14 से 16 साल के बच्‍चे पेरेंट्स से इन वजहों से बना लेते हैं दूरियां
Richa Srivastava October 19, 2024 12:27 AM

Why growing teen child not want to spend time with parents: अक्‍सर देखा जाता है कि 14 से 16 वर्ष के बच्चेे, पेरेंट्स (Parents) के साथ समय बिताने से बचते हैं वे घर पर अपने कमरे में रहना पसंद करते हैं या दोस्‍तों के साथ ऐसे में माता-पिता को इस बात की चिंता सताने लगती है कि वे आखिर इस तरह का व्‍यवहार उनके साथ क्‍यों कर रहे हैं दरअसल, इस उम्र में बच्चे न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी तेजी से परिवर्तन महसूस करते रहते हैं ऐसे में छोटी-छोटी गलतियों पर रोक-टोक से वे और विचलित हो जाते हैं और कई बार इमोशनल ब्रेकडाउन महसूस करते हैं ऐसे में वे तनाव और एंग्‍जायटी से भी जूझने लगते हैं तो आइए जानते हैं माता-पिता से दूरी बनाने के पीछे उनकी क्‍या वजहें हैं और 14 से 16 वर्ष के बच्चों के इस व्यवहार का कारण क्‍या हो सकता है

14 से 16 वर्ष के बच्‍चे पेरेंट्स से इन वजहों से बना लेते हैं दूरियां-

क्‍वालिटी टाइम का अभाव- अक्‍सर पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम नहीं बिता पाते, लेकिन वे बच्चों को बात-बात पर आदेश या लेक्चर जरूर दे देते हैं जबकि इस उम्र में बच्चों को पेरेंट्स के साथ ऐसे समय की आवश्यकता होती है जिसमें वे बिना किसी निर्देश या लेक्चर के अपनी समस्‍याओं को बताएं और वे सुनें इसलिए प्रत्येक दिन कम से कम 10-20 मिनट ऐसा वक्‍त निकालें जब आप बिना किसी जजमेंट के केवल उनकी बातों को सुन सकें

तुरंत न्यायधीश करना- बच्चे यदि कोई समस्‍या लेकर आएं या कोई बात साझा करें, तो उन्‍हें न्यायधीश करने से बचें यदि आप उनकी बातों को तुरंत न्यायधीश करेंगे, तो धीरे-धीरे बच्‍चे बात साझा करने में असहज महसूस करेंगे और आपको बात बताने से कतराने लगेंगे बेहतर होगा कि आप उनके लिए सुरक्षित वातावरण बनाएं जिसमें वे हर बात साझा कर सकें

बच्चों के इंटरेस्ट में रुचि न दिखाना- अक्‍सर पेरेंट्स बच्चों की दुनिया में इंटरेस्‍ट नहीं दिखाते इस उम्र के बच्‍चे गेम्‍स, सोशल मीडिया या तरह-तरह की हॉबीज में काफी इंट्रेस्‍टेड होते हैं, यदि पेरेंट्रस इन एक्टिविटीज़ में रुचि न दिखाएं, तो रिश्‍ते में दूरी बनने लगती है लेकिन यदि आप उनकी रुचि में इंट्रेस्‍ट दिखाएं, तो बच्चे स्वयं को पेरेंट्स से कनेक्टेड महसूस करते हैं

स्वतंत्रता का सम्मान न करना- अगर पेरेंट्स उनके हर निर्णय में हस्तक्षेप करते हैं या उन्‍हें पर्सनल स्‍पेस नहीं देते, तो बच्चे स्वयं को बंधा हुआ, जकड़ा हुआ महसूस करते हैं बेहतर होगा कि आप उन्हें अपनी जीवन के कुछ निर्णय स्वयं लेने दें और उनके निर्णयों का सम्मान करें

बैलेंस बनाना जरूरी- हालांकि आजादी का मतलब यह नहीं है कि आप बच्चों को पूरी तरह से स्वतंत्र छोड़ दें पेरेंट्स का काम है बच्चों की हर गतिविधियों पर नजर रखना ऐसे में हस्तक्षेप तभी करें जब इसकी आवश्यकता महसूस हो हर बात पर लेक्चर देने के बजाय, उन्हें स्वयं की गलतियों से सीखने का मौका दें, उनके इंटरेस्ट को समझें, बिना जजमेंट के उनसे वार्ता करें और उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करें इस तरह वे आपके साथ समय बिताना चाहेंगे और आपके लिए पेरेंटिंग आसान हो पाएगा

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