पेट्रोल-डीजल में 1.50 रुपये की कटौती की संभावना, बदलने वाला है रेट तय करने का सिस्टम
एबीपी बिजनेस डेस्क September 29, 2024 09:12 PM

Dynamic Fuel Pricing: भारत में फिलहाल पेट्रोल और डीजल की कीमतें रोजाना तय की जाती हैं. कीमतों में बदलाव इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमत और एक्सचेंज रेट के हिसाब से तय  किया जाता है. इसे डायनेमिक फ्यूल प्राइसिंग का नाम दिया गया था. इनमें बदलाव इतना मामूली होता है कि अधिकतर लोगों का रेट में आए अंतर पर ध्यान तक नहीं जाता. यह सिस्टम जून, 2017 में शुरू किया गया था. इससे पहले पेट्रोल-डीजल के रेट में बदलाव का ऐलान होता था. उसके घटने या बढ़ने के चलते पेट्रोल पंपों पर भारी भीड़ के नजारे आम होते थे.

अब सरकार इस सिस्टम को फिर से बदलने की तैयारी कर रही है. इसके तहत हर तीन महीने में पेट्रोल-डीजल की कीमतों की समीक्षा की जाएगी. साथ ही जल्द ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 1.5 रुपये की कटौती भी की जा सकती है. 

हर 3 महीने में कीमतों की समीक्षा करने का बनाया जा रहा प्लान  

क्रूड ऑयल की कीमतों में पिछले कुछ महीनों में जबरदस्त कमी आई है. इसका फायदा उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार न सिर्फ पेट्रोल-डीजल के रेट में कटौती कर सकती है बल्कि हर 3 महीने में कीमतों की समीक्षा करने की योजना बना रही है. इसमें केंद्रीय उत्पाद शुल्क या राज्य वैट में कटौती को नए नियमों से अलग रखा जाएगा. इसका मतलब है कि कंपनियों को अपने मुनाफे का 10 फीसदी कस्टमर्स को देना होगा. इसके अलावा सरकारें अपने शुल्क में कमी करके भी उन्हें अतिरिक्त राहत दे सकती हैं. 

पेट्रोल में 1.5 रुपये और डीजल में 1.20 रुपये की कमी संभव 

सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अगर कीमतों की समीक्षा तीन महीने में की जाती है तो नए रेट लंबे समय के लिए फिक्स हो जाएंगे. इनमें तीन महीने तक कोई बदलाव नहीं आएगा, जिससे कि स्थिरता बनी रहेगी. फिलहाल कंपनियों को पेट्रोल पर 15 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 12 रुपये प्रति लीटर का शुद्ध लाभ हो रहा है. अगर इसका 10 फीसदी उपभोक्ताओं को दिया जाता है तो पेट्रोल की कीमत करीब 1.5 रुपये और डीजल में 1.20 रुपये की कमी आसानी से हो सकती है.

एक रुपये प्रति बैरल दाम कम होने पर बचते हैं 13000 करोड़ रुपये 

क्रूड ऑयल की कीमतों में लगभग 19 फीसदी की कमी आ चुकी है. मगर, उपभोक्ताओं को इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाया है. दरअसल, एक रुपये प्रति बैरल की कमी होने पर सरकार को सालाना लगभग 13 हजार करोड़ रुपये की बचत होती है. 

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