झारखंड : राज्य की राजनीति में M फैक्टर किस तरह से सिर चढ़कर बोल रहा…
Richa Srivastava October 26, 2024 12:28 AM

रांची झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में एम फैक्टर की खूब चर्चा हो रही है राज्य की राजनीति में M यानी महतो फैक्टर किस तरह से सिर चढ़कर बोल रहा है इसका ताजा उदाहरण शुक्रवार को देखने को मिला, जब सिल्ली विधानसभा सीट से एनडीए प्रत्याशी और पूर्व डिप्टी मुख्यमंत्री सुदेश महतो के नामांकन में असम के सीएम हिमंता बिस्व सरमा स्वयं उपस्थित रहे हालांकि, इसी ‘एम’ फैक्टर ने झारखंड में जेएमएम और भाजपा दोनों की नींद भी उड़ा रखी है क्योंकि, राज्य की राजनीति में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JLKM) के जयराम महतो नाम के ‘तूफान’ से दोनों गठबंधन को हारने का भी डर सताने लगा है बता दें कि इस चुनाव में जयराम महतो ने एनडीए और इण्डिया दोनों गठबंधन से समान दूरी बनाकर स्वयं ही अकेले मैदान में उतर आई है

झारखंड की राजनीति में आदिवासी के बाद 15% से अधिक कुर्मी मतदाता हैं, जिसपर इण्डिया और एनडीए गठबंधन की नजर है यह राज्य की राजनीति में दूसरी सबसे बड़ी और प्रभावशाली जाति मानी जाती है सुदेश महतो भी इसी जाति से आते हैं और झारखंड में एनडीए गठबंधन का हिस्सा हैं महतो पॉलिटिक्स करने वाले सुदेश महतो की पार्टी आजसू इस बार 10 सीटों पर चुनाव लड़ रही है ऐसे में हिमंता विस्वा सरमा ने सुदेश महतो के नामांकन में मौजूदगी दिखाकर महतो समाज में मैसेज दिया है कि भाजपा इस समाज का कितना ख्याल रखती है

क्या कहते हैं जानकार?
राजनीतिक विश्लेषक और झारखंड की जमीनी राजनीति को करीब से जानने वाले सियासी विश्लेषक अमिताभ भूषण कहते हैं, ‘झारखंड की राजनति में एक बड़ी विडंबना है कि महतो समाज हर दस वर्ष के बाद राजनीति में नया चेहरा या मांजन्य पैदा करता है इसी का नतीजा है कि विनोद महतो, शैलेंद्र महतो, सुधीर महतो, जगन्नाथ महतो और सुदेश महतो जैसे नेता का उभार हुआ है सुदेश महतो जहां इस चुनाव में भाजपा के साथ हैं तो वहीं जयराम महतो ने एनडीए और इण्डिया दोनों से सामान दूरी बना कर अपने समाज के बूते अकेले राजनीति साधने में लगे हैं

जयराम किसको कमजोर करेंगे?
अमिताभा कहते हैं, ‘झारखंड की महतो राजनीति में इस बात की भी चर्चा हो रही है कि जयराम किसके साथ होंगे? चुनाव पूर्व जयराम की झामुमो सुप्रीमो हमेंत से लेकर बीजेपी के स्टेट प्रभारी हिमंता विस्वा सरमा और गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की खबरें आती रही हैं लेकिन, उन्होंने अभी तक अपना पत्ता नहीं खोला है ये भी सच है कि लोकसभा चुनाव में जयराम की वजह से भाजपा को काफी हानि हुआ था ऐसे में जयराम के उभार से सुदेश महतो की महतो की राजनीति कमजोर होगी या जयराम का अकेले रहने का निर्णय उनकी स्वयं की राजनीति को छोटा करेगा, इस पर नजर रहेगी?’

क्या बिगड़ जाएगा इस बार का गणित?
बीते लोकसभा चुनाव में जयराम महतो गिरिडीह से चुनाव लड़े थे हालांकि, वह चुनाव भले ही नहीं जीत पाए लेकिन साढ़े तीन लाख के करीब वोट लाकर अपनी ताकत का एहसास करा दिया था ऐसे में इस बार के झारखंड चुनाव में जयराम किसका खेल बिगाड़ते हैं यह चुनाव नतीजे के बाद ही पता चलेगा लकिन, इसमें कोई दो राय नहीं है कि जयराम महतो अब रामटहल चौधरी, छत्रु महतो, घनश्याम महतो, टेकलाल महतो, केशव महतो कमलेश महतो, शिवा महतो, आनंद महतो, लालचंद महतो, विद्युत महतो, सुदेश महतो, जगन्नाथ महतो, चंद्र प्रकाश चौधरी जैसे नेताओं के रास्ते पर चल दिए हैं

जयराम की पार्टी के चुनाव लड़ने से गिरिडीह, सरायकेला, कांके, जरीडीह, गोमिया, मांडू, सिंदरी, डुमरी, बहरागोड़ा, सिल्ली और रामगढ़ विधानसभा सीटें का समीकरण  बिगड़ सकता है ऐसे में देखना है कि परिजन और परजीवी इस चुनाव में जीतते हैं या उनको हार स्वाद चखना पड़ता है

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