5 यात्रियों के दल ने 18 हजार फीट ऊंची ओल्ड लिपुलेख पहाड़ियों से तिब्बत में उपस्थित कैलाश पर्वत के दर्शन नवरात्रि के पहले दिन किए। ये पहला मौका है जब विदेश में उपस्थित कैलाश पर्वत के दर्शन हिंदुस्तान की सरजमीं से हुए हैं। श्रृद्धालुओं को कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए अब चाइना पर निर्भर नहीं रहना होगा और ना ही तिब्बत जाने की आवश्यकता है।
असल में अब उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने ओल्ड लिपुलेख में वो सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं, जिससे यात्रियों को हिंदुस्तान की धरती से ही कैलाश पर्वत के दर्शन सरलता से हो रहे हैं। पर्यटन विभाग ने कैलाश दर्शन योजना के अनुसार 5 दिन का एक पैकेज तैयार किया है, जिसके अनुसार यात्रियों को पिथौरागढ़ के नैनी- सैनी एयरपोर्ट से हेलीकॉप्टर की सहायता से गुंजी पहुंचाया जा रहा है। गुंजी से गाड़ी की सहायता से ओल्ड लिपुलेख की तलहटी तक यात्री जा रहे हैं। लेकिन यहां से करीब 3 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद, वो स्थान आती है, जहां से पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन होते हैं।
यात्रियों का पहला दल 2 अक्टूबर को पिथौरागढ़ से रवाना हुआ था। दल के सदस्यों को कैलाश पर्वत के साथ ही आदि कैलाश और ओम पर्वत के दर्शन भी कराए जा रहे हैं। यात्रियों का पहला दल 5 अक्टूबर को पिथौरागढ़ वापस लौट आएगा। पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन के लिए आए श्रद्धालु अतुल चौकसे का बोलना है कि वो वर्षों से इस पल का प्रतीक्षा कर रहे थे। मानसरोवर यात्रा बंद होने के बाद उनकी आशा भी समाप्त हो गई थी, लेकिन उत्तराखंड गवर्नमेंट ने ओल्ड लिपुलेख से कैलाश पर्वत के दर्शन का जो प्लान तैयार किया, उसने नामुमकिन को संभव कर दिया।
पहले यात्रा के लिए पार करना पड़ता था चीन बार्डर
2020 से पहले तक केन्द्र गवर्नमेंट कुमाऊं मंडल विकास निगम के माध्यम से कैलाश मानसरोवर यात्रा कराती थी, तब शिव भक्त लिपुपास से पैदल यात्रा कर चीन बार्डर पार करके कैलाश मानसरोवर के दर्शन करते थे। कोविड-19 काल 2020 से यह यात्रा बंद है। वहीं दूसरी ओर भारत-चीन टकराव गहराने के कारण चीन गवर्नमेंट ने हिंदुस्तान को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए सहमति नहीं दी है। लंबे समय से शिव भक्त कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने को आतुर थे। इसे देखते हुए उत्तराखंड गवर्नमेंट ने हिंदुस्तान की भूमि से ही श्रद्धालुओं को पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन कराने का निर्णय लिया। पहली बार हेलीकॉप्टर की सहायता से 4 दलों को कैलाश पर्वत के दर्शन कराने का प्लान उत्तराखंड पर्यटन विभाग ने बनाया है।