जिन देशों की बात वंदे भारत को लेकर चल रही है, उनकी संख्या में इजाफा ही होगा, घटने की तो कोई बात ही नहीं है. भारत का लक्ष्य है कि जल्द ही वह इस इलाके में भी एक बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरे. 2023-24 के आम बजट के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 7000 किलोमीटर नए ट्रैक बिछाने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि उससे पहले के वित्त वर्ष में 4500 किलोमीटर का लक्ष्य हासिल कर लिया गया था. अप्रैल 2023 तक 22 वंदे भारत ट्रेनें सेवा में हैं, तेज़ रफ़्तार ट्रेनों की बात जब भी होगी, तो वंदे भारत का नाम जरूर उसमें लिया जाएगा. इसने देश में तो सफर करने का नजरिया बदला ही है, विदेशों में भी छा गयी है. 
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