Sirsa Vidhan Sabha Chunav 2024: जहां से BJP हटा चुकी है प्रत्याशी, उस हिसार विधानसभा सीट का क्या है हाल?
Sirsa Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024: हरियाणा की सिरसा विधानसभा सीट पर सबसे अनोखी लड़ाई है। सिरसा सीट से नामांकन दर्ज कराने के बाद बीजेपी ने अपने प्रत्याशी को वापस ले लिया। ऐसा माना गया कि वो हरियाणा लोकहित पार्टी के नेता गोपाल कांडा को समर्थन के लिए ऐसा कर रही है। उधर गोपाल कांडा का जिस इनेलो और बसपा से गठबंधन है, वो बीजेपी को हराकर सत्ता में वापसी का दावा कर रही है। वहीं कांडा का दावा है कि उन्होंने बीजेपी से समर्थन नहीं मांगा है।
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सिरसा सीट का समीकरण
सिरसा से कुल 13 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। तीन नामांकन खारिज कर दिए गए और भाजपा सहित दो उम्मीदवारों ने अपना आवेदन वापस ले लिया। सिरसा सीट पर हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा, कांग्रेस के गोकुल सेतिया, जेजेपी के पवन शेरपुरा और आप के श्यामसुंदर मेहता सबसे आगे हैं। सिरसा में मुख्य मुकाबला हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा और कांग्रेस के गोकुल सेतिया के बीच है।
बदले की तैयारी में सेतिया
गोकुल सेतिया पिछली बार निर्दलीय मैदान में थे, लेकिन गोपाल कांडा से 602 वोटों से हारे थे। बीजेपी तीसरे और कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी। इस बार गोकुल सेतिया कांग्रेस से मैदान में हैं। सेतिया का इस इलाके में अपना वोट बैंक रहा है। कहा जाता है कि हार के बाद भी वो मैदान में सक्रिय रहे हैं और गोपाल कांडा के कड़े प्रतिद्वंदी भी। इस बार कांग्रेस से मैदान में हैं, कांग्रेस का वोट भी सेतिया को मिलेगा, हालांकि बीजेपी के मैदान में से हट जाने पर कांडा को कमल का वोट भी मिल सकता है।
जीत का इतिहास
2019 में सिरसा सीट पर हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा ने जीत दर्ज की थी। 2014 में इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के उम्मीदवार माखन लाल सिंगला ने जीत दर्ज की थी। 2009 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार गोपाल कांडा ने जीत दर्ज की थी। 2005 और 2000 में कांग्रेस उम्मीदवार लक्ष्मण दास अरोड़ा ने जीत दर्ज की थी।
सिरसा सीट का जातीय समीकरण
सिरसा जिले में जाट वोटों की अच्छी खासी तादाद है, साथ ही वैश्य, दलित और पंजाबी वोटों की भी बड़ी संख्या है। गोपाल कांडा खुद वैश्य समाज से आते हैं, बसपा से गठबंधन के कारण दलित वोट में भी सेंध लगा सकते हैं और इनेलो के साथ रहने से जाट वोट भी उनकी तरफ आ सकता है। वहीं सेतिया पंजाबी वोट और किसान आंदोलन के समर्थन वाले जाट वोट के सहारे चुनावी मैदान में दिख रहे हैं।