अनुज गौतम, सागर: रबी सीजन के आगमन के साथ ही मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, और पंजाब के किसानों ने गेहूं की खेती की तैयारियां प्रारम्भ कर दी हैं। यदि आप इस बार अपनी गेहूं की फसल से अधिक फायदा कमाना चाहते हैं, तो ये पांच प्राचीन और विशेष किस्में आपके लिए वरदान साबित हो सकती हैं। यह किस्में कम पानी में भी अच्छा उत्पादन देती हैं, साथ ही मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने और पर्यावरण संतुलन में भी सहायक हैं। पिछले 14 सालों से खेती में इनोवेशन कर रहे प्रगतिशील किसान आकाश चौरसिया का बोलना है कि यह किस्में जलवायु और मिट्टी के अनुकूल होने के कारण कम पानी की परेशानी का निवारण भी प्रस्तुत करती हैं। आइए जानते हैं, गेहूं की इन पांच किस्मों के बारे में विस्तार से।
1. खपली गेहूं: उच्च फाइबर और स्वास्थ्यवर्धक
खपली गेहूं का इस्तेमाल डायबिटीज मरीजों के लिए लाभ वाला माना जाता है। इसमें उच्च फाइबर कंटेंट होने के कारण यह पाचन को सुधारने में सहायक है। खपली गेहूं की बुवाई 50 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से की जाती है, और इसके उत्पादन में तीन बार पानी देने की जरूरत होती है। यह प्रजाति प्रति एकड़ 18 क्विंटल तक का उत्पादन देती है और इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर, प्रोटीन, और कैल्शियम पाया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है।
2. बंशी गेहूं: बुंदेलखंड की विशेष प्रजाति
बंशी गेहूं बुंदेलखंड क्षेत्र की विलुप्त होती प्रजाति है, जिसमें ग्लूटेन की मात्रा कम होती है, जिससे यह पाचन के लिए उपयुक्त है। इसे प्रति एकड़ 60 किलोग्राम की मात्रा में बोया जाता है, और सिर्फ़ तीन बार पानी देने पर यह 12 से 18 क्विंटल तक उत्पादन देती है। बंशी गेहूं फाइबर, प्रोटीन, और कैल्शियम से भरपूर है, जो इसके स्वास्थ्य लाभों को बढ़ाता है और इसे एक उच्च गुणवत्ता वाली प्रजाति बनाता है।
3. चावल काठी गेहूं: ग्लूटेन-फ्री और पाचन में सहायक
चावल काठी गेहूं, अपने नाम के अनुसार, चावल के पौधों की तरह होती है और यह पूरी तरह से ग्लूटेन-फ्री है। इसमें ग्लूटेन न होने के कारण यह पाचन के लिए बहुत फायदेमंद है। इस प्रजाति की पैदावार प्रति एकड़ 16 क्विंटल तक होती है और सिर्फ़ तीन बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। चावल काठी गेहूं उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो ग्लूटेन-फ्री डाइट पर हैं और यह आमदनी के साथ-साथ स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए भी एक उत्तम विकल्प है।
4. शरबती गेहूं: स्वाद और बाजार में विशेष मांग
शरबती गेहूं बुंदेलखंड की एक विशेष प्रजाति है, जो अपने अनूठे स्वाद के कारण राष्ट्र और पूरे विश्व में मशहूर है। इसकी बुवाई के लिए सिर्फ़ दो बार पानी देने की आवश्यकता होती है और यह प्रति एकड़ 12 से 15 क्विंटल तक उत्पादन देती है। शरबती गेहूं के मूल्य बाजार में करीब 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिलते हैं, जो इसे अधिक फायदेमंद बनाता है। इसके विशेष स्वाद और पोषण तत्वों की वजह से इसकी मांग हमेशा उच्च बनी रहती है।
5. काला गेहूं: आयरन-रिच और उच्च बाजार मूल्य
काला गेहूं, जो अपने गहरे रंग और स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है, विशेष रूप से आयरन रिच होने के कारण लोकप्रिय है। इसकी फसल तीन बार पानी देने पर प्रति एकड़ 20 क्विंटल तक उत्पादन देती है और यह स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है। काले गेहूं की मूल्य बाजार में करीब 8000 रुपये प्रति क्विंटल तक होती है, जो इसे किसानों के लिए एक उच्च मुनाफे वाला विकल्प बनाता है।