मुकेश अंबानी का अब म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में होगा जलवा, ब्लू प्रिंट आया सामने
Rajesh Kumar October 07, 2024 09:51 AM

फाइनेंस सेक्टर में अपना लोहा मनवा चुकी रिलायंस ग्रुप की सब्सिडियरी कंपनी जियो फाइनेंशियल सर्विस अब म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में एंट्री करने के लिए पूरी तरह से तैयार है. इसके लिए SEBI ने जियो फाइनेंशियल सर्विसेज और ब्लैकरॉक को म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में प्रवेश करने मंजूरी दे दी है. यह कदम म्यूचुअल फंड मार्केट में नई प्रतिस्पर्धा लाएगा, जिसमें जियो फाइनेंशियल सर्विसेज, मुकेश अंबानी की नेतृत्व वाली कंपनी, और दुनिया की सबसे बड़ी एसेट मैनेजमेंट कंपनी ब्लैकरॉक का सहयोग शामिल है. इस नई साझेदारी से भारतीय म्यूचुअल फंड मार्केट में बदलाव की उम्मीद की जा रही है, जिसका कुल एसेट फिलहाल 66 लाख करोड़ रुपए के करीब है.जियो और ब्लैकरॉक ने की है ये डीलजियो फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक्सचेंज फाइलिंग के जरिए बताया है कि सेबी ने दोनों कंपनियों को मंजूरी दे दी है. अंतिम मंजूरी सभी जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद दी जाएगी. जुलाई 2023 में दोनों कंपनियों ने इस जॉइंट वेंचर की घोषणा की थी, जिसमें दोनों मिलकर एसेट मैनेजमेंट बिजनेस में करीब 30 करोड़ डॉलर का निवेश करेंगे. इसमें से 15-15 करोड़ डॉलर दोनों कंपनियां मिलकर लगाएंगी. अक्टूबर 2023 में सेबी के पास लाइसेंस के लिए अप्लाई किया गया था, जिसके बाद अब जाकर उन्हें मंजूरी मिली है.क्या होगी इनकी प्लानिंग?ब्लैकरॉक के इंटरनेशनल हेड रैचल लॉर्ड ने इस मंजूरी को लेकर खुशी जाहिर की और कहा कि दोनों कंपनियां मिलकर भारत के निवेशकों को सस्ते और टिकाऊ निवेश विकल्प प्रदान करने की पूरी कोशिश करेंगी. उनका लक्ष्य भारत को एक बचत प्रधान देश से निवेश प्रधान देश में बदलने का है. इसके तहत वे नए और इनोवेटिव प्रोडक्ट्स लॉन्च करेंगे, जो निवेशकों के वित्तीय लक्ष्यों को तेजी से हासिल करने में मदद करेंगे. यह जॉइंट वेंचर न सिर्फ म्यूचुअल फंड बल्कि वेल्थ मैनेजमेंट और स्टॉक ब्रोकिंग बिजनेस में भी अपनी उपस्थिति मजबूत करेगा.अगस्त में लिस्ट हुई थी कंपनीजियो फाइनेंशियल सर्विसेज अगस्त 2023 में स्टॉक मार्केट में लिस्ट हुई थी. पहले यह रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की सब्सिडियरी थी, लेकिन अब यह एक फाइनेंशियल सर्विस प्रोवाइडर के रूप में काम कर रही है. कंपनी के पास एनबीएफसी (NBFC) लाइसेंस है, जो उसे व्यापक वित्तीय सर्विस प्रदान करने की अनुमति देता है. इसके अलावा, इसकी एक अन्य सब्सिडियरी जियो पेमेंट्स बैंक है. हाल ही में आरबीआई ने जियो फाइनेंशियल सर्विसेज को कोर इनवेस्टमेंट कंपनी (CIC) में बदलने की मंजूरी दी है.
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