क्या आयुर्वेद में है हार्ट फेल और ब्रेन स्ट्रोक जैसी बीमारियों को रोकने का इलाज?
तरुण अग्रवाल October 02, 2024 12:12 PM

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में दिल और मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे पुरखों का ज्ञान आज की बड़ी-बड़ी बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकता है? आयुर्वेद में ऐसी कई चीजें हैं जो हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव में मदद कर सकती हैं.

दरअसल, आयुर्वेद की परंपरा 2000 साल से भी पुरानी है. इसमें कई तरह के इलाज शामिल हैं: जड़ी-बूटियों से बनी दवाएं, खास तरह का खाना, योग, मालिश, तेल से इलाज, जुलाब और एनिमा. आयुर्वेदिक दवाएं अक्सर जड़ी-बूटियों, खनिज और धातुओं से बनाई जाती हैं.

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति भारत, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका में काफी लोकप्रिय है. पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथों में सर्जरी के तरीके भी बताए गए हैं. जैसे: नाक की सर्जरी, पथरी निकालना, टांके लगाना, मोतियाबिंद का ऑपरेशन, शरीर से बाहरी चीजें निकालना. 

आयुर्वेद से हार्ट फेल और ब्रेन स्ट्रोक जैसी बीमारियों का इलाज समझने के लिए एबीपी न्यूज ने डॉ विभु पांडे से बात की. 

पहले जानिए कितना बढ़ा मार्केट है आयुर्वेद
भारत का आयुर्वेद प्रोडक्ट का मार्केट वर्तमान में 7 अरब डॉलर यानी 57,450 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2028 तक 16.27 अरब डॉलर (1.2 ट्रिलियन रुपये) तक पहुंचने का अनुमान है. आयुर्वेदिक प्रोडक्ट की मांग में तेजी से बढ़ी है, खासकर प्राकृतिक और हर्बल उपचारों की बढ़ती मांग के कारण. न केवल स्थानीय बाजारों में बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी इनकी मांग बढ़ी है.

आयुर्वेद टेक स्टार्टअप 'निरोगस्ट्रीट' के अनुसार, भारत में आयुर्वेदिक प्रोडक्ट और सेवाओं का बाजार वित्तीय वर्ष 2023 से 2028 तक 15% की सालाना दर से बढ़ने की उम्मीद है. इसमें आयुर्वेदिक प्रोडक्ट का बाजार 16% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से और सेवाओं का बाजार 12.4% की वृद्धि दर से बढ़ेगा. 


सर्वे में यह भी बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2022 में देश में आयुर्वेदिक मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री का कुल मूल्य 89,750 करोड़ रुपये (11 बिलियन डॉलर) था. इस आंकड़े में लगभग 40,900 करोड़ रुपये (5 बिलियन डॉलर) का निर्यात शामिल है. वहीं, आयुर्वेदिक प्रोडक्ट का आयात 8600 करोड़ रुपये (1 बिलियन डॉलर) के आसपास आंका गया है.

हार्ट फेल और ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ने की वजह
आयुर्वेद डॉ विभु पांडे ने बताया, आजकल हार्ट फेल और ब्रेन स्ट्रोक के मामले तेजी से देखने को मिल रहे हैं. इसका बहुत बढ़ा कारण यह है कि आजकल कम उम्र में ही लोगों को हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियां हो रही हैं. उन्हें हाइपरटेंशन की समस्या हो रही है. इसके अलावा खराब खान-पान और खराब जीवनशैली. इन सभी कारणों की वजह से हार्ट फेल और ब्रेन स्ट्रोक के केसज बढ़ रहे हैं.

उन्होंने आगे बताया, अगर आप आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या फॉलो करते हैं, तो बिना दवाइयों के आप इन बीमारियों से बच सकते हैं और अगर किसी को ये बीमारी हो गई है तो आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियां हैं, जिनके सेवन से इलाज संभव है. इनसे किसी तरह का साइड इफैक्ट नहीं होता है, न ही ये एडिक्टेड होती हैं. मतलब ऐसा नहीं है कि एक बार आपने खा ली, तो हमेशा ही खानी होगी. कोई भी सामान्य व्यक्ति ये दवाइयां ले सकता है. कुछ भी महंगी नहीं होती हैं.

हार्ट फेल और ब्रेन स्ट्रोक का आयुर्वेद में कैसे होता है इलाज?
इस सवाल के जवाब में आयुर्वेद डॉ विभु पांडे के अनुसार, सबसे पहले मरीज को अपनी दिनचर्या में सुधार करना चाहिए. इसके बाद किसी अच्छे आयुर्वेद डॉक्टर क दिखाकर अपनी ऑषधियों का इस्तेमाल करना शुरू करना चाहिए. इससे स्ट्रोक की रिकवरी में बहुत लाभ मिलेगा और आगे आने वाले समय में भी खतरा कम हो जाएगा. हार्ट के केस में भी देख गया है कि बहुत अच्छा सुधार हुआ है.

"अगर किसी को हार्ट फेल और ब्रेन स्ट्रोक की समस्या है तो आयुर्वेद इलाज के लिए भी दवाइयां लेनी पड़ेगी. इसमें रस रसायन, मॉर्फिन, अर्जुनारिष्ट , अरिष्ट कॉमन दवाइयां है. अर्जुनारिष्ट सबसे आम है, ये हार्ट अटैक से बचाव करता है. कॉलस्ट्रॉल कम करता है. एसआईटी लेवल कम करता है. अगर लगता है मरीज की हालात गंभीर है तो फिर दूसरी दवाइयां दी जाती हैं. एलोपैथी की तरह ही आयुर्वेदा में भी बीमारी के स्तर के हिसाब से इलाज होता है और अलग-अलग दवाइयों की रेंज है. मरीज की स्थिति के हिसाब से उचित दवाइ तय की जाती है."

आयुर्वेद में बीमारियों को समझने का क्या तरीका है?
डॉक्टर साहब ने बताया, जैसे एलोपैथी में बीमारी को समझने के लिए तरह-तरह के टेस्ट किए जाते हैं, वैसे ही आयुर्वेद में भी एक अलग तरीका है. इसे नारी परीक्षण कहा जाता है. नारी परीक्षण के जरिए बीमारियों को समझा जाता है. नारी परीक्षण से हम समझ सकते हैं कि व्यक्ति का वात , पित्त और कफ का संतुलन कैसा है. इसके अलावा नाड़ी देखकर, दिल की गति देखकर बीमारी का पता लगाया जा सकता है. 

आयुर्वेद में परहेज बहुत महत्व है. अगर परहेज नहीं करेंगे, तो इलाज मुश्किल है. आयुर्वेद का सिद्धांत कहता है कि मरीज की बीमारी के कारण का इलाज करना, न कि उसके लक्षणों का. क्योंकि हर बीमारी के बहुत से लक्षण होते हैं. लेकिन अहम ये है कि बीमारी की उत्पत्ति कहां और कैसे हुई. चाय, कॉफी, कॉल्ड्रिंग, तंबाकू, शराब के सेवन से हमारे शरीर में बीमारियां पैदा होती हैं. आयुर्वेद इलाज के लिए इनका परहेज जरूरी है.


कितनी चिकित्सा पद्धति?
डॉ विभु पांडे ने बताया, देश में अनगिनत चिकित्सा पद्धति हैं. इनमें चार मुख्य चिकित्सा पद्धति हैं- एलोपैथी, आयुर्वेद, होम्योपैथी और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति. प्राकृतिक चिकित्सा के लिए हाल ही में सरकार की ओर से कोर्स लॉन्च किया गया है. छात्र प्राकृतिक चिकित्सा की पढ़ाई कर सकते हैं. इसके अलावा एक्यूप्रेशर को मुख्य पद्धति में लाने पर विचार हो रहा है. चिकित्सा पद्धति सारी अच्छी होती हैं. हर चिकित्सा पद्धति अपने स्तर पर मरीज को फायदा ही पहुंचाती है. हमें ये देखना चाहिए कि बीमार व्यक्ति के लिए क्या बेहतर होगा.

भारत में आधुनिक चिकित्सा पद्धति भी काफी लोकप्रिय है. यह वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है और इसमें दवाएं, सर्जरी और अन्य चिकित्सा प्रक्रियाएं शामिल हैं. सिद्ध दक्षिण भारत की एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है. सिद्ध में जड़ी-बूटियों, खनिजों, धातुओं और जंतु उत्पादों का उपयोग किया जाता है. सिद्ध में रसायन शास्त्र और धातु विज्ञान का भी महत्वपूर्ण स्थान है.

एलोपैथी ज्यादा प्रचलित क्यों?
इसकी वजह ये बतायी जाती है कि आयुर्वेद हमारे देश की चिकित्सा पद्धति है. पुराने समय में लोग यही पद्धति से अपना इलाज करवाते थे. लेकिन जब भारत में अंग्रेज काल आया, तो उन्होंने एलोपैथी ट्रीटमेंट शुरू किया और इसी को मुख्य चिकित्सा पद्धति बना दी. आज के समय में मॉडर्न थेरेपी एलोपेथ ही है. इमरजेंसी की स्थिति में एलोपेथ को ही फर्स्ट च्वाइंस पर रखा जाता है. लेकिन अब सरकार आयुष मंत्रालय के तहत आयुर्वेदा चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा दे रही है.

इसके अलावा एक वजह ये भी है कि आयुर्वेद में रिसर्च कम हुई है, डॉक्टर की कमी है और ज्यादा प्रचार नहीं किया गया. इस वजह से लोगों का आयुर्वेद में रुचि कम हुई, क्योंकि उन्हें सही जवाब नहीं मिल पाया. इस कारण ये पीछे हो गई. लेकिन अब आयुर्वेद पर नई-नई रिसर्च शुरू हो गई है. कोरोना काल के समय लोगों का आयुर्वेद की तरफ रुझान बढ़ा है. भारत ही नहीं, विदेशों में भी आयुर्वेद को आज सम्मान की दृष्टि से देखा जा रहा है.

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