जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक कामेश्वरनाथ दास ने देवघर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है. उन्होंने बोला कि वे पूर्व में देवघर से विधायक रह चुके हैं. लेकिन इस बार जदयू ने संगठन के लोगों को टिकट नहीं दिया. इस कारण पार्टी को दिखा
28 अक्टूबर को करेंगे नामांकन उन्होंने दावा किया कि देवघर के लोगों का समर्थन उन्हें मिल रहा है. इस कारण निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहा हूं और जीत को लेकर भी आश्वस्त हूं. उन्होंने बोला कि 28 अक्टूबर को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन करूंगा. उन्होंने अपनी भावना से पार्टी आलाकमान को भी अवगत करा दिया है. उन्होंने आसार जताई कि जदयू सिंबल अलॉट करें, तब देवघर में बीजेपी के साथ दोस्ताना संघर्ष हो सकता है. इसके लिए जदयू जिला कमेटी के साथ उन्होंने समीक्षा बैठक भी की है ताकि कार्यकर्ताओं की भावना से अवगत हो सके. बैठक में जदयू के जिला अध्यक्ष सतीश दास समेत पार्टी के कई जिला स्तरीय नेता उपस्थित थे.
स्वजाति हैं नारायण और कामेश्वर नाथ दास उधर, कामेश्वर दास के चुनाव मैदान में उतरने से बीजेपी प्रत्याशी नारायण दास की मुश्किलें बढ़ सकती है. क्योंकि नारायण और कामेश्वर दोनों एनडीए के नेता है. कामेश्वर के निर्दलीय चुनाव लड़ने से बीजेपी का ही वोट कटेगा. नारायण और कामेश्वर दोनों एक ही समाज से आते हैं. वहीं, यदि देवघर में भाजपा-जदयू के बीच दोस्ताना संघर्ष हुआ तो मुकाबला बहुत रोचक होगा.
कामेश्वर के पिता पांच बार रह चुके हैं देवघर से विधायक जदयू नेता कामेश्वरनाथ दास के पिता स्व। बैजनाथ दास देवघर सुरक्षित सीट से पांच बार विधायक रह चुके हैं. 1957 के बाद देवघर विधानसभा सीट सुरक्षित हो गई थी. 1967 में भारतीय जनसंघ के बालेश्वर दास ने कांग्रेस पार्टी के बैजनाथ दास को 5500 वोट से हराया था. 1972 में बालेश्वर दास कांग्रेस पार्टी के बैद्यनाथ दास से हार गए थे. इसके बाद बैजनाथ दास देवघर विधानसभा सीट से चार बार और जीते.
2005 में जदयू से कामेश्वर ने देवघर से जीता था चुनाव 2005 में कामेश्वरनाथ दास ने देवघर विधानसभा से जदयू की टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. उन्होंने राजद के प्रत्याशी सुरेश पासवान को हराया था. इस चुनाव में देवघर विधानसभा के कुल 145746 ने मतदान किया था, जिसमें जदयू के कामेश्वर दास को 43065 और राजद के सुरेश पासवान को 33442 वोट मिले थे.