गठबंधन के अंदर की बिसात; जारी है शह और मात का खेल?
मानस मिश्र October 24, 2024 05:12 PM

राजनीति में फैसले हमेशा फायदे-नुकसान के तराजू पर तौले जाते हैं. बीते कुछ दिनों में कुछ घटनाक्रम ऐसे हुए हैं जिनको देखकर लगता है कि इंडिया गठबंधन के अंदर एक बिसात बिछ चुकी है और शह-मात का खेल जारी है. हरियाणा में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को एक भी सीट से देने से इनकार कर दिया तो यूपी की 9 सीटों में उपचुनाव में वही हाल सपा ने कांग्रेस का कर दिया. इतना ही नहीं महाराष्ट्र में तो सपा ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन की सीटें फाइनल होने से पहले ही 5 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया. शह और मात के इस खेल के शुरू होने के पहले ही आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ा है.  इन राजनीतिक घटनाओं को विस्तार से समझते हैं. 

लोकसभा चुनाव 2024 में सपा और कांग्रेस के गठबंधन ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी को कई सीटों पर चौंकाने वाली हार दी है. माना जा रहा था कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपने दम पर न सही, कम से कम सपा के भरोसे वापसी कर रही है. लोकसभा चुनाव 2029 में सिर्फ एक सीट जीतने वाली कांग्रेस ने इस बार 6 सीटें जीती हैं, जबकि समाजवादी पार्टी को 37 सीटें मिली हैं.

लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती. यूपी में जीत की इस खुशी को हरियाणा में कांग्रेस के फैसले ने काफूर कर दिया है. हरियाणा में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को एक भी सीट देने से इनकार कर दिया. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उस समय कांग्रेस का समर्थन करना उचित समझा.

हरियाणा चुनाव के एक महीने भी नहीं बीते हैं कि महागठबंधन में बिछी बिसात अब अखिलेश यादव के हाथ में आ गई है. मौका था उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का. कांग्रेस ने सपा से 5 सीटों की मांग की, जिसमें गाजियाबाद, खैर, मीरापुर, फूलपुर और मंझवा शामिल थीं.

शुरुआत में लगा कि अखिलेश यादव आसानी से कांग्रेस की ये मांगें मान लेंगे, क्योंकि हर सीट का अपना समीकरण था. लेकिन समय के साथ समाजवादी पार्टी ने मीरापुर और फूलपुर में मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर स्थिति को बदल दिया. गाजियाबाद और खैर में बीजेपी की मजबूत दावेदारी को देखते हुए कांग्रेस ने खुद ही चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. अब हालात ये हैं कि कांग्रेस यूपी उपचुनाव में सिर्फ समाजवादी पार्टी का समर्थन करेगी.

इसका मतलब यह है कि हरियाणा में मन मसोस कर रह जाने वाले अखिलेश यादव ने यूपी में कांग्रेस को जवाब देकर स्कोर बराबर कर लिया है. अब सभी की नजरें महाराष्ट्र पर हैं.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने महाविकास अघाड़ी से 12 सीटें मांगी हैं, जिसमें 4 सीटें देने की बात चल रही है. लेकिन कोई अंतिम फैसला होने से पहले ही सपा ने 5 सीटों पर प्रत्याशी उतारने का ऐलान कर दबाव बनाने की कोशिश की है.

इन सीटों में धुले शहर, मनखुर्द शिवाजी नगर, भिवंडी पश्चिम, मालेगांव सेंट्रल शामिल हैं. महाराष्ट्र के सपा अध्यक्ष अबू आजमी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलकर इस फैसले की जानकारी दी है. अबू आजमी ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि पवार ने उन्हें सीट समझौते के लिए मिलने के लिए बुलाया है.

महाराष्ट्र में समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है. जिन 12 सीटों पर सपा दावा कर रही है, उनमें 2019 के चुनाव में चार सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन मात्र 2 ही सीटें जीत पाई थी. 

हरियाणा की तरह समाजवादी पार्टी महाराष्ट्र में मैदान नहीं छोड़ेगी, यह बात तय हो गई है. इंडियन एक्सप्रेस द्वारा पूछे गए एक सवाल में महाराष्ट्र सपा के प्रमुख अबू आजमी ने कहा कि अगर वे इन पांच सीटों पर चुनाव प्रचार नहीं शुरू करते तो हार जाएंगे. कब तक महाविकास अघाड़ी के फैसले का इंतजार करते?

वहीं जब उनसे पूछा गया कि शरद पवार ने क्या कहा तो अबू आजमी ने बताया कि एनसीपी प्रमुख ने कहा है कि कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव) के बीच 'खींचतान' सोमवार तक खत्म हो जाएगी. लेकिन ध्यान देने की बात ये है कि समाजवादी पार्टी ने महाराष्ट्र में प्रत्याशियों का ऐलान कर कांग्रेस सहित पूरे गठबंधन को संदेश दे दिया है कि वो 12 से कम सीटों पर नहीं मानेगी.

आम आदमी पार्टी का क्या करेगी?
दिल्ली और पंजाब की सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था. 90 में से 89 सीटों पर लड़ने वाली पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी. इंडिया गठबंधन के प्रमुख अरविंद केजरीवाल की पार्टी का अलग चुनाव लड़ना कांग्रेस के लिए एक झटका था. इससे यह संदेश गया कि विपक्षी गठबंधन वैचारिक तौर पर मजबूत नहीं है. देखने वाली बात ये होगी कि महाराष्ट्र के चुनाव में पार्टी को गठबंधन के अंदर कितनी सीटें मिलती हैं.

महाविकास अघाड़ी में अब तक क्या हुआ?
महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी ने विधानसभा चुनावों के लिए सीटों के बंटवारे की घोषणा कर दी है. कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और शिवसेना (उद्धव) ने तय किया है कि प्रत्येक पार्टी 85 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

राउत ने बताया कि कुल 288 सीटों में से 270 पर सहमति बन गई है और बाकी 18 सीटों पर छोटे दलों के साथ बातचीत जारी है. उन्होंने कहा, "हम समाजवादी पार्टी, पीडब्ल्यूपी, सीपीआई (एम), सीपीआई और आम आदमी पार्टी को भी शामिल करेंगे. महा विकास आघाड़ी महायुति सरकार को हराने के लिए एकजुट है."

राज्य कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि शेष सीटें छोटे दलों के लिए छोड़ी जाएंगी. शिवसेना (यूबीटी) के नेता अनिल देसाई ने बताया कि तीनों घटक 85-85 सीटों पर सहमत हैं.

विदर्भ और मुंबई की सीटों पर विवाद
सीट बंटवारे की बातचीत कई हफ्तों तक चली, जिसमें विदर्भ क्षेत्र और मुंबई में कुछ सीटों पर विवाद सामने आया. कांग्रेस विदर्भ में अपने मजबूत प्रदर्शन को देखते हुए किसी भी तरह की रियायत देने को तैयार नहीं है.

छोटे दलों में बेचैनी
इस बीच, समाजवादी पार्टी (एसपी), आम आदमी पार्टी (AAP), वाम दल और किसान एवं मजदूर पार्टी (PWP) जैसे छोटे दलों में बेचैनी बढ़ती जा रही है.

ताजा हालात के अनुसार विभिन्न दलों के उम्मीदवार टिकट पाने के लिए एमवीए कार्यालयों की ओर दौड़ रहे हैं, क्योंकि नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. आखिरी तारीख 29 अक्टूबर है, लेकिन सीट आवंटन में देरी उनके चुनावी भविष्य को खतरे में डाल सकती है.

पिछले आम चुनावों में महा विकास आघाडी ने महाराष्ट्र में 48 लोकसभा सीटों में से 31 जीती थीं. अब छोटे दल INDI गठबंधन के तहत चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं.

झारखंड में लालू यादव का हस्तक्षेप
झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर इंडिया गठबंधन में जेएमएम और आरजेडी के बीच तलवारें तन गई थीं. लेकिन लालू यादव ने मोर्चा संभाला और हेमंत सोरेन से बातचीत कर मामला संभाल लिया. हेमंत सोरेन आरजेडी को 6 सीटें देने के लिए राजी हो गए हैं और अब दोनों पार्टियां इंडिया गठबंधन में ही चुनाव लड़ेंगी.

मंगलवार रात आरजेडी ने अपने छह उम्मीदवारों की सूची जारी की जिसमें देवघर से सुरेश पासवान, गोड्डा से संजय प्रसाद यादव, कोडरमा से सुभाष यादव, चतरा से रश्मि प्रकाश (वर्तमान विधायक सत्यनंद भोक्ता की बहू), बिश्रामपुर से नरेश प्रसाद सिंह और हुसैनाबाद से संजय कुमार सिंह यादव शामिल हैं.

उधर झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने साफ किया कि कांग्रेस 30 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. 

एनडीए में भी हलचल
NDA में भी हलचल शुरू हो गई है क्योंकि कई नेताओं को टिकट नहीं मिला और वे जेएमएम में शामिल होने लगे हैं. कई बीजेपी नेताओं जिनमें तीन पूर्व विधायक भी शामिल हैं, सोमवार रात जेएमएम में शामिल हुए.

सोमवार रात पार्टी बदलने वाले पूर्व विधायक लुइस मरांडी, कुणाल सारंगी और लक्ष्मण तुडू थे. वहीं तीन बार विधायक रहे बीजेपी नेता केदार हज़रा और ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (AJSU) नेता उमाकांत राजक ने जेएमएम में शामिल होने का फैसला लिया.

मंगलवार को AJSU के केंद्रीय महासचिव तरुण गुप्ता ने NDA के खिलाफ विद्रोह करते हुए जामताड़ा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया.

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