नालंदा के रहने वाले सोहराय मिस्त्री ने एक चौंकाने वाला दावा किया है। मिस्त्री के अनुसार, बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री के गुरु उनके पिता हैं। सोहराय बताते हैं कि लगभग 30 वर्ष पहले उनके पिता गृहस्थ जीवन छोड़कर वनवासी हो गए थे। बीते मार्च महीने में उनकी पत्नी ने टीवी पर सत्संग कार्यकम के दौरान अपने ससुर जी को देखा और तभी जोर-जोर से चिल्लाना प्रारम्भ कर दिया। घर के सब लोग इक्कठा हो गए और अन्य लोगों ने भी पहचान लिया।
तीस वर्ष पहले पिता छोड़ गए थे घर
सोहराय मिस्त्री नालंदा के राजगीर प्रखंड के पहितिया गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता रामलाल दास पहले बढ़ई का काम करते थे और बाद में साधु बन गए। सोहराय ने लोकल 18 से खास वार्ता में बोला कि जब उनकी उम्र 4 वर्ष थी, उनकी मां का मृत्यु हो गया था। उनके पिता ने ही उनका पालन-पोषण किया, लेकिन 15 वर्ष की उम्र में उनकी विवाह के बाद चार बच्चों के बाद, रामलाल दास एक दिन पूर्णिमा मेले के लिए घर से निकले और फिर कभी वापस नहीं आए।
टीवी पर पिता को देखकर परिवार हुआ हैरान
सोहराय मिस्त्री की पत्नी शारदा देवी ने टीवी पर एक सत्संग कार्यक्रम में रामलाल दास को देखा और परिवार ने तुरंत उन्हें पहचान लिया। सोहराय और उनकी पत्नी ने उनके पिता की बैंक पासबुक दिखाई, जिसमें पासबुक पर लगी तस्वीर और टीवी पर देखी गई तस्वीर में समानता नजर आई। सोहराय ने डीएनए टेस्ट कराने की भी ख़्वाहिश जताई, ताकि वे इस दावे को पूरी तरह से साबित कर सकें।
बागेश्वर धाम पहुंचा परिवार
टीवी पर अपने पिता को देखने के बाद, सोहराय मिस्त्री और उनका परिवार बागेश्वर धाम पहुंचा, लेकिन उन्हें कहा गया कि उनके पिता अभी वहां से निकल गए थे। परिवार मायूस होकर वापस लौट आया। इस बीच, बागेश्वर धाम से जुड़े एक संत ने बोला कि उनका नालंदा से गहरा संबंध है, जिससे सोहराय के दावे को और बल मिला।
बैंक पासबुक में पुराने पैसे जमा
सोहराय मिस्त्री ने जो बैंक पासबुक दिखाई, वह 1990 की है और उसमें 58,575 रुपये जमा हैं। उन्होंने बोला कि वे कभी इस पैसे के लिए बैंक नहीं गए, क्योंकि उनका मकसद केवल अपने पिता को पाना है।
पिता के शरीर पर घाव का निशान
सोहराय के पिता को एक बार डकैतों ने घायल कर दिया था, जिसके कारण उनके पेट में चाकू का निशान है। सोहराय का दावा है कि यही निशान उनके पिता को पहचानने में सहायता करेगा। उन्होंने आज तक अपने पिता का श्राद्ध या कर्मकांड नहीं किया, क्योंकि उन्हें आशा है कि उनके पिता लौट आएंगे। सोहराय मिस्त्री और उनका परिवार अब गया जाने की तैयारी कर रहा है। उनका बोलना है कि वे किसी भी मूल्य पर अपने पिता को ढूंढने के लिए तैयार हैं।