रिश्वत के रुपए बंटवारे मुद्दे से मेरा कोई लेना-देना नहीं है. मुद्दे में जो शिकायतकर्ता है प्रदीप पिता चरणसिंह राजपूत. उसने मुझे फंसाया है. मैंने शिकायतकर्ता प्रदीप के पिता को इल्जाम पत्र जारी किया था.
प्रदीप के पिता चरणसिंह राजपूत भी फायर ब्रिगेड में सब इंस्पेक्टर है. इंदौर में ही पदस्थ है. उस बात की खुन्नस निकालने के लिए मुझे झूठा फंसाया है. मेरी पेंशन रूकवान के लिए भी झूठी शिकायतें की गई थी.
ये बोलना है फायर ब्रिगेड के पूर्व एसपी आरएस निगवाल का. घूस के मुद्दे में निगवाल सहित तीन लोगों पर सीआईडी की विजिलेंस विंग भोपाल ने मुकदमा दर्ज किया है.
दैनिक भास्कर ने मुद्दे को लेकर पूर्व एसपी निगवाल से चर्चा की. जिसमें उन्होंने रिश्वतकांड के बारे में कहा और शिकायतकर्ता के द्वारा उन्हें क्यों झूठा फंसाया जा रहा है इसकी वजह भी बताई. जानिए सब कुछ सिलसिलेवार….
पहले जान लीजिए मुद्दा क्या है
अप्रैल 2023 में देवास नाका क्षेत्र स्थित राजपाल टोयोटा शोरूम में आग लगने की घटना हुई थी. यहां आग बुझाने पहुंचे एसआई शिव नारायण शर्मा और कांस्टेबल जबर सिंह चौधरी पर इल्जाम था कि उन्होंने शोरूम के संचालक राकेश राजपाल से आग बुझाने के नाम पर 15 हजार मांगे थे. यह रुपए उन्हें शोरूम संचालक ने दे भी दिए थे, लेकिन इसके बंटवारे को लेकर फायर ब्रिगेड के कर्मचारियों में आपसी टकराव हो गया था.
इसके बाद शोरूम संचालक को जब कांस्टेबल ने रुपए न मिलने पर कॉल किया तो उन्होंने जिस एसआई को रुपए दिए थे उससे बात करवा दी. बाद में दोनों आपस में लड़ लिए थे. शो-रूम संचालक से हुई वार्ता की रिकॉर्डिंग वायरल हो गई थी. इसमें एसआई और कॉन्स्टेबल यह कहते सुनाई दे रहे थे कि एसपी साहब को भी उनका हिस्सा भेजना है. इसी के बाद यह करप्शन सामने आया था.
शिकायतकर्ता प्रदीप के पिता चरणसिंह ने एक आरक्षक (ड्रायवर) इरफान का 14 हजार रुपए का फर्जी टीए बना दिया था. वो भोपाल में होटल में रुका नहीं था और भोपाल की होटल की फर्जी रसीद लगा कर टीए बना लिया था.
चालक की कमी होने पर ड्रायवर को इंदौर से भोपाल भेजा जाता है.
ड्रायवर इरफान करीब 7-8 दिन रूका था. ये वर्ष 2021-22 का मुद्दा है. शिकायतकर्ता प्रदीप के पिता चरणसिंह ने ही टीए बिल वेरिफाई किया. उस आधार पर रुपए का भुगतान हो गया. असल में चालक इरफान भोपाल में होटल में रूका ही नहीं था.
ये बात स्वयं होटल वाले ने लिख कर दी थी. इसके बाद ही चरणसिंह को इल्जाम पत्र मैंने जारी किया था. उस बात की खुन्नस निकालने के लिए मुझे रिश्वतकांड में झूठा फंसाया है. मेरे सेवानिवृत्त होने के बाद इन लोगों ने होटल वाले से रूकने वाली बात लिखवा ली. जिससे मुद्दा खारिज हो गया और विभागीय जांच भी बेगुनाह पाई गई. शिकायतकर्ता प्रदीप का छोटा भाई भी इंदौर में ही फायर ब्रिगेड में है.
मैं क्या आरक्षकों के कहने पर पैसा मांगूगा. 3 अप्रैल 2023 को आग लगी थी. बात 15 अप्रैल 2023 की है. जब मुझे मेरे ड्राइवर से पता लगा. उसे आरक्षक जबर सिंह चौधरी ने कहा था. तब मैंने घटना के 12 दिन बाद शोरूम वालों को टेलीफोन किया. उन्होंने कहा कि सब इंस्पेक्टर शिवनारायण शर्मा आया था, उसे 15 हजार रुपए खर्चा-पानी के लिए दे दिए. मैंने उन्हें बोला भी कि आग बुझाने के पैसे थोड़ी लगते हैं.
मैंने तो आरक्षक को टेलीफोन भी नहीं किया. कॉल डिटेल निकाल ली जाए. उससे कोई बात ही नहीं हुई है. यदि मैं मांगता और शोरूम वाले राजपाल को कहता कि इसे पेमेंट दे देना तब ये इल्जाम लगाते तो मैं गलत होता. झूठा इल्जाम लगाया है.
आरक्षक जबर सिंह चौधरी ने शोरूम संचालक राकेश राजपाल को टेलीफोन किया. शोरूम वालों ने जबर सिंह और सब इंस्पेक्टर शिवनारायण शर्मा की टेलीफोन पर कांफ्रेंस करवाई. जिसमें 15 हजार रुपए शर्मा को देने की बात शोरूम वाले ने कही. शर्मा ने भी इस संबंध में मुझे कुछ नहीं बताया. मेरा तो कोई रोल ही नहीं था. रुपए के लेनदेन का मुद्दा शर्मा और जबर सिंह के बीच का था.
एफआईआर में लिखवाया कि मैं आरक्षक जबर सिंह से हिस्सा मांग रहा तो तब उसने शोरूम वाले को टेलीफोन किया. जबकि रुपए सब इंस्पेक्टर शर्मा 12 दिन पहले ही लेकर आ गया था. मैं हिस्सा मांगने के लिए आरक्षक से बोलूंगा क्या…इसी से समझ में आता है कि मेरा झूठा नाम फंसाया है.
एफआईआर में लिखवाया गया है कि मेरे कहने पर शोरूम वाले से रुपए मांगे गए. मेरी रिकॉर्डिंग तो बताओ मैंने कब बोला या रुपए कब मांगे. मैंने उसे बुलाकर कहा, टेलीफोन किया कैसे कहा. मैं एफआईआर को चैलेंज करूंगा.
एसआई शिवनारायण शर्मा और कांस्टेबल जबर सिंह चौधरी.
इस वर्ष सीआईडी विजिलेंस पुलिस स्टेशन का करप्शन अधिनियम का पहला केस
अब 15 हजार की घूस मुद्दे में सीआईडी की विजिलेंस विंग भोपाल ने इंदौर फायर ब्रिगेड के पूर्व एसपी रहे राम सिंह निंगवाल, एसआई शिवनारायण शर्मा और कांस्टेबल जबर सिंह चौधरी पर करप्शन निवारण अधिनियम का मुकदमा दर्ज किया है.
सीआईडी विजिलेंस के अनुसार पूर्व एसपी सहित तीनों को करप्शन निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 के अनुसार आरोपी बनाते हुए यह मुकदमा दर्ज किया है. तीनों के विरुद्ध प्रदीप पिता चरण सिंह राजपूत निवासी शुभम नगर ने कम्पलेन की थी. इनके द्वारा दिए गए सबूतों के आधार पर इंदौर सीआईडी टीआई अमित दाणी ने पूरे मुद्दे की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट वरिष्ठ ऑफिसरों को पेश की. साक्ष्यों के आधार पर तीनों के विरुद्ध यह कार्रवाई की गई. इस वर्ष का सीआईडी विजिलेंस पुलिस स्टेशन का यह करप्शन अधिनियम का पहला मुकदमा है.