माधवी पुरी बुच की अनुपस्थिति पर बैठक स्थगित, बीजेपी ने साधा वेणुगोपाल पर निशाना
Webdunia Hindi October 24, 2024 11:42 PM

नई दिल्ली। संसद की लोक लेखा समिति (PAC) के प्रमुख के.सी. वेणुगोपाल (KC Venugopal) ने गुरुवार को कहा कि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की प्रमुख माधवी पुरी बुच (Madhavi Puri Buch) के उपस्थित होने में असमर्थता जताने के कारण समिति की आज प्रस्तावित बैठक स्थगित कर दी गई है।

वेणुगोपाल के आचरण को असंसदीय करार दिया : दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने पीएसी अध्यक्ष के रूप में वेणुगोपाल के आचरण को असंसदीय करार देते हुए कहा कि उसके सदस्य इस मामले पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से शिकायत करेंगे। वेणुगोपाल ने कहा कि समिति की पहली बैठक में हमने फैसला किया था कि पहले विषय के रूप में हमारी नियामक संस्थाओं की समीक्षा की जाए। इसलिए हमने आज सेबी की प्रमुख को इस संस्था की समीक्षा के लिए बुलाया था।ALSO READ:

उन्होंने कहा कि सबसे पहले समिति के समक्ष पेश होने से सेबी प्रमुख के लिए छूट की मांग की गई जिससे हमने इंकार कर दिया। इसके बाद उन्होंने पुष्टि की थी कि वे समिति के समक्ष पेश होंगी। आज सुबह 9.30 बजे सेबी प्रमुख और इसके अन्य सदस्यों की ओर से सूचित किया गया कि निजी कारणों से वे दिल्ली की यात्रा नहीं कर सकतीं।

वेणुगोपाल ने कहा कि एक महिला के आग्रह को देखते हुए आज की बैठक को स्थगित करने का फैसला किया गया। पीएसी की बैठक के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह बहुत बड़ा मुद्दा है। उनका कहना है कि स्वत: संज्ञान लेते हुए फैसला किया गया। आपने कैसे निर्णय लिया? पीएसी का काम सीएजी रिपोर्ट पर विचार-विमर्श करना है।

उन्होंने कहा कि अलग-अलग संस्थाओं के कामकाज को देखने के लिए संबंधित विभागों की समितियां हैं। प्रसाद का कहना था कि हमें विश्वस्त सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि सीएजी रिपोर्ट में सेबी के बारे में कोई पैराग्राफ नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएसी प्रमुख का आचरण पूरी तरह से असंसदीय है। भाजपा नेता ने कहा कि इसको लेकर लोकसभा अध्यक्ष बिरला से शिकायत की जाएगी।

बैठक के एजेंडे में संसद के अधिनियम द्वारा स्थापित नियामक निकायों के कामकाज की समीक्षा के लिए समिति के निर्णय के हिस्से के रूप में वित्त मंत्रालय और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रतिनिधियों के मौखिक साक्ष्य शामिल थे। इस एजेंडे में संचार मंत्रालय और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण के प्रतिनिधियों के मौखिक साक्ष्य भी शामिल थे।ALSO READ:

एजेंडे में कानून द्वारा स्थापित नियामक निकायों के कामकाज की समीक्षा को शामिल करने के समिति के फैसले का कोई विरोध नहीं हुआ था। हालांकि बुच को बुलाने के वेणुगोपाल के कदम ने सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों को परेशान कर दिया था, क्योंकि वे अमेरिकी संस्था 'हिंडनबर्ग' के आरोपों से खड़े हुए राजनीतिक विवाद के केंद्र में रही हैं।

बुच के खिलाफ अमेरिकी शॉर्ट-सेलर कंपनी ने हितों के टकराव के आरोप लगाए थे जिसके बाद कांग्रेस ने उन पर और सरकार पर तीखे हमले किए थे। पीएसी के सदस्य निशिकांत दुबे ने गत 5 अक्टूबर को समिति के अध्यक्ष वेणुगोपाल पर केंद्र सरकार को बदनाम करने और देश के वित्तीय ढांचे तथा अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने के लिए निरर्थक मुद्दे उठाने का आरोप लगाया था।ALSO READ:

भाजपा सांसद दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में वेणुगोपाल पर आरोप लगाया था कि वे अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं और देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने के लिए एक 'टूल किट' के हिस्से के रूप में काम कर रहे हैं। वेणुगोपाल ने दुबे के आरोपों पर प्रतिक्रिया नहीं दी थी।

समिति में भाजपा और उसके सहयोगियों के सांसदों का बहुमत है और वे इसकी बैठकों में विपक्षी सदस्यों द्वारा उन मुद्दों को उठाने के किसी भी कदम का जोरदार विरोध कर सकते हैं जिनके बारे में उनका मानना है कि वे समिति के दायरे से बाहर हैं। दुबे का कहना है कि लोक लेखा समिति का एकमात्र कार्य भारत सरकार के विनियोग खातों और भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रपटों की जांच करने तक ही सीमित है।(भाषा)

Edited by: Ravindra Gupta

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