बिहार में बाढ़ पर राजनीति तेज हो गई है. अब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर कुसहा त्रासदी की याद दिला दी. इतनी नहीं तेजस्वी ने यहां तक पूछा दिया कि नीतीश जी आप प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने से हिचकते क्यों हैं? बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए पीएम से बात क्यों नहीं करते हैं. तेजस्वी यादव ने बुधवार सुबह सोशल मीडिया पर लिखा कि 2008 में बिहार में आई बाढ़ को याद कीजिए. तब केंद्र में यूपीआई की गवर्नमेंट थी. कांग्रेस पार्टी के बाद केंद्र में दूसरी सबसे बड़ी और ताकतवर पार्टी राजद और उनके नेता केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद के आग्रह पर पीएम सरदार मनमोहन सिंह और यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गांधी जी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के सर्वेक्षण पर बिहार आए थे. लालू जी ने सकारात्मक राजनीति का अकल्पनीय और अविस्मरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए पीएम को बाढ़ की भयावह स्थिति से अवगत करा इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित कराया तथा उस दौर में यानी आज से 15 वर्ष पूर्व केंद्र से तुरन्त हजार करोड़ की विशेष सहायता राशि बिहार को दिलाई.
एक लाख टन अनाज की मांग की थी
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एनडीए की नीतीश गवर्नमेंट ने केंद्र की यूपीए गवर्नमेंट से एक लाख टन अनाज की मांग की थी लेकिन केंद्र की यूपीए गवर्नमेंट ने प्रभावित लोगों की सहायता एवं राहत के लिए एक लाख 25 हज़ार टन अनाज बिहार को दिया. जितना नीतीश गवर्नमेंट ने मांगा उससे अधिक बिहार को दिया. नीतीश गवर्नमेंट ने उसी अनाज को बचाकर रखा और 2010 के चुनावों से पूर्व गरीब जनता में यूपीए गवर्नमेंट का दिया हुआ अनाज यह कर बांटा की नीतीश गवर्नमेंट यह अनाज दे रही है. चुनावों में इसका फ़ायदा उठाया. केंद्र और बिहार की एनडीए सरकारें उत्तर बिहार के लोगों की जान और माल की क़ीमत बस चंद किलों अनाज से आंकती है. बार-बार तटबंध और बांध क्यों टूटते हैं इसका कारण भी गवर्नमेंट को बताना होगा?
90 करोड़ की सहायता राशि भी रेल मंत्रालय से दिलाई
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने अपने पिता की प्रशंसा करते हुए बोला कि कुसहा त्रासदी के समय तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव ने बाढ़ पीड़ितों के लिए निःशुल्क रेल चलायी तथा साथ ही 90 करोड़ की सहायता राशि भी रेल मंत्रालय से दिलाई. उन्होंने एक लाख साड़ी-धोती बँटवाई. कोसी क्षेत्र में रेलवे प्लेटफ़ार्म पर रेल के डिब्बों में बाढ़ राहत शिविर लगवाए. लालू जी ने अपने एक महीने की सैलरी, केबीसी में जीते हुए एक करोड़ रुपए, रेल मंत्रालय के सभी कर्मचारियों का एक दिन की सैलरी, आईआरसीटीसी, रेलवे ईस्ट जोन, वेस्ट जोन इत्यादि से भी सहायता राशि बिहार को दी.
44 हजार करोड़ की वित्तीय पैकेज दिलाया था
नेता प्रतिपक्ष ने बोला कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पीने के पानी की कमी को देखते हुए लालू जी 20 हज़ार लीटर की क्षमता वाले 25 रेलवे टैंकर वहां भेजने के साथ साथ रेलवे की ओर से रेलनीर के पानी की एक लाख बोतलें तुरंत बिहार भेजी थी . उस दौर में लालू जी के प्रयासों से सब सहायता यूपीए गवर्नमेंट ने की थी लेकिन उसका प्रचार-प्रसार नीतीश कुमार ने अपने नाम से किया. 2004 से 2009 तक लालू जी में बिहार को एक लाख 44 हज़ार करोड़ की वित्तीय पैकेज दिलाया था लेकिन उससे चेहरा सीएम नीतीश कुमार ने चमकाया.
29 सांसद थे जबकि अब एनडीए के 30 सांसद
नेता प्रतिपक्ष ने बोला कि उस वक़्त यूपीए के बिहार से 29 सांसद थे जबकि अब एनडीए के 30 सांसद है. एनडीए के 30 सांसद, बिहार के सीएम और केंद्र में बिहार से एनडीए के सात केंद्रीय मंत्री कितने बेबस, लाचार और निर्बल है कि इनके सहारे चल रही केंद्र गवर्नमेंट से बिहार की विध्वंसक बाढ़ को ना आपदा घोषित करा सकते है और ना ही विशेष सहायता राशि की मांग सकते है. बीजेपी के किसी भी केंद्रीय मंत्री और पीएम को बिहार नज़र नहीं आ रहा है? बिहार के सीएम नीतीश कुमार बिहार की बाढ़ को राष्ट्रीय आपदा घोषित कराने एवं सहायता राशि की मांग को लेकर पीएम मोदी से क्यों नहीं मिलते जबकी बिहार के लाखों लोग एवं आधे से अधिक जिले बाढ़ से प्रभावित है? नीतीश कुमार जी पीएम से मिलने में हिचकते क्यों हैं? अब तेजस्वी यादव के इस पोस्ट के बाद राजनीति तेज हो गई है.