कद्दूवर्गीय सब्जियों में इस रोग के कारण होता है कैंसर, जानें कैसे करें पहचान और प्रबंधन
et October 22, 2024 03:42 AM
देश में कई किसान लौकी, कद्दू, तोरई, खीरे जैसी फसलों की खेती करके तगड़ी कमाई कर रहे हैं. इन सब्जियों की खेती से कम लागत में अच्छी पैदावार होती है. ऐसी सब्जियों के लिए बैक्टीरियल विल्ट रोग (Bacterial Wilt Disease) एक विनाशकारी बीमारी है. ये बीमारी एक जीवाणु इरविनिया ट्रेचीफिला के कारण होती है.जीवाणु विल्ट रोग के कारणों और लक्षणों के बारे में जानकारी हासिल करके इस रोग से फसलों को बचाया जा सकता है. जीवाणु विल्ट रोग के कारणबैक्टीरियल विल्ट रोग (Bacterial Wilt Disease)इरविनिया ट्रेचीफिला नाम के जीवाणु के कारण कद्दूवर्गीय सब्जियों में फैलता है. ये धारीदार और धब्बेदार ककड़ी जैसी फसलों के कारण फैलता है. ये कीटों द्वारा फैलते हैं. जब ये कीट कद्दूवर्गीय पौधों को खाते हैं तो पौधे में बैक्टीरिया जमा कर देते हैं. जिसके कारण पौधा संक्रमित हो जाता है. इससे पौधे का विकास रुक जाता है. पौधों में पोषक और पानी के प्रवाह में परेशानी आती है. जीवाणु विल्ट रोग के लक्षण· इस बीमारी के लक्षण फसल की प्रजाति के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं. ये रोग एक बेल या पत्ती से शुरू होता है. जो पूरे पौधे में फ़ैल जाता है.· इसमें पत्तियां मुरझाने लगती है. ये रोग गर्मी के मौसम में अधिक दिखाई देता है. धीरे-धीरे ये रोग पूरे पौधे में फ़ैल जाता है. जिसके कारण पूरा पौधा मुरझा जाता है. जिसके बाद पौधा नष्ट हो जाता है.· जीवाणु विल्ट रोग से ग्रसित पौधों में पत्तियां सूखी, बेले भूरी और कई बार जली हुई सी दिखने लगती है. जब ये रोग पौधों में गंभीर मामले में फ़ैल जाते हैं तब पौधे कुछ ही दिनों में मर जाते हैं. जीवाणु विल्ट रोग का प्रबंधन कैसे करें· फसल चक्र के माध्यम से जीवाणु विल्ट के जोखिम को कम किया जा सकता है. एक ही स्थान पर लगातार दो साल तक कद्दू वर्गीय सब्जियों को लगाने से बचें. क्योंकि ये बैक्टीरिया कई सालों तक मिट्टी में बने रहते हैं.· जीवाणु विल्ट के जोखिम से फसलों को बचाने के लिए प्रतिरोधी किस्मों का चुनाव करें.· भृंगों को कीटनाशकों से नियंत्रित करें.· फसलों पर कीटनाशकों का इस्तेमाल उस वाल्ट करें जब परागणकर्ता कम सक्रिय हो. ऐसे कीटनाशक जो लंबे समय तक टिके नहीं रहते उनका इस्तेमाल किया जा सकता है.· जैसे ही संक्रमित पौधे के बारे में पता चले उन्हें तुरंत हटाकर नष्ट कर दें.· गर्मी में ये रोग ज्यादा फैलता है इसलिए मिट्टी को साफ प्लास्टिक से ढककर सोलराइजेशन करें.· आईपीएम दृष्टिकोण को अपनाकर भी रोग प्रबंधन किया जा सकता है.· फसलों का नियमित रूप से निरीक्षण करते रहे. ताकि रोग के बारे में तुरंत पता चल सके.· रोग-मुक्त अंकुर या बीज का इस्तेमाल करें.
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