सुनहरे धोरों वाले राजस्थान की धरती अब सोना भी उगलेगी. हाल ही प्रदेश की पहली साेने की खान बांसवाड़ा में नीलाम हुई है. खदान के लिए सड़कें बन रही हैं. 5 फीट खुदाई में ही पत्थरों में सुनहरे कण चमक रहे हैं. बांसवाड़ा के भूकिया, जगपुरा, दलवाड़ा, पंच माहुरी
भूकया-जगपुरा में गोल्ड खनन के लिए का सर्वे करने वाली ऑस्ट्रेलिया की मेटल माइनिंग कंपनी राजस्थान उच्च न्यायालय से राहत नहीं मिलने के बाद अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण पहुंच गई है. कंपनी यहां खनन का काम लेने का दावा कर रही है, जबकि राज्य गवर्नमेंट खान की नीलामी कर चुकी है. यह खान मध्यप्रदेश के रतलाम की ओवैस अली फर्म को आवंटित हुई है. फर्म ने 100 कराेड़ रुपए भी गवर्नमेंट में जमा कराए, ताकि एलओआई जारी हाे सकें.
भास्कर ने खदान एरिया में आज की स्थिति देखी. यहां रह रही आदिवासी जनसंख्या का बोलना है- 34 वर्ष से साेने के खान की सुन रहे हैं. प्रारम्भ नहीं हुआ है. हमने गैरकानूनी खनन नहीं होने दिया. ग्रामीणाें ने न स्वयं खुदाई की और ना किसी को करने दी.
आदिवासी बोले- खनन के साथ विरोध भी होना तय है 940 हेक्टेयर का साेने का लीज क्षेत्र खनन विभाग ने माना है. करीब तीन से चार किमी। लंबाई-चाैड़ाई वाले इस क्षेत्र में जल भराव के क्षेत्र और पहाड़ियां है. इसके अंदर ही साेने का भंडार है. डेढ़ साै से अधिक किसानों की माइंस क्षेत्र में जमीनें हैं.
बताया जा रहा है कि जब भी इस क्षेत्र में खनन प्रारम्भ हाेगा ताे क्षेत्रीय विराेध भी होगा. गांवाें में बैठकें हो चुकी हैं. जिसकी जमीन उसे लीज का पट्टा, सरकारी लाेन सहित अन्य मांगें हैं. आदिवासियाें की भूमि आरक्षित श्रेणी का आदमी की खरीद सकता है. इसलिए इस क्षेत्र में सोने की खान होने पर भी जमीनों के रेट नहीं बढ़े हैं.
अंधेरे में चमका पत्थर तब मिली गोल्डमाइन
यह तस्वीर उस पत्थर की है जो जमीनी सतह से 5 फीट नीचे से मिला था. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई) ने करीब 3 इंच के इस पत्थर को संभाल कर रखा है. घुप्प अंधेरे में इस पत्थर का फाेटाे लेकर दर्शाया कि साेने के कण और अन्य धातु इसमें चमक बिखेर रहे हैं.