विष्णु नागर का व्यंग्य: नफ़रत ब्रांड के उत्पाद के यहां कई नाम, लव जिहाद, गोहत्या...
Navjivan Hindi October 20, 2024 03:42 PM

यह मेरा देश है। यहां नफ़रत का व्यापार खूब फल-फूल रहा है। यहां नफ़रत खूब बेची और खूब खरीदी जाती है। नफ़रत यहां का नंबर वन ब्रांड है। यह अर्थव्यवस्था को दुनिया की पांचवीं से तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की मोदी की गारंटी है। नफ़रत यहां की राजनीति में सफलता की दस साल तक पक्की गारंटी रही है। अब कच्ची गारंटी है। नफ़रत बढ़ाने के लिए यहां नौकरियां दी जाती हैं और जो नफ़रत के खिलाफ लड़ते हैं, उनकी नौकरियां छीनी भी जाती हैं। नफ़रत यहां सैकड़ों साल पुरानी मस्जिदों और दरगाहों को तुड़वाने  के काम आती है। नफ़रत यहां बलात्कार और हत्या का बड़ा प्रेरक तत्व है। नफ़रत करनेवालों को यहां फूल-मालाएं पहनाई जाती हैं। उनका जुलूस निकाला जाता है।

नफ़रत ब्रांड के उत्पाद यहां कई नामों से मिलते हैं। उसका एक नाम हिंदुत्व है। एक नाम देशभक्ति है। एक नाम विकास है। एक नाम धर्म की रक्षा है, एक नाम लव जिहाद है। एक नाम मुसलमानों की बढ़ती आबादी है। एक नाम मस्जिद पर भगवा लहराना है। एक नाम गोहत्या है।एक नाम बुलडोजर है। इसे किसी और नाम से भी पुकारो, बस एक बार पुकारो तो यह दौड़ती- भागती चली आती है। पुलिस को पुकारो तो भी हो सकता है, यह चली आए। न्याय की गुहार लगाओ तो यह कूदती- फांदती आ जाए! यह बिन बुलाए घर बैठे भी आ जाती है। यह सड़क चलते किसी भी आदमी को निशाने पर ले सकती है और अपना काम करके, बर्बादी को अंजाम देकर, कल फिर आऊंगी का वायदा पूरा करने फिर आ जाती है।

चरागाह खत्म होते गए हैं मगर नफ़रत के चरागाह पग-पग पर खुल रहे हैं, जिनमें नफ़रत के पशु दिन-रात चरते हैं। यहां सपने में भी नफ़रत का खेल खेला जाता है। बहुतों की प्राणवायु भी यहां नफ़रत और अपानवायु भी नफ़रत है। यहां अपानवायु का उपयोग भी प्राणवायु की तरह किया जाता है।

यहां नफ़रत के अडानी और अंबानी हैं, जिनकी नफ़रत की दौलत अकूत है। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री से लेकर हर मंत्री तथा इनका हर मुख्यमंत्री नफ़रत का अडानी या अंबानी बन चुका है। जो जितना बड़ा नफ़रतिया है, वह उतना बड़ा इनका महापुरुष है।

हर राज्य की हर बीजेपी सरकार नफ़रत की प्रवक्ता है। संघ, विश्व हिंदू परिषद जैसे तमाम संगठन इसके झंडाबरदार हैं। भगवा कपड़ों से सज्जित अनेक मर्द- औरतें इसके प्रवचनकर्ता हैं। बहुत से वकील, न्यायाधीश, पुलिस अफसर, प्रोफेसर , पत्रकार आदि इसके सक्रिय कार्यकर्ता हैं। आपका अखबार, आपका टीवी चैनल, वह जटा है, जहां से नफ़रत की गंगा प्रवाहित होती है।आपके मित्र, आपके परिचित, आपके रिश्तेदार, आपके पड़ोसी इसमें आचमन करने और स्नान करनेवाले श्रद्धालु हो सकते हैं। नफ़रत किस रूप में, किस वेश में, किस समय, कहां मिल जाए, इसका कुछ पता नहीं। आप सुबह साबुन खरीदने जाएं और दुकानदार आपको नफ़रत की एक्स्ट्रा बट्टी मुफ्त में पकड़ा दे! असंभव नहीं कि कोई सेकुलर भी किसी न किसी बहाने नफ़रत का सामान बेच रहा हो। ताज्जुब नहीं कि आपके प्रिय अभिनेता या पसंदीदा अभिनेत्री इसे धर्म का पुनीत काम समझकर कर रहे हों। संभव है ,आपके घर के पास के मंदिर में इसे प्रसाद रूप में बांटा जा रहा हो। हो सकता है, आपके बच्चों के स्कूल के शिक्षक और प्राचार्य कोर्स में और कोर्स के बाहर नफ़रत का पाठ पढ़ाते हों, होमवर्क देते हों। बहुत संभव है कि आपके घर में और एक घर छोड़कर भी कोई नफ़रती हो और वह उस घर का सबसे मुखर सदस्य हो और वह दिन- रात नफ़रत का ज्ञान मुफ्त बांटता फिरता हो!

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