कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में ऐसा ही एक काण्ड हुआ है, जिसमें 10 हजार करोड़ रुपये की डकैती स्वयं महायुति गवर्नमेंट ने कराई है. ये 10 हजार करोड़ महाराष्ट्र की जनता के हैं, जो गवर्नमेंट को कर के रूप में दिए गए हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहले ‘चंदा दो-धंधा लो’ की योजना चल रही थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रोक दिया. जब से कोर्ट ने इनकी योजना को रोका है, तब से पैसे बटोरने की नई-नई योजनाएं बनाई जा रही हैं.’’
कांग्रेस नेता के अनुसार, महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम लिमिटेड (एमएसआरडीसी) ने महाराष्ट्र में विभिन्न राजमार्ग परियोजनाओं जैसे विरार-अलीबाग मल्टीमॉडल कॉरिडोर (एमएमसी), पुणे रिंग रोड (पीआरआर) आदि के लिए निविदा निकाली. उन्होंने बोला कि जब निविदा निकालते हैं तो उसके कई मापदंड होते हैं, जिन्हें कई दिशानिर्देशों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र में इन सारे मापदंडों को बदल दिया गया.
खेड़ा ने दावा किया कि एक मापदंड है कि किसी भी एक कंपनी को दो से अधिक परियोजनाओं का काम नहीं मिल सकता, लेकिन दो कंपनियों को चार-चार परियोजनाओं का ठेका दिया गया है. उन्होंने कहा, ‘‘एक और मापदंड है कि कंपनी को सुरंग बनाने का अनुभव होना चाहिए, जबकि इन परियोजनाओं में सुरंग बनाने का काम केवल 10 फीसदी है. फिर भी परियोजनाओं का नाम ही सुरंग के नाम से कर दिया गया, ताकि इन कंपनी को काम दिया जा सके.’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘निर्माण करने में जो प्रति किलोमीटर की लागत बाकी राज्यों और एनएचएआई ने तय की थी, महाराष्ट्र में उस लागत को दोगुना कर दिया गया. गवर्नमेंट ने 10 हजार करोड़ रुपये महाराष्ट्र के करदाताओं की जेब से निकालकर कंपनियों को दिए और दूसरे हाथ से उनसे ले लिए. यह भाजपा की लूट है. कांग्रेस पार्टी प्रवक्ता ने इल्जाम लगाया कि चुनावी बॉण्ड में भी 13 फीसदी चंदा महाराष्ट्र से वसूला गया था.
कांग्रेस के इल्जाम पर महाराष्ट्र की महायुति गवर्नमेंट या भाजपा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में शिवसेना, भाजपा और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पार्टी शामिल हैं. महाराष्ट्र में सभी 288 विधानसभा सीटों के लिए एक चरण में 20 नवंबर को मतदान होगा तथा मतगणना 23 नवंबर को होगी.